वेद रत्न शुक्ला-
दैनिक जागरण और आई-नेक्स्ट के गोरखपुर संस्करण में ताजा-ताजा इन्क्रीमेंट लगा है। इसके बाद कर्मचारियों में ‘कहीं खुशी कहीं गम’ का माहौल है।
आई-नेक्स्ट की हालत तो ज्यादा बुरी है। यहां सम्पादकीय विभाग के लोगों से मार्केटिंग और ब्रांडिंग का भी काम लिया जाता है। लेकिन अधिकांश को मिला है बाबा जी का ठुल्लू। जबकि कुछ के वेतन में ठीक-ठाक बढ़ोत्तरी हो गई है। कमोबेश दैनिक जागरण का भी यही हाल है। पत्रकार हैरान और परेशान हैं कि इन्क्रीमेंट का आखिर मानक क्या रहा?
संस्थान के सूत्रों ने बताया कि दैनिक जागरण परिसर में वेतन वृद्धि को लेकर एक अलग ही माहौल बना हुआ है। आई-नेक्स्ट दफ्तर में विज्ञापन व संपादकीय विभाग के कर्मचारी बेहद आक्रोशित हैं। संपादकीय विभाग में कार्य करने वाले कर्मचारी संपादकीय प्रभारी से नाराजगी तक व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि 12-14 घंटे तक कार्य कराने के बावजूद उचित वेतन वृद्धि नहीं हुई।
कुछ लोग अलग दरवाजा भी खटखटाना शुरू कर दिए हैं। गोरखपुर में आई-नेक्स्ट के प्रभारी शिशिर मिश्र हैं। कानपुर के रहने वाले मिश्र जी रीवां से चल कर आए हैं। वह हाड़तोड़ मेहनत कराने के लिए जाने जाते हैं।
वैसे भी अखबारों में क्षमता के मुताबिक कर्मचारी तो हैं नहीं। तिस पर रिपोर्टर से विज्ञापन भी मांगा जाए और साइकिल भी चलवाई जाए (साइक्लाथन) बिना किसी कमीशन वगैरह के तो स्थिति समझी जा सकती है।