Samar Anarya : स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी समेत भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या के सभी आरोपियों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया। दुहरा रहा हूँ- बाइज़्ज़त बरी, सबूतों के अभाव में नहीं। मामले की जाँच सीबीआई ने की थी।
सीबीआई केंद्र सरकार के मातहत काम काम करती है- सीधे प्रधानमंत्री के असल में। केंद्र में बीते 5 साल से भाजपा की सरकार है- मोदी प्रधानमंत्री हैं। भक्त लोग नेताओं के लिए जान लेते देते रहें- नेता लोग बहुत समझदार होते हैं। और हाँ- भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय को किसी ने नहीं मारा।
मैं भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या के आरोप से मुख़्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों के बरी हो जाने की ख़बर पर अपने भाजपाई मित्रों की ख़ामोशी देख रहा हूँ।
मतलब ठीक है कि प्रदेश देश दोनों में सरकार आपकी, जाँच करने वाली सीबीआई आपकी सरकार की- सो नेहरु गांधी या कांग्रेस को दोष देना संभव नहीं।
पर ऐसे अन्याय पर दुःख तो जता सकते हैं न, ऐतराज़ तो कर सकते हैं ना? इन आरोपियों ने नहीं मारा तो किसने मारा इसकी जाँच की माँग तो कर सकते हैं ना?
Ashwini Sharma : कृष्णानंद राय की हत्या की खबर को सबसे पहले सहारा न्यूज़ चैनल पर तब के बनारस ब्यूरो चीफ राजेश गुप्ता जी ने ब्रेक किया था। अच्छी तरह याद है मुंबई में घर में बैठे हुए तमाम न्यूज़ चैनलों को खंगालते हुए तब सहारा चैनल पर ही मेरी नज़रें थमी हुई थी। मौकए वारदात यानि गाज़ीपुर से राजेश जी पल पल की जानकारी दे रहे थे। वाकई कृष्णानंद के काफिले को घेर कर जिस तरह अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां बरसाता कर मौत का तांडव हुआ था वो दहशत से भर देने वाला था। एक दबंग विधायक की सरेआम हत्या ने भी सत्ता के गलियारे में खलबली मचा कर रख दी गई। मुख्य आरोपी मुख्तार अंसारी और शूटर मुन्ना बजरंगी ही बताए गए लेकिन इतने सालों बाद तमाम जिरह, पेशी के बाद जिस तरह से मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत तमाम आरोपियों को सीबीआई की अदालत ने निर्दोष करार दिया है तो सवाल मेरे भी जेहन में उठता है कि क्या झूठा मुकदमा चल रहा था या फिर सबूतों के अभाव में आरोपियों को राहत मिली या कृष्णानंद को किसी अदृश्य शक्ति ने मौत के घाट उतार दिया।
jai prakash Singh : भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में मंगलवार को दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। बता दें कि 2005 में भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, मंसूर अंसारी, संजीव माहेश्वरी, राकेश पांडे और रामू मल्लाह आरोपी थे, जिन्हें सीबीआई ने बुधवार को बरी करने के आदेश दिए।
यह था मामला- 29 नवम्बर 2005 को भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय पास के ही सोनाड़ी गांव में क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने के बाद वापस अपने गांव लौट रहे थे। करीब चार बजे बसनियां चट्टी पर उनके काफिले को घेरकर कुछ लोगों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसमें कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। जांच में पता चला था कि घटना को अंजाम देने के लिए एके-47 का इस्तेमाल किया गया था। मामले में विधायक मुख्तार अंसारी, जिले के सांसद रह चुके अफजाल अंसारी समेत मुन्ना बजरंगी और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्या मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साल 2005 में हुए इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारीऔर उनके भाई अफजाल अंसारी समेत संजीव माहेश्वरी , एजाजुल हक , राकेश पांडेय , रामू मल्लाह और मुन्ना बजरँगी को आरोपी बनाया गया था। पिछले साल नौ जुलाई की सुबह बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कृष्णानंद राय उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। 29 नवंबर, 2005 को कृष्णानंद राय और उनके छह समर्थकों की दिनदहाड़े एके-47 से अंधाधुंध गोलीबारी करके हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। पोस्टमार्टम में राय के शरीर में 21 गोलियां पाई गई थीं।
उल्लेखनीय है कि इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया था। हत्यारों को सजा दिलाने की मांग करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने चंदौली में धरना दिया था। बाद में इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया था। राय की पत्नी अल्का राय की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे। अब करीब 13 साल तक सुनवाई के बाद मुख्तार अंसारी को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया गया है।
मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। बसपा ने 2010 में मुख्तार को निकाल दिया था।साल 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। साल 2002 में और 2007 में निर्दल प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी। साल 2007 में वह दोबारा बसपा में शामिल हो गए। साल 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे।
अविनाश पांडेय उर्फ समर अनार्या, अश्विनी शर्मा और जेपी सिंह की टिप्पणियां.