यूपी की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला ऐसा लिया है जो बदनामी का सबब तो अभी से बनने लगा है, देर-सबेर सरकार को अदालत में जवाब देना पड़ सकता है. केंद्र सरकार की एडवाइजरी के बावजूद गुटखा पर से प्रतिबंध हटाने के बाद तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कोई इसे प्रदेश की परम चोर गुटका लॉबी की जीत बताते हुए कई सौ करोड़ की डील बता रहे हैं तो कुछ सरकारी खजाने में रेवेन्यू लाने के चक्कर में शराब के बाद गुटखा बिक्री पर से प्रतिबंध हटाने का सामान्य घटनाक्रम घोषित कर रहे.
जो लोग इसे गुटका लाबी द्वारा कई सौ करोड़ की रिश्वत परोसने के बाद मिली जीत बता रहे वो ये भी कह रहे कि भ्रष्ट अफसरों और तिकड़मी नेताओं की एक लॉबी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को गलत तरीके से कनवींस कर गुटखे से प्रतिबंध हटवा लिया लेकिन अब इस फैसले की चहुंओर किरकिरी हो रही है और इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं.
दैनिक जागरण में लंबे समय तक जनरल मैनेजर और स्थानीय संपादक रहे आगरा के वरिष्ठ पत्रकार सरोज अवस्थी ने तो फेसबुक पर साफ साफ लिख दिया है कि योगी जी को बिना भनक लगाए ही, या यूं कहें कि योगी जी की आंखों में धूल झोंककर अफसरों की एक लॉबी (जिसमें एक महिला नौकरशाह भी शामिल है) ने दो सौ करोड़ गुटखा लॉबी से हथिया लिया और योगी जी को ‘सरकारी खजाना भरने के लिए ये गुटका वाला बड़ा रेवेन्यू जरूरी है’ की बात समझाकर प्रतिबंध हटवा लिया.
देखें सरोज अवस्थी के एफबी स्टेटस के कुछ अंश (मानहानि का ध्यान रखते हुए स्क्रीनशॉट्स से वो हिस्सा हटा दिया गया है जिसमें महिला नौकरशाह समेत कई अफसरों के नामों का खुलासा है)
उपरोक्त बातों की सच्चाई और प्रामाणिकता को लेकर भड़ास4मीडिया अपनी तरफ से कोई दावा नहीं करता. उपरोक्त दावे कितने सच या कितने संदिग्ध हैं, ये जांच का विषय है. हमारी कोशिश बस ये बताने की है कि योगी सरकार के इस फैसले की मीडिया सर्किल और सत्ता के गलियारे में जितने मुंह उतनी व्याख्या हो रही है.
कहने वाले कहते हैं कि अगर योगी जी अपने स्तर से इस डील की जांच करवा लें तो कई बड़े नौकरशाह और कई तिकड़मी नेता नंगे हो सकते हैं. कहने वाले ये भी कहते हैं कि भले ही ये पूरा मामला तो सीबीआई जांच के लायक हो लेकिन सेंटर में तो भाजपा की ही सरकार है, ऐसे में जब सइंया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का!
भड़ास पर इस प्रकरण की खबर इसलिए प्रकाशित की रही है क्योंकि इस मामले में एक बड़ा डेवलपमेंट हुआ है. एक पत्रकार ने गुटका लॉबी की गंध और सरकार की करतूत के खिलाफ कोर्ट का सहारा लिया है.
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और 4पीएम सांध्य दैनिक के संपादक संजय शर्मा ने एक पीआईएल दाखिल कर दी है. इस पीआईएल में विस्तार से बताया गया है कि लॉक डाउन की अवधि में गुटखे पर से प्रतिबंध हटाना क्यों गलत है और क्यों नहीं इस फैसले को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए. पीआईएल की पूरी कापी भड़ास के पास भी है जिसके एक एक पन्ने को नीचे दिया जा रहा है-