राजीव शर्मा-
अंग्रेज़ी के बढ़ते प्रभाव के कारण कई लोग हिंदी/संस्कृत के मूल नामों को भी बदल देते हैं। जैसे- ‘राम’ को ‘रामा’ यानी ‘Rama’ लिख दिया जाता है। इससे नाम का अर्थ पूरी तरह बदल जाता है। यहाँ तक कि ज़्यादातर लोगों को पता नहीं होगा कि ‘रामा’ का अर्थ क्या होता है, लेकिन अंग्रेज़ी प्रभाव में ‘राम’ को ‘रामा’ स्वीकार कर लिया जाता है।
‘राम’ के बारे में हम सब जानते हैं। यह राजा दशरथजी के सुपुत्र ‘श्रीराम’ का नाम है।
‘रामा’ का अर्थ होता है- बहुत सुंदर महिला। इसी प्रकार, जो महिला नाच-गान में बहुत महारत रखती हो, उसे भी रामा कहा जाता है।
विद्वानों ने तुलसी के एक प्रकार का नाम ‘रामा’ बताया है। वहीं, सीता, लक्ष्मी, रुक्मिणी का एक नाम रामा मिलता है।
‘कृष्ण’ और ‘कृष्णा’
दो शब्द हैं – ‘कृष्ण’ और ‘कृष्णा’, जिन्हें भूलवश एक समझ लिया जाता है। लोग अभिवादन करते हुए ‘जय श्री कृष्णा’ बोलते हैं। यहाँ तक कि कृष्ण जन्माष्टमी पर भेजे जाने वाले वॉट्सऐप मैसेज और एसएमएस में भी ‘कृष्ण’ को ‘कृष्णा’ लिख देते हैं।
ये दोनों संस्कृत के शब्द हैं। ‘कृष्ण’ पुल्लिंग है और ‘कृष्णा’ स्त्रीलिंग है। ‘कृष्ण’ का अर्थ है- काला, श्याम, देवकी/यशोदा के पुत्र श्रीकृष्ण। कृष्ण से कृष्णपक्ष बना है, जो महीने में अंधेरे का पखवाड़ा कहलाता है।
‘कृष्णा’ का अर्थ है- द्रौपदी, जो महाभारत काल में राजा द्रुपद की पुत्री थीं।
इस तरह कृष्ण और कृष्णा में अंतर है। नामों के अंग्रेज़ीकरण के कारण ये दोनों एक जैसे लगते हैं।
योग को योगा, विवेकानंद को विवेकानंदा, आर्य को आर्या भी लिखा और बोल दिया जाता है। शुक्र है, अभी तक ‘रबड़’ इस प्रयोग से सुरक्षित है वरना उसे भी रबड़ी या रबड़ा बना दिया जाता। फिर तो यह मिटाने से ज़्यादा खाने के काम आता!
.. राजीव शर्मा ..
जयपुर