-सत्येंद्र पीएस-
अर्णव गोस्वामी की पत्रकारिता नाज करने वाली बात है। एनडीटीवी से कैरियर शुरू करके वह आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, बहुत कम लोगों को यह नसीब होता है।
अर्णव जब देश के सबसे प्रभावशाली टाइम्स ग्रुप में आए तो पत्रकारिता में छा गए। मनमोहन सरकार के खिलाफ मुहिम में उन्होंने मुँहनोचवा बहस का ईजाद किया। उसमें एंकर और 4 एक्सपर्ट होते थे। एक एक्सपर्ट विपरीत विचार का होता था। उसे 3 एक्सपर्ट और एंकर मिलकर हरा देते थे। देश जीत जाता था और देशवासी खुश होकर चैनल की टीआरपी बढाते थे।
उसके बाद उन्होंने अपना हिंदी अंग्रेजी चैनल लॉन्च किया। पहले यह कहा जाता था कि टाइम्स ग्रुप के बैकप से टाइम्स नाऊ नम्बर वन बना था। लेकिन अपना चैनल शुरू करके भी अर्णव छा गए, उन्होंने इस पारी में ललकार पत्रकारिता तकनीक की खोज की। एनडीटीवी, टीवी टुडे, टाइम्स नाऊ, टीवी18 सहित तमाम देशी विदेशी पूंजी और बड़े स्टार वाले चैनलों के बीच अर्णव छा गए। वह देश की आवाज बन गए और लल्लू पंजू से लेकर शीर्ष तक के लोग अर्णव की चर्चा या विरोध करने लगे।
स्वाभाविक है कि विलक्षण प्रतिभा के अर्णव ने यूं ही हवा में लाठी भांजते हुए नहीं ललकारा था कि कहां है तू संजय राउत, कहा बिल में छिपा है ठाकरे, जो करना है वो कर ले। गिरफ्तार कर मुझे।
अब अर्णव को नया मुकाम मिल गया है और अंग्रेजी पत्रकारिता का अ या ई भी न जानने वाले अर्णव के नाम की माला जप रहे हैं। अर्णव अपने अगले टास्क के विजेता बनकर उभरे हैं। बकिया जो आम पत्रकार हैं वह तो लुटते, पिटते, कुटते ही रहते हैं।
अगले टास्क के लिए उन्हें अग्रिम शुभकामनाएं।