
सत्येंद्र पी सिंह-
हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप पर मुख्य रूप से दो आरोप लगाए हैं. शेल कंपनी बनाकर इनसाइडर ट्रेडिंग कराई गई है, जिससे उसकी बाजार पूंजी बढ़ी. दूसरा, बाजार पूंजी ज्यादा दिखाकर कंपनी की औकात से ज्यादा ऋण लिया.
अदाणी के शेयर पिट रहे हैं. बहुत-से लोग इससे खुश हैं. इस शेयर पिटाई से अदाणी ग्रुप पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. केवल शेयर बाजार के चिल्लर निवेशक बर्बाद हो रहे हैं. अदाणी को नुकसान तब होगा, जब कंपनियों पर आरोपों की जांच कर सरकार अदाणी के धंधे पर ताला जडवा दे और अदाणी को जेल में डाल दे. ऐसा कुछ होने वाला नहीं है.
कर्ज देने वाले बैंकों को भी तभी नुकसान होगा, जब अदाणी ग्रुप पर ताला जड़ दिया जाए. वर्ना बैंकों के शेयर गिरने से वही बेचारे चिल्लर निवेशक बर्बाद होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नसीब वाले हैं. अदाणी कांड या विमान खरीद कांड या जो भी हो रहा है, उसका उनकी सेहत पर घंटा कोई असर नहीं पड़ने वाला है. मोदी जी का कोई विकल्प नहीं है, देश रहे चाहे खत्म हो जाए.
इंसाइडर ट्रेडिंग भारतीय शेयर बाजार का एक फेनामेना है. इसके अलावा इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स भी खेल करते हैं. यह लोग किसी शेयर में महीने-दो महीने पैसे लगाते हैं. उसके बाद पब्लिक उस शेयर की तरफ भागती है. जब पब्लिक उस शेयर का टंपू हाई कर देती है तो ये बड़े निवेशक धीरे धीरे करके पैसे खींच लेते हैं और बेचारे टाइप चिल्लर निवेशक हुटुकते रह जाते हैं कि शेयर का भाव कुछ बढ़े, जिससे उन्हें भी मुनाफा हो जाए.
इसके अलावा विशेषज्ञ बिठाकर, विशेषज्ञों से लिखवाकर कंपनियों का बेसिक्स बेहतर कहलवाया जाता है और उनके शेयरों की तरफ चिल्लर निवेशक पगलाकर टूट पड़ते हैं. उन शेयरों के दाम भी औकात से ज्यादा बढ़ जाते हैं.
तमाम शेयरों के दाम औकात से ऊपर बढ़े हैं, जिसमें आम जंता ने पगलाकर निवेश कर दिया है. वह भी बारी बारी से गिरते रहते हैं और आगे भी गिरते रहेंगे. इसमें नयापन कुछ नहीं है.