नवनीत चतुर्वेदी-
मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी एक eye wash हैं, इस प्रकरण मे केजरीवाल औऱ मोदी सरकार की मिली जुली नूराकुश्ती हैं.
गिरफ़्तारी होने की अटकले पिछले छह माह से भी अधिक समय से चल रही थी लेकिन उचित मुहूर्त का इंतजार किया गया औऱ वर्तमान से अधिक अच्छा मुहूर्त कोई औऱ हो भी नहीं सकता था.
Note..
न तो सिसोदिया ईमानदार हैं औऱ न ही शहीद हुए हैं वो सिर्फ केजरीवाल का शिकार हुए हैं.
समर अनार्या-
परसों तक जिनका नाम भी चार्जशीट में नहीं था उन मनीष सिसौदिया की गिरफ़्तारी दुर्भाग्यपूर्ण है। बाक़ी ये मामला इसी पर नहीं रुकेगा, अभी तो मीडिया आपको वार्डरोब मालफंक्शन तक ले जाने की कोशिश भी कर सकता है।
आप अपना ध्यान अदानी के मारीशस वाले सच पर केंद्रित किए रहिए। आज भी लथेड़ लथेड़ मारा गया है। कुल जमा कोशिश ही इसी से ध्यान हटाने की है।
नितिन त्रिपाठी-
दिल्ली के लिकर घोटाले की ख़ास बात यह है कि यह उन केसेज में है जो बिलकुल ओपन शट हैं. ठेकेदारों का कमीशन 2.5 से 12% किया गया. 6% रिश्वत लिया गया. सरकारी ठेकों को प्राइवेट को दिया गया. टैक्स कम किया गया. और इन सबसे जिनको फ़ायदा मिला वह आप के स्थानीय नेता थे. लपेटे में टीआरएस के दामाद जी भी हैं. सिसोदिया के साथ इनकी होटलों में मीटिंग होती थीं. घर पर आकर रुकते थे. सिसोदिया इनसे हर बार नए फ़ोन से बात करता था. सारे सबूत सीबीआई के पास हैं.
वैसे सबूत अपनी जगह, दिल्ली के हर वोटर को पता है, हर आप के कार्यकर्ता को पता है और हर भाजपाई को पता है घोटाला हुआ है, सर जी के खाने का तरीक़ा भी अब सब समझते हैं.
भारत में सामान्य समय में भ्रष्टाचार कभी चुनावी मुद्दा नहीं होता. वोटर के ऊपर चाबन्नी बराबर फ़र्क़ नहीं पड़ता, उन्हें उनका हिस्सा फ्री बिजली पानी मिल जाये. आप के कार्यकर्ताओं को उनका हिस्सा मिल जाये वह भी ज़िंदाबाद नारे लगायेंगे, हमे चाहिए लोकपाल की टोपी पहनायेंगे.
अब बड़ा प्रश्न है सिसोदिया का क्या होगा? गर्दन सिसोदिया की फँसी और प्रायः अनुभवी नेता अपनी गर्दन इस तरह नहीं फँसाते. सर जी के लिए सिसोदिया की यूटलिटी समाप्त है, वह इनकी क़ुर्बानी का पोलिटिकल माईलेज ले लेंगे, भारत में कमाई हो रही हो उस पोस्ट को ऑक्यूपी कर शहीद होने के लिये शिसोदिया जैसे पचास तैयार रहते हैं.
भाजपा के ऐंगल से पोलिटिकली स्पीकिंग वर्थ इट नहीं है शिसोदिया को फँसाना. किंगपिन सर जी हैं सबको पता है. पब्लिक की सेहत पर ऐसे भ्रष्टाचार से फ़र्क़ पड़ना नहीं तो राजनैतिक रूप से सिसोदिया को शहीद होने देना राजनीति नहीं. हाँ ये है कि सिसोदिया की गर्दन दबा कर सर जी को घेर कर रखा जाये. लंबे समय के लिये जैसे अखिलेश, मायावती जैसे नेता हैं वैसे ही एक और भ्रष्ट नेता अब क़ाबू में रहेगा.
बाक़ी फिर वह हमारे यहाँ कहावत कही गई है ऐसे केस में कोई फँस जाये तो उसे मारो कम घिसलाओ ज्यादा.
अमिताभ ठाकुर-
मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी के संबंध में अब तक सामने आए तथ्य तथा सीबीआई द्वारा जानबूझकर लीक कराए गए सबूतों से प्रथम दृष्टया मनीष सिसोदिया के खिलाफ की गई कार्यवाही विधिसम्मत जान पड़ती है, किंतु ऐसा क्यों है कि सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी को सिर्फ और सिर्फ विपक्षी दल के नेता और सत्ता के आलोचक की नजर आते हैं और मात्र उन्हीं के खिलाफ कार्यवाही होती है। इस प्रकार उन्होंने इस कार्यवाही को विधिक रुप से सही होने के बाद भी मूल रूप से राजनीति से प्रेरित होना बताया।