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ये अपढ़ पत्रकार

Nadeem

दैनिक जागरण में रहने के दौरान हमारे शुरूआती दिनों में सम्पादकीय प्रभारी हुआ करते थे दादा एसके त्रिपाठी। वह कहा करते थे कि एक कामयाब पत्रकार बनने के लिए निरतंरत अपडेट होना और मुकम्मल होमवर्क के साथ स्टोरी करना जरूरी होता है लेकिन उन्हें हमेशा यह चिंता खाये जाती थी कि पत्रकारों की दिलचस्पी इन दोनों चीज़ों में कम होती जा रही है।

यह बात आज अचानक इसलिए याद आ गई कि एक नामचीन टीवी चैनल की साइट की खबरें देख रहा था। अचानक कल चली एक ब्रेकिंग न्यूज पर नजर चली गई, जिसमें कहा गया कि ”योगी आदित्यनाथ आरएसएस नेताओं से मिले। बैठक में यूपी के मंत्रालयों की संख्या 80 से घटाकर 50 करने पर विचार किया गया। अगर ऐसा होता है तो कई मंत्रियों की कुर्सी चली जाएगी।”

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‘ब्रेकिंग न्यूज’ पढ़ कर लगा कि खबर लिखने वाले से लेकर उसे पास करने वाले तक इन तथ्यों से कतई अनभिज्ञ है:

पहली बात- मंत्रियों की संख्या विभाग से नहीं बल्कि राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या से तय होती है। 2003 में हुए 91वें संविधान संशोधन के अनुसार
राज्य मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत के बराबर तक हो सकती है। यह अधितम सीमा है। न्यूनतम सीमा 12 मंत्रियों की है।

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दूसरी बात- संविधान की इस व्यवस्था के अनुसार यूपी में मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री को मिलाते हुए 60 तक हो सकती है लेकिन अभी वहां मुख्यमंत्री सहित 47 मंत्री ही हैं।

तीसरी बात : अगर रिपोर्टर जी की ही मान लेते हैं कि विभाग 50 हो जाएंगे तो भी किसी का मंत्री पद नहीं जाने वाला क्योंकि मंत्री तो अभी 47 ही हैं।
वैसे अगर 80 विभाग होते हुए भी मुख्यमंत्री चाहें तो सिर्फ 12 मंत्रियों से ही काम चला सकते हैं। यह तो मेखमंत्री का विशेषाधिकार है।

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लगा सच में पत्रकारों को लेकर दादा एसके त्रिपाठी की चिंता जायज थी।

नवभारत टाइम्स, दिल्ली में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार नदीम की एफबी वॉल से.

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https://www.youtube.com/watch?v=55NezS4H4_4

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2 Comments

2 Comments

  1. BRIJESH

    June 28, 2018 at 7:03 am

    बिलकुल सही कहा आदरणीय नदीम जी क्योकिं वर्तमान में चैनल और पोर्टल सहित कुछ बहुत अखबारों की भरमार है जिसमें पत्रकारिता तो की जाती है परन्तु आड़े\हे से ज्यादा हवा हवाई साबित होती है जिसकी वजह से कभी हर खबर पर नजर बनाने वाली सरकार या जिम्मेदार ऐसे रिपोर्टिंग पर विचार तो दूर चर्चा करना भी पसंद नहीं करते,,, फिर फॉलोअप तैयार होता है आखिर क्यों ध्यान नहीं दे रही सरकार

  2. AshokK Sharma

    June 29, 2018 at 8:29 am

    बेमिसाल विश्लेषण नदीम भाई को साधुवाद

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