पंकज मिश्रा-
एक बार चीन के एयर स्पेस में अमरीकी जहाज चले गए थे , चीन ने जहाज उतरवा कर पायलटों को बंधक बना लिया , अमरीका ने गलती के लिए माफी मांगी तब कई दिन बाद पायलटों को छोड़ा।
शुक्र है हमारी मिसाइल गलती से पाकिस्तान की तरफ चल गई कहीं अगर चीन की तरफ चल गई होती तो मिसाइल तो अपना काम कर जाती मगर तब चीन भी पक्का इससे भी भयंकर गलती करता।
इसलिए सामरिक मामलों में गफलत की गुंजाइश नही रहती …. आप उतनी ही गफलत अफोर्ड कर सकते है जितना दुश्मन आपसे कमजोर या मजबूत है।
समर अनार्या-
तो साहिबान- 9 मार्च को जब पूरा देश मतगणना का इंतज़ार कर रहा था, भारत ने पाकिस्तान पर “गलती” से एक सुपरसोनिक मिसाइल दाग दी। पाकिस्तान के कहने पर पहले माना नहीं- फिर कल स्वीकारा और बोला शुक्र है कि जान माल का कोई नुक़सान नहीं हुआ।
लग भी टेकनिकल गलती ही रही है। सिरसा से दागी गई लग रही है- वह भी बिना सूचना या तैयारी क्योंकि 2005 की संधि के बाद से ही भारत और पाकिस्तान दोनों बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के लिए एक दूसरे को सूचना देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनी रूप से बाध्य हैं।
यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि दोनों देशों की वायुसेना में तमाम देशों की सैंकड़ों नागरिक उड़ानें भी होतीं हैं- शुक्र है उनमें से कोई नहीं उड़ गयी!
दूसरे इसलिए भी कि शायद महाजन एयर फ़ील्ड के लिए निकली थी- बीच रास्ते आसमान में रास्ता बदल पाकिस्तानी सीमा में 172 किलोमीटर अंदर कैसे घुस गई जब की इन मिसाइलों में कोऑर्डिनेट्स (निशाना और रास्ता) पहले से निर्धारित होते हैं।
तीसरे- भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस घटना को बहुत शांतिपूर्ण और मैच्योर ढंग से हल किया- दोनों में केंद्रीय चुनाव अभी दूर हैं। किसी उकसावे में कोई कार्रवाई नहीं की। वैसे बालाकोट की ही तरह इस मिसाइल के तुरंत बाद भी हमारा एक युद्धक हेलीकॉप्टर गिर गया।
पर ये गलती लद्दाख़ में जारी चीन सीमा पर हो जाती तो क्या होता?
पर सबसे बड़ा सवाल है भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि काः पाकिस्तान पूछ रहा है कि क्या हम अपनी बैलिस्टिक मिसाइल बिना उकसावे या तनाव के भी पाकिस्तानी निशानों पर रखते हैं? चीन भी ये पूछ सकता है और हमें अंतर्राष्ट्रीय फ़ोरम में जवाब देना होगा!
जो भी हो, साफ़ है कि चुनावजीवी सरकार में देश राम भरोसे ही चल रहा है।