राघवेंद्र प्रताप सिंह-
कुछ दिन पहले बलिया में बोर्ड परीक्षा की संस्कृत और अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ। मामले में सर्वप्रथम डीएम, एसपी, एसएचओ, डीआईओएस और शिक्षा विभाग के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए थी। लेकिन डीएम की कुर्सी बची रहे कानूनी कायवाही दिखती रहे इसके लिए सिस्टम ने पेपर लीक की खबर लिखने वाले बलिया के पत्रकारों को ही पेपर लीक मामले में गिरफ्तार कर आजमगढ़ मंडलीय कारागार में भेज दिया। जो सरकार की निरंकुशता व अधिकारियों की मनमानी को दिखाता है। पहले कोरोना काल मे लगभग 64 पत्रकारों पर एफआईआर और अब खबर लिखने पर जेल ये तानाशाही है जो लोकतंत्र में स्वीकार नहीं हो सकता।
सरकारी सिस्टम में लखनऊ में ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग डीएम की गिरफ्तारी क्यों नहीं नहीं करा पा रहे ? मैं तो कहता हूँ कि बलिया ही नहीं प्रदेश के लगभग उन सभी जिले ( जो नकल के अड्डा के लिए कुख्यात हैं ) का डेटा क्यों नहीं इकट्ठा कर लेते कि किस जिले में कितने छात्र दूसरे राज्य से आकर परीक्षा दे रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल अभी तक यही बना हुआ है कि डीएम पर इतनी मेहरबानी क्यों है ? अभी तक उनका निलंबन क्यों नहीं हुआ ? अगर सोनभद्र, औरैया के डीएम नप सकते हैं तो फिर बलिया और गोरखपुर के डीएम क्यों नहीं ? बलिया के लोकल इंटेलिजेंस को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराया गया कि नहीं ? अगर नहीं तो क्यों ..? आज नहीं कल पेपर लीक की खबर लिखने वाले पत्रकार साथी जेल से बाहर आ ही जायेंगे, निर्दोष अगर जेल गया तो जेल भेजने वालों पर भी मानहानि का मुकदमा जरूर चलना चाहिए।
दूसरी खबर गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला व मजहबी नारा लगाने का है, जिसमें युवक के पास से नक्सा, रेकी करने व लैपटॉप पर कुछ चैट की पुष्टि हुई है। कल सुना कि एटीएस और एसटीएफ की टीम सक्रिय हो गई है, सवाल कई थे मन में पूछने के लिए लेकिन मेरे सवाल किसी को रास नहीं आते सो नहीं पूछा। लेकिन ….. जितनी आसानी से कहा गया उससे कैसे सहमत हुआ जा सकता है ? आला अधिकारी जिस गोरखनाथ मंदिर परिसर की बात कर रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उस मंदिर अर्थात गोरखनाथ पीठ के महंत हैं। मंदिर परिसर में ही उनका आवास भी है। ऐसे में मंदिर की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे ? और अभी तक किसी जिम्मेदार पर कार्यवाई क्यों नहीं किया गया ?
अगर नेपाल के रास्ते कोई आया महराजगंज जिला पार करते हुए गोरखनाथ मंदिर परिसर में हमला किया तो बॉर्डर पर तैनात इंटेलिजेंस के अधिकारी क्या कर रहे थे ? महराजगंज और गोरखपुर का प्रशासन और पुलिस किस कुम्भकर्णी नींद में सो रही थी ? इन जिम्मेवार अधिकारियों पर अभी तक कोई कायवाही क्यों नहीं हुई ? या यहां भी किसी पत्रकार की तलाश है ? मुख्यमंत्री द्वारा अपराधियों, माफियाओं पर लगातर बुलडोजर का कहर बरपाया जा रहा है तो ऐसे में तो सुरक्षा और चाक चौबंद रहनी चाहिए लेकिन ….नहीं। सब सिस्टम का आनंद लेने में जो मसगुल हैं। सरकार कोई भी हो सिस्टम के सत्य से सभी परिचित हैं। लेकिन सिस्टम जब अपनी चोरी छिपाने के लिए पत्रकारों के पीछे पड़ जाय और पत्रकारों के बड़े बड़े संगठन अप्रैल की गर्मी में बंद कमरे की एसी में शिमला महसूस करने लगे तो कलम के सिपाहियों को खुद ही एकजुट होकर सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो जाना चाहिए।
राघवेन्द्र प्रताप सिंह
वरिष्ठ पत्रकार
लखनऊ