Sanjaya Kumar Singh-
द टेलीग्राफ की आज की पहली खबर… दिल्ली पुलिस : टूलकिट का मुख्य मकसद विधिवत चुनी गई सरकार के खिलाफ गलतफहमी और असंतोष फैलाना था..
अगर यह अपराध है तो भारत में इस संत के लिए भी परेशानी हो सकती है
इसके साथ अखबार ने प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी के भ्रम फैलाने वाले पुराने बयानों / सवालों का जिक्र किया है और उनपर टिप्पणी भी की है।
पहला बयान 13 मई 2013 का है – चीन अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है पर मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि भारतीय सेना भारतीय सीमा से वापस क्यों हो रही है? हम पीछे क्यों हटे?
इसके साथ अखबार ने लिखा है, जी हां, मोदी जी ने वास्तव में ऐसा कहा था। हालांकि अब यह यकीन करने लायक नहीं लगता है कि उन्होंने कभी चीन का नाम लिया होगा। अखबार ने पूछा है, ऐसा कहकर क्या वे उस समय की विधि पूर्वक चुनी गई सरकार के खिलाफ असंतोष नहीं पैदा कर रहे थे?
दूसरा बयान 23 मई 2012 का है – पेट्रोल की कीमत में भारी वृद्धि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की नाकामी का मुख्य उदाहरण है। इससे गुजरात पर सैकड़ों करोड़ का बोझ पड़ेगा।
इसके साथ अखबार ने लिखा है, गलतफहमी फैलाने का मामला लगता है खास कर मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ईंधन की कीमतों का जो हाल है, उस तथ्य के मद्देनजर।
तीसरा बयान टोरंटो में 2015 में दिया गया था – जिन्होंने गंदगी करनी थी वो कर के चले गए।
इसके साथ अखबार ने लिखा है, क्या यह विदेश में भारत को बदनाम करने की श्रेणी में नहीं आएगा खासकर तब जब मोदी राज में सरकार खुद को आराम से देश मान लेने और खुद के साथ पवित्र गाय जैसा व्यवहार करने की सहज प्रवृत्ति है।
इस सूचना के मद्देनजर क्या दिल्ली पुलिस से पूछा जा सकता है कि “तब कहां थी?” जाहिर है वह तब की सरकार का हुक्म बजा रही थी और अब अभी की सरकार का कहा मान रही है। अखबार भी यही कर रहे हैं इसलिए गलती उनकी नहीं है। वे भीड़ हैं, भीड़ से अलग होना सबके बूते का नहीं होता है।