संजय कुमार सिंह-

द टेलीग्राफ का आज का शीर्षक : माओं ने बेटे खो दिए, बेटियों ने पिता, और उधर सरकार बनी बैठी है बेहया।
वैसे, हमने इसे जानते-बूझते चुना है। हो सकता है चुनने वाले समझ रहे हों कि यह हमारे लिए अच्छी होगी। अगर आप अब भी ऐसा ही मानते हैं तो नीचे अमेरिका की खबर पढ़ लीजिए और साथ में जानिए कि दिल्ली दंगों पर भारत में क्या रुख है।
कल मैं किसान नेता राकेश टिकैत का एक वीडियो देख रहा था। उसमें वे साफ-साफ कह रहे हैं थे कि किसानों ने जब भाजपा को वोट दिया तब भ्रमित नहीं थे जो अब हो गए?
इसमें उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी से परेशान लोग नोटबंदी को नहीं समझे, जीएसटी से परेशान लोग जीएसटी नहीं समझे और अब किसान कानून से परेशान लोग इसे नहीं समझ रहे हैं पर सरकार लोगों को समझा पाई क्या?