संजय कुमार सिंह-
सर्विस टैक्स यानी सेवा कर जो असेवा और कुसेवा पर भी लगता है… एबीपी लाइव की एक खबर, ट्रेन, हवाई जहाज टिकट और होटल बुकिंग कैंसिल करने पर भरना पड़ेगा जुर्माना। इस खबर के अनुसार, ग्राहक ने बुकिंग से समय जो जीएसटी दर अदा किया था उसे कैंसिल करने पर उसी दर से कैंसिलेशन चार्ज पर जीएसटी टैक्स देना होगा। मोटे तौर पर इसका मतलब हुआ जीएसटी दे दिया तो दे दिया। पर असल में यह उससे भी आगे है। उदाहरण के लिए आपने 1000 रुपए का टिकट कटाया उसमें 50 रुपए जीएसटी लगा। कायदे से आप टिकट रद्द करा दें तो जीएसटी नहीं लगना चाहिए। क्योंकि जीएसटी उस सेवा शुल्क पर लिया गया था जिसे आपने किसी कारण से रद्द करा दिया। इस तरह ना आपने सेवा ली ना सेवा शुल्क दिया। इसलिए इसपर जीएसटी नहीं लगना चाहिए।
पांच अगस्त 2022 की इस खबर में स्पष्टीकरण है, अगर कोई व्यक्ति होटल, ट्रेन और हवाई जहाज की टिकट बुक कराने के बाद उसे कैंसिल करता है तो उसे टैक्स भरना पड़ेगा। सरकार ने इसे लेकर पूरी स्थिति साफ कर दी है। इस तरह स्थिति साफ करने का एक मतलब तो यह है कि आपने टिकट कटाने पर जो सर्विस टैक्स दिया था वह वापस नहीं होगा। दरअसल एक बार कोई कारोबारी टैक्स सरकारी खजाने में जमा करा दे तो वापस कैसे करेगा। वापस लेने का नियम होगा तो उसका दुरुपयोग होगा। सरकार अपने अधिकारियों-कर्मचारियों की नालायकी और भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगा सकती है तो टैक्स वापसी पर ही रोक है। इस तरह आपने जो सेवा नहीं ली उसपर भी भारत में सेवा कर लग रहा है, लगेगा। जय हो।
लेकिन बात इतनी ही नहीं है। इस स्पष्टीकरण का एक मतलब यह भी हुआ कि आपने अगर दस हजार रुपए रोज के हिसाब से एक हफ्ते के लिए होटल का कमरा बुक कराया और 70 हजार रुपए दिए तो उसपर 28 या 18 प्रतिशत के हिसाब से जो टैक्स लगेगा वह तो वापस नहीं ही होगा। अगर शर्त के अनुसार आपने रद्द कराने के लिए एक चौथाई भी जुर्माना दिया और वह अगर 15-20 हजार रुपए हुआ तो उसपर भी जीएसटी लगेगा। कायदे से आपने जब बुकिंग कराया तो टैक्स दिया ही था और रद्द करने के लिए जो राशि कटती उसपर टैक्स नहीं लगना चाहिए क्योंकि सेवा ली ही नहीं गई और टैक्स तो फिर भी लौट नहीं रहा है। लेकिन इस खबर से जो स्थिति साफ हुई है उससे लग रहा है कि दोबारा कैंसिलेशन चार्ज पर भी सेवा कर लगेगा क्योंकि आपने कैंसिल कराने की सेवा का उपभोग किया है।
कारोबारी आम तौर पर ऐसे लफड़ों में नहीं पड़ते हैं और ये तो टैक्स है जी कहकर ज्यादा ही पैसे लेते हैं, कम कभी नहीं। अब नए टैक्स का स्पष्टीकरण मिलने के बाद कल ही मैंने देखा कि मेरा टिकट वेटिंग में जहां था वही है तो मैंने दूसरा टिकट लिया। पहले सोचा था कि लौटने का कंफर्म नहीं हुआ तो नहीं जाउंगा या फ्लाइट से लौटूंगा। फ्लाइट के अपने झंझट हैं तो मैंने एक और वेटिंग का टिकट ले लिया। अगर कंफर्म नहीं हुआ तो एक और दोनों नहीं हुआ तो दोनों लौटाउंगा – दोनों पर सर्विस टैक्स भी दूंगा। चूंकि वेटिंग है इसलिए रेलवे कोई चार्ज नहीं लेगा पर सरकार को आरक्षण नहीं देने, ट्रेन कम चलाने के भी पैसे मिल रहे हैं, कमाई हो रही है। मेरा पैसा मुफ्त में फंसा रहा सो अलग। यही है अच्छे दिन। हर हर मोदी, घर-घर मोदी जैसे नारों का नकद लाभ।