Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

आर्थिक महाशक्ति बनता भारत : इसे इकोनॉमी के टर्म में कहते हैं स्नोबॉल इफेक्ट!

सुभाष सिंह सुमन-

अभी कुछ रोज पहले एक रिपोर्ट आई. Goldman Sachs की रिपोर्ट थी, जिसकी देयी-विदेशी मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई. रिपोर्ट में हमारे मतलब की बात ये है कि भारत इकोनॉमी के हिसाब से 2075 तक अमेरिका से आगे निकल सकता है. तब भारत की इकोनॉमी होगी 52.5 ट्रिलियन डॉलर की और अमेरिका होगा 51.5 ट्रिलियन डॉलर पर. हमसे आगे सिर्फ चीन होगा, 57 ट्रिलियन डॉलर पर. मतलब एक बार फिर से चीन और भारत नेक-टू-नेक मुकाबले में होंगे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरा मुद्दा ये बिलकुल नहीं है कि गोल्डमैन का अनुमान कितना सही है… आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं. बस कुछ आंकड़े देख लीजिए. 2007 में हम एक ट्रिलियन डॉलर के हुए. उसके बाद 2 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने में 7 साल लगे, मने 2014 में यह हासिल हुआ. 3 ट्रिलियन डॉलर का बने 2021 में, मने फिर एक ट्रिलियन डॉलर जोड़ने में 7 साल लगे. इस साल के अंत तक हम 4 ट्रिलियन डॉलर के मार्क को हासिल कर लेंगे, मने इस बार 1 ट्रिलियन डॉलर बढ़ने में सिर्फ 2 साल लग रहे हैं. ये जो अचानक से स्पीड बढ़ रही है और गियर बदल रहा है, इसे इकोनॉमी के टर्म में कहते हैं स्नोबॉल इफेक्ट.

स्नोबॉल इफेक्ट को समझिये. एक बड़ा सा बर्फ का गोला है, एवरेस्ट से लुढ़क रहा है. वह जितनी दफा एक बार गोल घूमेगा, साइज डबल-ट्रिपल के रेशियो में बड़ा होता जाएगा. भारत की अर्थव्यवस्था अभी यही स्नोबॉल है, जो हर गोल चक्कर पूरा करते ही बढ़ रही है. जैसे-जैसे साइज बढ़ेगा, घूमने की रफ्तार भी बढ़ेगी, मतलब 3 ट्रिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर का होने में जितना समय लग रहा है, उससे कम 4 से 5 होने में लगेगा. बशर्ते रास्ते में कोई बंप न मिल जाए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आपको मानना हो तो मानिए और गोल्डमैन के अनुमान से सहमत हो लीजिए. न भी होंगे तो उससे न भारत की सेहत प्रभावित होगी, न गोल्डमैन का अनुमान. नहीं मानने वाले ये भी नहीं मानते थे कि 2023 में भारत 4 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा और 2025 से पहले 5 ट्रिलियन हो जाना भी नहीं मान रहे हैं. इस बारे में बहस करना बेकार बात है… समय बर्बाद करने वाली बात. मुझे ये सब लिखने का मन कुछ और कारण से हुआ है. मेरे मन में सवाल ये चल रहा था कि इंडियन इकोनॉमी को स्नोबॉल बनने में इतना समय क्यों लग गया, जबकि आज से 60 साल पहले भारत और चीन में नेक-टू-नेक वाला मामला था? चीन बहुत पहले स्नोबॉल बन गया, लेकिन भारत क्यों चूक गया और फिर पीछे छूटता ही चला गया… इतना पीछे कि आज चीन की इकोनॉमी भारत की तुलना में करीब 5 गुणी बड़ी है?

इस बारे में खोजना शुरू किए तो चीजें साफ होती चली गईं. आपको भी जानने का मन हो तो मेरे साथ चलिए सन 1962 में, जब भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष युद्ध हुआ… और भारत के हिस्से शर्मनाक हार आई. 1962 में चीन की इकोनॉमी का साइज 4800 करोड़ डॉलर से कुछ कम और भारत का 4300 करोड़ डॉलर से कुछ ज्यादा. मने 400-450 करोड़ डॉलर का गैप. जापान 6,250 करोड़ डॉलर के साथ एशिया में टॉप पर था. 1965 में चीन-भारत का गैप बढ़कर 1000 करोड़ डॉलर का हो गया. अगले साल 1966 में भारत की जीडीपी का साइज कम होकर फिर 4,500 करोड़ डॉलर पर आ गया, जबकि चीन 7600 करोड़ को पार कर गया. 1972 में चीन 10 हजार करोड़ का बन गया, हम 6,800 करोड़ पर पहुंचे. 1987-88 में एक समय ऐसा आया कि हम एशिया में चौथे स्थान पर चले गए और ईरान हमसे आगे तीसरे पर. 1991 में भारत और गिरकर पांचवें पर, दक्षिण कोरिया भी हमसे आगे. 1995 में चीन हमसे डबल हुआ. यहीं पर चीन स्नोबॉल बन रहा था. 1998 में चीन 1 ट्रिलियन डॉलर का बना. अगले 7 साल में चीन डबल होकर 2 ट्रिलियन डॉलर हो गया, फिर 2007 में जब हम 1 ट्रिलियन के हुए, चीन 3 ट्रिलियन के पार. 2008 में ही चीन 4.5 ट्रिलियन के पार हुआ, फिर 2010 में 6 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान से आगे. अभी 20 ट्रिलियन डॉलर पर है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहुत आंकड़े हो गए. सब्जेक्ट की डिमांड है. अब मूल सवाल कि भारत कहां-कहां पीछे छूटा? तो भारत सबसे पहले पीछे छूटा गुटनिरपेक्षता और स्टेट्समैन बनने के लोभ में. इसी लोभ में कैपिटलिज्म और सोशलिज्म की ऐसी खिचड़ी बनी कि उसे खाते-खाते भारत बीमार हो गया. चीन ने 1978 में समझ लिया कि सोशलिज्म की खुराक इकोनॉमी को बीमार बनाती है. देंग शियापिंग ने चीन का जो इलाज 1978 में किया, भारत को दवा की वह खुराक मिली नरसिम्हा राव से…1991 में. कुछ इकोनॉमिस्ट कहते हैं कि भारत राजनीतिक रूप से भले 1947 में आजाद हुआ, आर्थिक रूप से आजादी मिली 1991 में. 47 से 91 के बीच में सोशलिज्म, नेशनलाइजेशन जैसी बीमारियों ने प्राइवेट कैपिटल को पनपने नहीं दिया, जबकि कम्युनिस्ट चीन उसी समय प्राइवेट कैपिटल को पाल-पोष कर जवान बना रहा था.

अभी भारत की अर्थव्यवस्था उस जगह पर है, जहां पर चीन आज से 15 साल पहले था. 1962 में चीन और भारत जिस तुलनात्मक स्थिति में थे, वह स्थिति वापस बहाल होगी 2070 के भी बाद. कारण? जवाब है- चीन को जिस गलती का एहसास 30 साल में हुआ, भारत को उसे समझने में 55 साल लग गए. बीच के 20-25 साल खासकर 1970 से 1990 वाला फेज बहुत भारी पड़ा. उन 20 सालों में इकोनॉमी के लिहाज से क्या-क्या हुआ, उसे तीन कांड से समराइज कर सकते हैं- बैंकों का राष्ट्रीयकरण, एअर इंडिया का राष्ट्रीयकरण और मारुति कंपनी (इसी प्रकरण में गुरुग्राम भी शामिल है). ये 3 चीज समझ गए तो सब समझ आ जाएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर भारत भविष्य में आर्थिक शक्ति बनता है, तो उसमें नरसिम्हा राव का योगदान सबसे बड़ा होगा. और जब निर्मम होकर इकोनॉमी के हिसाब से इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें बताया जाएगा कि कुछ गिने-चुने लोगों की गलती इतनी भारी पड़ी कि गैप को भरने में भारत को 100 साल से ज्यादा लग गए. खैर…

आने वाले साल बिना किसी शक के एशिया के होने वाले हैं. यूरोप के दिन लद चुके हैं. सिर्फ टूरिज्म से घोड़ा रेस में लंबा नहीं दौड़ पाएगा. अमेरिका उस स्टेज में पहुंच रहा है, जहां 100 साल पहले ब्रिटेन था. अंग्रेजी में इस स्थिति को Beginning of the End कहा जाता है. इस वाले ‘क्यों’ के बहस में आज नहीं पड़ना. इससे बेहतर चीजें हैं बात करने के लिए. जैसे- ईरान एक समय चीन से भी आगे निकल गया था, आज एशिया के भी टॉप-10 में नहीं है…क्यों? जापान करीब 40 साल से 5-7 ट्रिलियन डॉलर में ही क्यों अटका हुआ है? कभी फुर्सत में इन चीजों पर भी बात करेंगे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

(शेयर-कॉपी-पेस्ट कर सकते हैं, पूछने की जरूरत नहीं है. जीडीपी के ऐतिहासिक आंकड़े आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के हवाले से हैं, जो हर किसी के लिए फ्री में उपलब्ध हैं. इस पोस्ट पर बहस नहीं करेंगे. यह सब्जेक्ट और डिटेलिंग मांगता है.)

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement