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उत्तराखंड

गड़बड़ियों पर एम्स ऋषिकेश के निदेशक से स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगा जवाब

एक बार फिर एम्स ऋषिकेश पर जांच की तलवार लटक गई है। एम्स ऋषिकेश में हो रहे भ्रष्टाचार व बहुत से आरोपों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत द्वारा निदेशक एम्स ऋषिकेश को जवाब देने के लिए एक पत्र निर्देशित किया गया है।

  1. नियमित पदों में की गई नियुक्तियों पर बहुत से सवाल पहले से ही उठते आ रहे हैं और अब जवाब मांगा गया है, जिसमें किस तरह से कुछ खास लोगों को नियमित नियुक्त किया गया और परीक्षा में उनके लगभग 100% अंक प्राप्त हुए I ऐसा ही IT प्रोग्रामर जी नियुक्ति में भी देखा गया जहां 2 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी और जहां पहले से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी अनुराग शुक्ला को 96% अंक प्राप्त हुए और यह आश्चर्य ही है कि उसके बाद एक भी कर्मचारी 60% क्वालीफाइंग अंक प्राप्त नहीं कर पाया I पहले भी एक शिकायत हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नाम लिखा गया था जिसमें अनुराग शुक्ला का नियमित होना पहले से ही तय बताया जा रहा था, इसका पूरा परिवार जिसमें आकांक्षा शुक्ला, अंकिता मिश्रा, अंशिका मिश्रा पहले ही नियमित हो चुके हैं I ऐसे ही बहुत से नाम है जिनकी नियमित नियुक्ति पर निरंतर सवाल उठते जा रहे हैं : सुभाष चौहान, विक्रम सिंह, संजय त्रिपाठी, अर्चना जोशी, आजिओ उन्नीकृष्णन, अर्पित, प्रदीप पांडे, मनीष नेगी, प्रवीण कुमार, प्रशांत दुबे, यशपाल राणा, शैलेंद्र पवार, आशीष बलूनी, तरुण, राजीव कुमार, उषा, हिमांशु, नितिन शर्मा, सत्येंद्र कुमार, सुमित वैद, पंकज, बालकृष्णन और इनका परिवार.
  2. जब इन नियमित नियुक्तियों पर सवाल उठे तब तब अंदर के कितने कर्मचारी नियमित हो रहे हैं इसको छुपाने के लिए इनकी नियुक्ति के परिणाम में केवल रोल नंबर दिए गए नाम नहीं, अंक परिणाम को भी छुपाया गया.
  3. ऐसे ही कितने नाम है जो आउटसोर्सिंग के माध्यम से अभी एम्स ऋषिकेश के अंदर कार्य कर रहे हैं और उनका भी नियमित होना तय बताया जा रहा है : क्षितिज संसारिया, अनुराग वाधवा, रविंदर, विमल सचान, पंकज कुमार, शत्रुघ्न पंवार, उपेंद्र पंवार, काकुल बेलवाल, कलश जोशी, जितेंद्र शर्मा, धर्मेंद्र राव, मुकुल बेलवाल, दीपक सेमवाल, संजय त्यागी.
  4. दो ऑफिस असिस्टेंट जिन्होंने फर्जी दस्तावेज दिखाकर नियमित नियुक्ति पाई, जिनको बाद में त्यागपत्र देने के लिए कहा गया और जांच से बचने के लिए उन पर एम्स ऋषिकेश के द्वारा कोई पुलिस FIR नहीं की गयी.
  5. पदों के विपरीत कार्य लेना : बताया जा रहा है की कुछ खास लोगों पर कुछ ज्यादा ही कृपा की जा रही है यह कर्मचारी पद के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं जैसे कि सुभाष चौहान और विक्रम सिंह ऑफिस असिस्टेंट के पद पर हैं लेकिन वह निदेशक जी के पर्सनल सेक्रेटरी के पद पर कार्य कर रहे हैं ऐसे ही क्षितिज संसारिया हैं जो जूनियर अकाउंट ऑफिसर के पद पर है और वह असिस्टेंट एडमिन ऑफिसर का कार्य कर रहा है, अजियो उन्नीकृष्णन नर्सिंग ऑफिसर हैं और वह HR Head का कार्य कर रहे हैं, ANS भी इनको रिपोर्ट करते हैं.
  6. आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गई नियुक्तियों पर दी गई पदोन्नति : क्षितिज संसारिया जो कि पहले जूनियर अकाउंट ऑफिसर में कार्यरत थे और उनको आउटसोर्सिंग के माध्यम से ऑफिस असिस्टेंट के पद में रखा गया और बाद में इनको इनकी योग्यता के विपरीत असिस्टेंट एडमिन ऑफिसर का कार्य लिया जा रहा है, विमल सचान आउटसोर्सिंग के माध्यम से न जाने कितने ही पदों में कार्य कर चुके हैं पहले AAO और फिर स्टोर कीपर के पद पर, इनको रखने के लिए निरंतर इनके पद को रिक्त पदों के अनुसार बदल दिया जाता है.
  7. संविदा कर्मचारियों की सेवा का विस्तार : कुछ संविदा कर्मचारियों की सेवा का विस्तार किया जा रहा है और दूसरे संविदा कर्मचारियों को निकाल दिया जा रहा है, नीरा तिवारी की सेवा का विस्तार दो वर्षों के लिए किया जाता है, निदेशक जी के ड्राइवर राम रतन की सेवा का लगातार विस्तार किया जा रहा है, अनुराग वाधवा जिनका जनवरी 2019 माह में कार्यकाल खत्म होने के बाद बिना विज्ञप्ति निकाले ही उनकी सेवा का विस्तार किया गया.
  8. निविदा और खरीद : हाउसकीपिंग सर्विस का टेंडर ऐसी कंपनी को दिया गया जिसका मासिक बिल एक करोड़ रुपए आता है जिसमें से 50 लाख, कर्मचारियों की मासिक आय में जाता है और 50 लाख केवल उपभोग्य खरीदने में I ऐसे ही दूसरी कंपनी TDS है जिसका काम है अस्पताल को सर्विसेज देना और अब यह कंपनी कर्मचारी देता है और इसका भी मासिक बिल एक करोड़ रुपए आता है जिसमें से 50 लाख, कर्मचारियों की मासिक आय में जाता है और 50 लाख अन्य जरूरतों में, जितना खर्च कर्मचारी की आय के लिए दिया जाता है उतने कर्मचारी कार्य कर भी रहे हैं या नहीं, इन कंपनी के द्वारा रखे गए कर्मचारियों की जांच की मांग की गई है.
  9. आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किए गए कर्मचारियों को संस्थान के अंदर आवास दिए गए जबकि नियमित कर्मचारी और फैकल्टी को कैंपस के बाहर रहना पड़ रहा है. भारत सरकार का कोई भी ऐसा नियम नहीं है जिसमें आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त हुए कर्मचारियों को संस्थान के अंदर आवास दिया जाए और इन कर्मचारियों को बहुत से लाभ भी दिए जा रहे हैं जिनके यह हकदार नहीं है.
  10. संपत्ति में वृद्धि की जांच: डॉ बलराम उमर, सुभाष मलिक, विमल सचान, क्षितिज संसारिया, रविंद्र तिवारी, संजय त्रिपाठी, अर्चना जोशी, विक्रम सिंह, सुभाष चौहान की संपत्ति 2-3 वर्ष में अचानक बढ़ गई.

इन सभी आरोपों पर शिकायतकर्ता ने जांच की मांग की है, जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय के अनु सचिव ने एम्स ऋषिकेश से जल्द से जल्द जवाब मांगा है.

2 Comments

2 Comments

  1. Rekha bhandari

    October 27, 2020 at 3:03 pm

    Ravikant is the most corrupt director in history of AIIMS Rishikesh…ruining the decorum of INI’s

  2. Harish

    October 28, 2020 at 10:42 am

    I am unable to understand, whenever the anybody complained about AIIMS RISHIKESH administration, Ministry/Secretary asked the reply from AIIMS RISHIKESH, instead of setting up an enquiry or sending a vigilane team which is a stablished procedure .
    After asking the reply from AIIMS RISHIKESH closes the case.
    The complainant should ask this from the authority or should proceed to court by filling a PIL.

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