-Rajeev Sharma-
हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी बहुत बड़े नेता हैं और उनके ‘भक्त’ बहुत प्यारे, बहुत मासूम हैं। अब सोशल मीडिया का जमाना आ गया तो वे बिना सोचे-विचारे कुछ भी शेयर कर देते हैं और स्वयं को धन्य महसूस करते हैं।
सच पूछो तो कभी-कभी इन प्यारे भक्तों की मासूमियत पर कुर्बान हो जाने का दिल करता है। ये भक्त लोग मोदीजी को बताते रहते हैं कि अब आपको फलां काम करना है, ये वाला कानून लाना है। इनमें से कुछ बातें उचित भी हैं लेकिन कुछ ऐसी कि उनका हकीकत से उतना ही करीबी रिश्ता है जितना कि हमारे मोहल्ले में बीड़ी बेचने वाले मातादीन ताऊ का हॉलीवुड अभिनेत्री मर्लिन मुनरो से रहा होगा!
खैर, भक्त तो भक्त हैं। जब से मोदीजी दिल्ली के सिंहासन पर विराजे हैं, वे एक मांग जोरशोर से करने लगे हैं- अखंड भारत बनाइए। हमें पीओके, पाकिस्तान और बांग्लादेश चाहिए। हो सके तो अफगानिस्तान भी ला दीजिए। यह मांग उसी तरह की लगती है जैसे मेले में जाने के बाद बच्चे यह जिद करते हैं कि उन्हें गुब्बारा, रंगीन चश्मा, बंदूक (नकली वाली) और पूंपाटी चाहिए।
कल शाम एक मासूम भक्त ने मुझे फेसबुक पर वह पोस्ट भेजी जिसमें वे ‘अखंड भारत’ बनाने का मधुर सपना देख रहे थे। आज मैं उन्हें इस अखंड भारत की कुछ खास बातें बताने की कोशिश करूंगा। उम्मीद है कि वे इस बात को नहीं समझेंगे और मुझे गालियां देंगे, क्योंकि भक्त तो मासूम होते हैं, सो उनके द्वारा गालियां देने से पहले ही मैं उनका अपराध क्षमा कर देता हूं।
वर्तमान परिस्थितियों में अखंड भारत बनाने का मतलब पीओके समेत पाकिस्तान और बांग्लादेश के भूभाग को जोड़ने से ही नहीं है, बल्कि उनकी जनसंख्या को समायोजित करने से भी है। मान लीजिए कि मोदीजी ने अखंड भारत बना दिया और इन दोनों देशों से आपके बॉर्डर खोल दिए।
अब क्या होगा? भारत की 135 करोड़ आबादी में पाकिस्तान की 22 करोड़ और बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी मिल जाएगी। इस तरह अखंड भारत की कुल आबादी करीब 174 करोड़ हो जाएगी। अगर अफगानिस्तान की 3.72 करोड़ आबादी को शामिल कर लें तो यह आंकड़ा 177.72 करोड़ हो जाएगा।
क्या मोदीजी इतनी बड़ी आबादी को आवास, रोजगार, भोजन, सुरक्षा दे सकते हैं? अगर हम अफगानिस्तान को बाहर कर दें तो भी यह तादाद बहुत बड़ी है। हमारे देश में जिस तरह का लोकतंत्र और ढीला-नाकारा सरकारी सिस्टम है, वह अचानक इतनी आबादी के दबाव को संभाल ही नहीं पाएगा। इससे असंतोष पैदा होगा और देश में दंगे भड़क उठेंगे।
अगर पाकिस्तान की आबादी को लेने की बात करें तो हमें नहीं भूलना चाहिए कि 1947 के बाद वहां कम से कम चार पीढ़ियां ऐसी तैयार हो गई हैं जिनके दिमाग में पाक सरकार, फौज, आईएसआई और वहां के मौलवियों ने भारतविरोध व हिंदूविरोध का जहर जमकर घोला है। वहां की स्कूली किताबों में ऐसी सामग्री पढ़ाई जाती है।
अगर वे बिना किसी रोक-टोक यहां विचरण करेंगे तो हंगामा खड़ा कर देंगे। बस यह समझ लीजिए कि आज जिस प्रकार सिंध में हिंदू, सिख और ईसाई बच्चियां गैर-मुस्लिम होने की सजा भुगत रही हैं, उनका घरों से अपहरण कर बलात्कार व जबरन धर्मांतरण होता है। अगर अखंड भारत बना तो फिर यही पूरे भारत में होगा। हमारी मांएं, बहनें, बेटियां घरों में, यहां तक कि मंदिर, चर्च और गुरुद्वारों में भी सुरक्षित नहीं होंगी; और यह सब होगा अखंड भारत के कारण।
इसके अलावा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान युद्धग्रस्त और आतंकवाद से प्रभावित है। वहां दशकों से पाकिस्तान की ओर पलायन जारी है। इन शरणार्थियों और पाकिस्तानियों के बीच कई बार हिंसक टकराव हो चुका है। अगर अखंड भारत बना तो यह परेशानी हमारे सिर आएगी। क्या आप इसके लिए तैयार होंगे?
इसी प्रकार, ‘अखंड भारत’ के पड़ोस में स्थित ईरान का लंबे समय से अमेरिका के साथ पंगा चल रहा है। अगर भविष्य में यहां युद्ध अथवा अन्य किसी वजह से हालात बिगड़ते हैं तो बड़ी तादाद में लोगों का हमारी ओर पलायन हो सकता है, जिनकी भाषा, संस्कृति, रहन-सहन हमसे बिल्कुल अलग हैं। क्या आप इसके लिए तैयार होंगे? उम्मीद है, नहीं।
मैंने पाकिस्तान और वहां के सैन्य विशेषज्ञों से लेकर आम जनता के मन का जितना अध्ययन किया है, उसके बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि एक आम पाकिस्तानी में ‘मुल्कतोड़’ सोच पाई जाती है। वह भारतविभाजन पर गर्व महसूस करता है। इसमें उसकी ज्यादा गलती नहीं है। उसे बचपन से यही सिखाया गया है। वह सर्वधर्म समभाव में विश्वास नहीं कर सकता क्योंकि उसे यही रटाया गया है कि तुम सर्वश्रेष्ठ हो, बाकी लोग तो जहन्नुम में जाएंगे।
दूसरी ओर, भारतीयों की बौद्धिक परवरिश महात्मा गांधी की अहिंसा, शांति, सत्य, सदाचार, सर्वधर्म समभाव के सिद्धांतों के आधार पर हुई है। इन दोनों विचारधाराओं का अब कोई मेल नहीं है। अगर अखंड भारत बनाने की गलती कर बैठे तो बॉर्डर पार से आए लोग पूरे भारत में तांडव मचाते फिरेंगे और इस देश का सत्यानाश कर देंगे।
इन सबके अलावा, हमें चीन को नहीं भूलना चाहिए। उसने सीपेक पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। वह लाखों चीनियों को बसाने के लिए कॉलोनी बना रहा है। क्या चीन आसानी से पाक का आपके साथ विलय होने देगा? अगर विलय की कोई सूरत बनती दिखी तो चीन अपना कर्जा वसूलने के लिए पाक के कई इलाकों पर सैन्य कब्जा जमा लेगा। बिगड़ते हालात में भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने होंगी और उनमें भयंकर टकराव होगा। उसका क्या नतीजा निकलेगा, कहा नहीं जा सकता।
इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि जो भारतभूमि आज हमारे पास है, उसे सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध बनाना चाहिए। इसके लिए हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सभी धर्म के लोगों को एकजुट होकर प्रयास करने चाहिए। यही वो धरती है जहां हमारे लिए इज्जत और सुकून है। यही हमारा घर है। यहां हम सबको बहुत प्रेम से रहना चाहिए। हां, मोदीजी के भक्त भी हमारे भाई हैं, लेकिन वो थोड़े मासूम हैं!
राजीव शर्मा
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