आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध हालात में हुई मौत पर देश के वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने अपने एफबी वाल पर त्वरित टिप्पणियां की हैं, इनमें दो वरिष्ठ पत्रकार आज तक से जुड़े रहे हैं। टिप्पणियां इस इस प्रकार हैं –
आज तक से जुड़े रहे चर्चित पत्रकार दीपक शर्मा ने लिखा – स्टिंग ऑपरेशन और खोज खबर की तलाश में हम दोनों ने कई दौरे किये.हफ्ते-हफ्ते ..दस-दस दिन के लिए …ज्यादातर दिल्ली से बहुत दूर. कभी बनारस तो कभी पीलीभीत. कई रातें होटलों के एक कमरे में बिताई . दोनों शाकाहारी और टी टोटलर रहे.. तो अक्सर नींद के इंतज़ार में वक्त किसी न किसी किस्से से शुरू होता था पर बातचीत एक टॉपिक पर ही खत्म होती …और फिर हम दोनों सो जाते. जरा गेस करिए दो खोजी पत्रकारों के बीच संवाद का सबसे आम टॉपिक क्या हो सकता है ?
शायद आज के दौर में विश्वास न हो पर हम दोनों के बीच सबसे ज्यादा बातचीत “माँ ” को लेकर होती थी. दरअसल ख़बरों और सूत्रों के अलावा अक्षय के फोन पर उनकी छोटी बहन और मम्मी ही हमेशा दुसरे सिरे पर रहती थीं. और बात खत्म होने के बात अक्षय अपनी माँ का टॉपिक छेड़ देता. मुझे काफी देर बाद मालूम हुआ की अक्षय के परिवार में सिर्फ तीन ही लोग थे. माँ, छोटी बहन और अक्षय. और वो इस परिवार का जीविका चलाने वाला एकलौता सदस्य था.
आज माँ का अस्पताल में टेस्ट है. आज माँ को चश्मा दिलाना है. आज माँ की तबियत ढीली है. आज माँ के लिए गिफ्ट लेकर जाना है . सर आपके आशीर्वाद से माँ को वैष्णोदेवी ले जा रहा हूँ. सर आज माँ ने सब्जी बनाकर दी है.प्लीज़ टेस्ट करिए. सर झूठ नही बोल रहा माँ के हाथों में जादू है. कभी उरद की दाल खिलाता हूँ आपको..
मेरी माँ नही थी इसलिए ये किस्से, ये बातें, मेरे दिल को बड़ा सुकून देती थी …और धीरे धीरे मे खुद माँ के बारे में ही पूछने लगा. एक वजह शायद ये थी कि ये उसका पसंदीदा टॉपिक भी था. हर मंगलवार को अक्षय को मुझे रात 8 बजे तक फारिग करना होता था.उस दिन अक्षय का व्रत होता था और उसे घर जाकर माँ के हाथों से व्रत तोडना होता था. अगर मे ख़बरों में फंसा हूँ तो वो शाम को ही हिंट दे देता ..सर आज ट्यूसडे है. आज दोपहर जब आजतक से शम्स ताहिर खान ने अक्षय के बारे में खबर दी तो कुछ देर मे रियेक्ट ही नही कर सका. शम्स मुझसे अक्षय के घर का पता पूछना चाह रहे थे. शायद वो ये भी चाह रहे थे कि मे उनकी माँ को खबर भी दूं.
मैं पीछे हट गया . मुझे लगा दुनिया में मेरे लिए इससे बड़ा पाप कोई और नही हो सकता कि मे अक्षय की मौत की खबर अक्षय की माँ को सुनाऊँ. जब लोग पहुँचने लगे तो मैंने हिम्मत की. देर शाम मैंने अक्षय के घर की सीडियां पहली बार चढ़ी. उसे आपार्टमेंट तक छोड़ने तो मे कई बार गया था पर घर की सीढ़ियाँ कभी नही चढ़ी थीं. मे अक्षय के घर आज पहली बार पहुंचा… सीढ़ी की हर पायदान एक पहाड़ सा था. तीसरे फ्लोर के फ्लैट का जब दरवाज़ा खुला तो बहन मुझे पहचान गयी और दूसरी तरफ माँ बैठी थी. मै माँ से बिना आँख मिलाये ..माँ को बिना देखे दरवाज़े से वापस हो लिया. ये माँ अब मेरी माँ जैसी ही है … फर्क सिर्फ इतना है कि मेरी माँ घर की दीवार के फोटो फ्रेम में जड़ी है …और ये माँ जीते जी आज जड़ चुकी थी. दीवार पर चस्पा और पलंग पर बैठी इन दोनों माओं में अब कोई फर्क नही है.
दो बातें कहनी हैं – पहली कि अगर कल दिल्ली में है तो कोशिश करियेगा 1 बजे दोपहर निगमबोध घाट पहुँचने के लिए जहाँ अक्षय के अंतिम दर्शन के लिए आप आ सकते हैं. और हाँ अक्षय के घर को अब कौन चलाएगा ? इस विषय पर कोई निर्णय लेना होगा.
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने लिखा – आज़ाद भारत में कोई घोटाला व्यापम जितना व्यापक नहीं हुआ ! न इतने लोग पकड़े गये, न इतने लोग फ़रार हुए, न इतने लोग जाँच के दौरान मारे गये, न इतना नाकारा/बेशर्म पक्ष विपक्ष रहा, किस मुँह से लालू यादव को जंगल राज के लिये कोसते हो भजपाइयो? यह तुम्हारे “रामराज” की प्रयोगशाला का नतीजा है !
आज तक में शीर्ष पद से जुड़े रहे कमर वहीद नकवी ने लिखा – आजतक के संवाददाता अक्षय सिंह का असामयिक और अचानक निधन अत्यन्त दु:खद है। वह व्यापम घोटाले की रिपोर्टिंग के सिलसिले में चार दिनों से मध्य प्रदेश में थे और इसी सम्बन्ध में एक इंटरव्यू कर रहे थे, जब अचानक उनकी मौत हो गयी। अक्षय की मौत के कारणों की गहराई से जाँच होनी चाहिए और सत्य पूरी तरह सामने आना चाहिए।
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा – अक्षय की मौत को व्यापम मामले में हो रही संदिग्ध मौतों से अलग हटकर कैसे देखा जाए । यक़ीन ही नहीं हो रहा कि एक नौजवान पत्रकार यू हीं दम तोड़ दे । जब इतनी मौत का कोई भरोसेमंद जवाब नहीं मिला तो इसकी कैसे उम्मीद की जाए । पीछे सारा परिवार जीवन भर के लिए तबाह हो गया ।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी लिखते हैं – ‘आजतक’ के पत्रकार अक्षय सिंह की व्यापमं घोटाले में तहकीकात करते हुए मृत्यु हो गई। अगर व्यापमं घोटाले से जुड़ी पहली मृत्यु होती तो शायद होनी मान कर ग़म खाते। लेकिन इस घोटाले में मौतों का जो लम्बा सिलसिला चलता आ रहा है, उसे देखते यह मृत्यु भी संदेह के प्रत्यक्ष घेरे में है। अब भी अगर इन मौतों और घोटाले की जाँच सीबीआइ को नहीं सौंपी जाती, तो सीबीआइ होती किसलिए है?
Comments on “अक्षय सिंह की मौत पर वरिष्ठ पत्रकारों की त्वरित प्रतिक्रियाएं”
नौजवान रिपोर्टर अक्षय सिंह का असामयिक और अचानक निधन अत्यन्त दु:खद है। व्यापम घोटाले की रिपोर्टिंग के दौरान घटी यह घटना बेहद चौकने वाली है । अक्षय की मौत के कारणों की गहराई से जाँच होनी चाहिए और सत्य पूरी तरह सामने आना चाहिए। आल इंडिया रिपोर्टेर्स एसोशिएशन इस असहनीय पीड़ा की घड़ी में अक्षय के परिवार के साथ है । —महामंत्री -कृषण मोहन त्रिपाठी