श्याम मीरा सिंह-
पत्रकारों के बड़े संगठन- एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया, प्रेस क्लब ओफ़ इंडिया और विमन प्रेस कॉर्प ने भी 102 निर्दोष लोगों पर लगाए गए फ़र्ज़ी UAPA की निंदा की है.
छोटे छोटे बच्चों समेत 100 क़रीब मुस्लिमों पर UAPA लगाया गया, अपने आप को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और सामाजिक सौहार्द का दावा करने वाले भारत में ऐसा नहीं होना चाहिए कि इस उत्पीड़न का प्रतिरोध न हो. हर छोटी-बड़ी आवाज़ महत्वपूर्ण है.
आप सब मिलके प्रयास करेंगे तो ये छोटे छोटे बच्चे बच जाएँगे जिनका करियर भी शुरू नहीं हुआ।
रात के दो बजे ट्विटर से एक मेल मिला है. ट्विटर ने कहा है कि त्रिपुरा सरकार की पुलिस ने मेरे एकाउंट पर एक्शन लेने के लिए कहा है. त्रिपुरा सरकार ने कहा है कि मेरा ट्वीट “Tripura is Burning” भारत के एक क़ानून (IT Act) का उल्लंघन है. लेकिन ट्विटर को ऐसा नहीं लगता कि मैंने कोई अपराध किया है. इसलिए ट्विटर ने कहा है कि वो अपने यूज़र्स के साथ खड़ा है और उनकी आवाज़ डिफ़ेंड करने और सम्मान करने में विश्वास रखता है. इसलिए उसने त्रिपुरा सरकार के कहने पर भी मेरे एकाउंट पर एक्शन नहीं लिया है.
ट्विटर ने त्रिपुरा की भाजपा सरकार के आगे अपनी रीढ़ की हड्डी झुकाने से इनकार कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट की बारी है कि वो अपने नागरिकों के अधिकार के लिए कितना खड़ा होती है.
त्रिपुरा पुलिस ने 102 निर्दोष लोगों पर FIR की है, जिसमें सब के सब मुस्लिम बच्चे हैं अधिकतर उत्तर प्रदेश से हैं. ये कोई आरोप नहीं है तथ्य है. कलेक्टिव FIR की कॉपी है जो कि दस पेज की है. मीडिया में इसे क्लेम(आरोप) की तरह बताया गया इसलिए यहाँ इसका पहला पेज शेयर कर रहा हूँ. Tripura is Burning नाम के ट्वीट की लिंक इसी FIR और ट्विटर नोटिस में है. जबकि त्रिपुरा हाईकोर्ट ने खुद सरकार से पूछा था कि आपके त्रिपुरा में क्या हो रहा है.
कुछ नेताओं की प्रतिक्रियाएँ-