कृष्णन अय्यर-
Fitch नामक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने अडानी ग्रुप की सफलता की पोल खोल दी है..अडानी के कर्ज़ और इनकम की असमानता की बखिया उधेड़ दी है..मैं Fitch के डेटा लिख रहा हूँ जो Fitch ने अडानी की बैलेंसशीट से लिए है..(आंकड़ों की ज़िम्मेदारी Fitch की है..पर आंकड़े 100% ऑथेंटिक हैं)।
- Fitch ने अडानी के “ग्रॉस कर्ज़” को “ग्रॉस कमाई” से तुलना की है..(ग्रॉस कर्ज़ ÷ ग्रॉस कमाई) = कर्ज़ कमाई का कितना गुना है..
- कर्ज़ कमाई का जितना ज़्यादा होगा कंपनी उतनी ज़्यादा ख़तरनाक होगी..जनरली कर्ज़ कमाई का 1.5 – 2.5 गुना होने पर ठीकठाक माना जाता है..(कर्ज़ करोड़ रुपयों में है)
कंपनी कर्ज़ ग्रॉस कमाई का
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अडानी Ent 41,600 10.4 गुना
अडानी ग्रीन 52,800 15.1 गुना
अडानी पोर्ट 47,400 4.80 गुना
अडानी पॉवर 58,200 5.90 गुना
अडानी गैस 1,000 1.30 गुना
अडानी ट्रांस 29,900 7.10 गुना
ऊपर के आंकड़ों से एक उदाहरण : अडानी Ent की ग्रॉस कमाई 4160 करोड़ है और कर्ज़ 41,600 करोड़ है..ऐसा खेल कैसिनो में होता है..(अडानी ग्रुप को कैसिनो नहीं बोला है)
इसका सीधा सा अर्थ है : अगर अडानी की कमाई ज़रा सी भी गिरती है तो कर्ज़ का दबाव इतना बढ़ेगा कि कर्ज़ का डूबना तय है..कर्ज़ चुकाना दूर की बात है, अडानी कर्ज़ का ब्याज भी नहीं चुका पाएगा..अडानी देश की इकॉनमी को ले कर डूबेगा..
अब मुझे बताने में कोई संकोच नहीं है मैंने भी कुछ इसी तरह के 15 पैरामीटर पर अडानी को परखा था और पोस्ट लिखी थी..पर वो मेरा व्यक्तिगत रिसर्च था और मेरी कंपनी का कोई लेनादेना नही था..(Fitch की रिपोर्ट आने एकदिन पहले लिखा था..पोस्ट को 24 घन्टे ही हुए है)
ख़ैर, एक बात साफ़ है इस वक़्त हम रिस्क को समझ तो रहे हैं पर मान नहीं रहे हैं…जब तक मानेंगे तबतक कुछ नहीं बचेगा..देश के भविष्य की शुभकामनाएं देने से भी डर लगने लगा है…
श्याम सिंह रावत-
मियां की जूती मियां के सिर!
देश के बैंकों में जमा धन जनता की अमानत है जिसे एक व्यक्ति को दुनिया का सबसे बड़ा धनवान बनाने के लिए उस पर लुटाया जा रहा है। उसे अरबों-खरबों रुपए के कर्जे न सिर्फ यों ही दे दिये जा रहे हैं बल्कि उसका एक बड़ा हिस्सा माफ भी कर दिया गया है। जिसकी भरपाई जनता पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर की जा रही है।
इस तरह मियां की जूती मियां के सिर पर ही बजाते हुए राष्ट्रवाद का भजन-कीर्तन जारी है।
अडाणी समूह की लगातार ऐसी ‘स्पून फीडिंग’ कर उसे बैंकों में जमा जनता के 2.30 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ा देने पर देश के जागरूक नागरिक चिंता जताते रहे हैं क्योंकि बैंकों का कर्ज डूबने की स्थिति में आम नागरिकों को नुकसान होगा।
लेकिन खुद को इस देश का शहंशाह समझने वाले सनकी मुहम्मद तुगलक के दिमाग में जनता की अमानत (पूंजी) अपने इस दोस्त को सौंपकर उसका एहसान चुकाने की ज़िद सवार हो गई है।
मणिशंकर अय्यर साहब, आप सौ फीसदी सही थे।