रमा सोलंकी-
एक गलती करता है और सब भोगते है। पत्रकार और जोकर में अंतर होता है। कभी स्टूडियो में नागिन बन जाओ, कभी कभी पुलिस की यूनिफार्म पहनकर क्राइम शो करने लगते है, तो कभी ख़ुद ऐस्ट्रोनॉइड बनकर प्राइम टाइम एंकर! अब छतरी एंकरिंग!
तमाशा करना था तो पूरा करते आप !!! जब छतरी ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी और मैडम एंकर हाई हील पहनकर तूफ़ान की रिपोर्टिंग कर रही थी तो दो-चार बाल्टी पानी इनके मुँह पर भी वो मार देती,थोड़ी देर इनको हवा में भी लटका देती और किसी खजूर के पेड़ पर अटका देती ~कि तूफ़ान में हमारी एंकर उड़ गईं। और एंकर को थोड़ी देर के लिए विक्रम बेताल की तरह उल्टा भी लटका देते, जिसने ये शो कॉन्सेप्ट डिज़ाइन किया उसको अर्नब को पुरस्कार देना चाहिए कि वो उसको भी पीछे छोड़ गई तमाशे में।
समाचार और नौटंकी के मंच का लिहाज़ कीजिए। अब ये छतरी एंकरिंग, जितना इस एंकर ने नाटक करने में ताक़त लगाई है उतना अगर ये पढ़ लिख कर तथ्यों पर अपनी बात रखती तो समझ आता की ये मीडिया है। और एक बात और स्पष्ट कर्मा चाहूँगी जो लोग मीडिया के अन्दर प्रोडक्शन को नहीं समझते उनके लिये- इसके जिसने कट करवाया, ये कॉन्सेप्ट दिया होगा और से एंकर को ये छतरी पकड़ाई होगी, वो मूर्ख दिमाग़ को भी ABCD…ऑफ प्रोडक्शन पढ़ना चाहिए।
ये तूफ़ान का शो है, गंभीर विषय है। इसको कॉमेडी शो बना दिया। मीडिया ओनर्स और मैनेजमेंट को सूचना चाहिए कि आपकी दुकान कोई नहीं चलाएगा बल्कि आपकी न्यूज़ चलाएगी। पत्रकारिता जैसा पेशा गंभीर और संवेदनशील होना चाहिए और आप लोगों की वजह से जो थोड़ी बहुत अच्छी पत्रकारिता कर रहें है उनको शर्म आती है कि आप उनकी जमात का हिस्सा है। अभी वक़्त है संभल जाइए कहीं ऐसा ना हो से देश में आपको बाइकॉट कर दिया जाये…और जिस विज्ञापन के लिये आप भीख माँगते है और जहां मार्केटिंग वाले अपने आपको संपादक और संपादक अपने आपको कंपनी का सीईओ समझता हैं और हाँ मलिक की नज़र में दोनों गधे साबित होते है। इसके ज़िम्मेदार ये ख़ुद होते है।
रिपब्लिक भारत को ही नहीं अन्य इस तरह की रिपोर्टिंग करने वेक चैनल्स को अब संभल जाना चाहिए-पहले रिया के मामले में असंवेदनशील मीडिया ट्रायल किया।( और मैं स्पष्ट कर दूँ कि किसी के पक्ष में क़तई नहीं हूँ मगर हमेशा एक लड़की होने के नाते सोचती हूँ कि अगर जो आपने उसके साथ तमाशा किया उसके परिवार को घसीटा वो आपकी। बेटी या घर की बच्ची के साथ होता, जब तक वो गुनहगार साबित नहीं होती उससे पहले !!! सोचियेगा)। फिर उसके बाद वो कूदा~कादी बंदर रिपोर्टिंग, वो भागता हुआ रिपोर्टर और उसको पकड़ता हुआ कैमरामैन !!! अब ये “छतरी उड़ी~मैं गिरी” रिपोर्टिंग। शर्म कीजिए प्लीज़। ये ध्यान दीजिये आप किस पेशे में है।
इसलिये तो कहते है काबिल लोगों को कमान दीजिए~ अगर आप मूर्ख है तो अपनी टीम में समझदार लोगों को रखिये ज़रूर।
बहरहाल !!! मुझे गर्व है कि मुझे पत्रकारिता के गुर सिखाने वाले बड़े संपादक थे जिनके लिए हिन्दी की बिंदी भी मायने रखती थी।
इससे बेहतर लोग कपिल शर्मा शो देखेंगे क्योंकि ये तो पता है ना की वो एक कॉमेडियन है आपकी तरह बहरूपिया नहीं है।
Akshar Satta
June 17, 2023 at 9:10 am
सत्य वचन