Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

ज़बरदस्त है आज के ‘टेलीग्राफ’ अख़बार का फ़्रंट पेज

हिटलर का प्रत्यक्ष निवेश… हिटलर ने भी यहूदियों को “परजीवी” कहा था। प्रयोग जारी है। आपके अखबार नहीं बताएंगे।

लाल बहादुर सिंह-

बहाना ‘आन्दोलनजीवी ‘ हैं, पर निशाना तो किसान आंदोलन ही है ! गहन निराशा से निकला तंज ! क्योंकि देश में लोकतंत्र को बुलडोज़ करने के सारे प्रोजेक्ट्स को पोलिटिकल-सिविल सोसाइटी के लड़ाकों ने ध्वस्त कर दिया!

Advertisement. Scroll to continue reading.

ओम थानवी-

अफ़सोस की बात यही है कि आंदोलनजीवी जुमला तिरस्कार में प्रयोग किया गया है। वरना जैसे बुद्धिजीवी, श्रमजीवी या मसिजीवी वैसे ही जिनके प्राणों में आंदोलन से स्पंदन हो, जीवन का संचार हो उन्हें कोई आंदोलनजीवी कहना चाहें तो शौक़ से कह लेने दीजिए। मगर माफ़ीजीवियों को अपना ही वाग्जाल कब समझ पड़ता है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे, जिनका बुद्धि और श्रम से कोई लेना-देना नहीं उन्हें बुद्धिजीवी और श्रमजीवी भी कब सुहाए थे? जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन से आँख चुराई, माफ़ियाँ माँगीं, फिर अंगरेज़ों से साँठगाँठ की – उन्हें न कभी आज़ादी का जज़्बा रास आया, न आंदोलनजीविता (जीविका नहीं) का आएगा।

शब्दजाल परे कीजिए। यह बताइए कि संकेतों में किसान आंदोलन को (‘एफ़डीआइ’ जुमले में) “विदेशी विध्वंसक विचारधारा” वाला ठहराना दूसरे शब्दों में फिर से उसे खालिस्तानी अर्थात् देशद्रोही कहने जैसा ही नहीं है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

ज़रा देखिए असहिष्णुता और घृणा की रफ़्तार! सड़क के जुमले संसद तक!

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement