नभाटा ने छापा, वायु सेना ने कहा – हर मिशन के लिए तैयार, बस मंजूरी का इंतजार
अखबारों की खबरों और शीर्षक के बारे में कल मैंने लिखा था कि देश के ज्यादातर अखबार कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के मामले में की जाने वाली ठोस कार्रवाई की खबरों की जगह भावनात्मक खबरों को बढ़ावा दे रहे हैं। एक पाठक के रूप में मुझे सीमा पर जाकर युद्ध नहीं करना है। पर सरकार क्या कर रही है यह जानना मैं जरूर चाहता हूं। अखबार इसीलिए पढ़ता हूं। पर अखबार में यह मूल जानकारी नहीं है। या प्रमुखता से नहीं है। कल दैनिक भास्कर की पहली खबर का शीर्षक था, 40 जवानों की शहादत पर चेतावनी ….. न भूलेंगे ना माफ करेंगे; बदला लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का एलान … खून की बूंद-बूंद का हिसाब लेंगे, समय-जगह सेना खुद तय करेगी। लेकिन कल फिर राजौरी में एक मेजर शहीद हो गए।
आज दैनिक भास्कर ने पुलवाला हमला पूरा देश एकजुट, जवाब की तैयारी के तहत तीन सूचनाएं दी हैं। पहली सूचना है – सरकार ने किया दावा : इस बार हम जो करेंगे उसे पूरी दुनिया अनुभव करेगी। इसमें बताया गया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि शहीदों के हर परिवार के आंसुओं का हिसाब लिया जाएगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार घाटी में आतंकवादियों के खात्मे के आदेश दिए गए हैं। दूसरी खबर है, विपक्ष ने किया वादा : राष्ट्र और सैन्य बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे और तीसरी खबर है, वायुसेना ने दिखाया इरादा : हम किसी भी क्षेत्र के अंदर जाकर प्रहार करने में सक्षम। नवभारत टाइम्स ने लिखा है मंजूरी का इंतजार है। फिर प्रधानमंत्री का कहा जो कल छपा था?
दैनिक भास्कर का मुख्य शीर्षक है, अंतिम प्रणाम …. 16 राज्यों में 40 शहीदों की अंतिम यात्राएं निकलीं, उधर राजौरी में मेजर शहीद। इसके बाद (अपेक्षाकृत छोटे अक्षरों में) सूचना है, पाक को जवाब देने के लिए भारत ने आयात पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 200% की। अखबार ने इसके साथ अपने संवाददाता हेमंत अत्री की खबर छापी है, जवानों को विमान से श्रीनगर भेजने का प्रस्ताव चार माह से गृहमंत्रालय में अटका है। कल सोशल मीडिया पर एक मित्र ने यह सवाल उठाया था और जैसा कि होता है सरकार समर्थक वहां सरकार के बचाव में कूद पड़े। और मुद्दे पर चर्चा ही नहीं होने दी। पर आज हेमंत अत्री ने बताया है कि विमान से सैनिकों को श्रीनगर भेजने के प्रस्ताव को वित्तीय कारणों से मंजूरी नहीं मिली है जबकि सुरक्षा प्रबंध का खर्च (और जोखिम भी) कम नहीं है। मैं नहीं जानता अखबारों का काम ऐसे मौकों पर भावनाओं में बहना है कि नहीं, लेकिन खबरें तो होनी ही चाहिए। आइए देखें दूसरे अखबारों में क्या है।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने आज फिर कल वाला (जो दूसरे अखबारों में था) शीर्षक ही लगाया है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने कल की लीड का शीर्षक लगाया था, इंडिया यूनाइट्स इन मॉर्निंग (भारत शोक में एक हुआ)। आज की लीड का शीर्षक है, “फोर्सेज फ्री टू हिट बैक : पीएम”। इसका हिन्दी अनुवाद होगा, “सुरक्षा बल जवाबी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं : प्रधानमंत्री”। मुझे लगता है कि यह शीर्षक स्पष्ट नहीं है और इसे गलत समझ लिए जाने की आशंका भी है। इसलिए अखबारों को चाहिए कि इसे स्पष्ट करें पर ऐसा कुछ होता दिखता है कि नहीं वह भी आज के अखबारों में देखता हूं। पर मेरी चिन्ता यह है कि राज्यों की डंडे चलानी पुलिस जब अपनी पर आती है तो किसी को भी पीट-पाट कर दुरुस्त कर देती है। ऐसे में सेना और सीआरपीएफ को अब कश्मीर में कैसी आजादी दी जा रही है?
हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड का शीर्षक मैं ऊपर लिख चुका हूं पर यह खबर महाराष्ट्र के किसी शहर, पंधरकावडा (गलत भी हो सकता है) से है। इस खबर में लिखा है, मोदी ने एक तरह से यहां भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत की, कहा “(कि मैं) 22 साल के पुलवामा निवासी के हमले पर लोगों की नाराजगी समझ सकता हूं। उसने विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी सीआरपीएफ बस से भिड़ा दी, यह बस 78 गाड़ियों के काफिले में थी और जम्मू में एक ट्रांजिट कैम्प से श्रीनगर के दूसरे ट्रांजिट कैम्प में जा रही थी।” मैं यह कहना चाहता हूं कि अखबार खुद ही लिख रहा है कि यह राजनीतिक भाषण है और चुनाव अभियान की शुरुआत। फिर भी शीर्षक ऐसे लगाए जा रहे हैं जो स्पष्ट नहीं हैं या भ्रम फैला सकते हैं। प्रधानमंत्री को चुनाव लड़ना है। वह अपना काम कर रहे हैं। अखबारों को क्या जरूरत है कि वह पार्टी बने। उन्हें अपना काम करने के लिए कौन कहेगा?
राजनीतिक खबर को लीड बनाने के मुकाबले हिन्दुस्तान टाइम्स ने ही आज अंदर के पन्ने पर खबर छापी है, “इंडिया मूव्ज टू आइसोलेट पाकिस्तान”। यह हमले के खिलाफ ठोस खबर या कार्रवाई है। अगर सरकार की कार्रवाई ही दिखानी है तो यह बेहतर खबर है क्योंकि भावनात्मक खबरें नुकसान भी करती हैं और सोशल मीडिया पर ऐसी कई खबरें व वीडियो हैं जो देश भर में फैले कश्मीरियों को परेशान करने वाली हैं। और निश्चित रूप से अखबारों में जो भावनात्मक माहौल बनाया जा रहा है उसके कारण भी हैं। आज देश के दो बड़े अखबारों की खबरों से यह रिपोर्ट काफी लंबी हो गई। इसलिए, अब बाकी अखबारों के शीर्षक और उसकी खास बातें संक्षेप में।
इंडियन एक्सप्रेस में मुख्य शीर्षक है, “मेजर्ड, अक्रॉस पार्टी लाइन्स” लेकिन फ्लैग शीर्षक में तीन बिन्दु हैं और इनमें एक है, कश्मीरीज टार्गेटेड ऐट सेवरल प्लेसेज (कई जगहों पर कश्मीरियों को निशाना बनाया गया)। यह खबर महत्वपूर्ण है और अखबार ने इसे पहले पन्ने पर छापा है। देहरादून की एक खबर का शीर्षक है, बाहर भीड़ कश्मीरी छात्रों ने खुद को अंदर बंद किया।
द टेलीग्राफ की लीड खबर का फ्लैग शीर्षक है, मार गए जवानों के रिश्तेदार दुख में बेहोश हो रहे हैं कुछ गैंग कश्मीर छात्रों के पीछे पड़े हैं। मुख्य शीर्षक है, “गुंडे आंसुओं को अपवित्र कर रहे हैं”। शीर्षक, खबर और चित्र से देश के हालात की प्रस्तुति टेलीग्राफ ने अच्छी की है। द हिन्दू की मुख्य खबर का शीर्षक है, पुलवामा हमले पर सर्वदलीय प्रस्ताव कहता हैं, हम एकजुट हैं। उपशीर्षक है, बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की, सीमा पार से आतंक की निन्दा की।
टाइम्स ऑफ इंडिया पूरी तरह चुनावी मोड में है। ईयर पैनल में एक तरफ राजनाथ सिंह और दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी के साथ पहले पन्ने की ज्यादातर खबरें पढ़ने लायक कम और देखने लायक ज्यादा हैं। मुख्य शीर्षक है, अमेरिकी एनएसए ने हमलों के खिलाफ आत्मरक्षा के भारत के अधिकार का समर्थन किया। अमेरिका ने अफगानिस्तान में खुद जो किया था उसके बाद उसके यह कहने का कोई मतलब है क्या? वह किस मुंह से कहेगा कि भारत बदले की कार्रवाई नहीं कर सकता है। और अमेरिका ही क्यों कोई भी कैसे ऐसा कुछ कह सकता है। पर खबर है तो है।
नवभारत टाइम्स ने भी महाराष्ट्र की रैली की खबर को लीड बनाया है और लिखा है कि पीएम ने महाराष्ट्र के धुले और यवतमाल की रैलियों में पाकिस्तान के बारे में कहा, …. उसके मंसूबों को हम कामयाब नहीं होने देंगे। इससे पहले अखबार ने इसी खबर में लिखा है, …. पाकिस्तान को इशारों में चेताया कि आंसू की हर बूंद का बदला लिया जाएगा। और इस खबर का शीर्षक है, आंसू की हर बूंद का लेंगे हिसाब। फ्लैग शीर्षक है, वायु सेना ने कहा – हर मिशन के लिए तैयार, बस मंजूरी का इंतजार।
इस लिहाज से आज अमर उजाला में लीड का का शीर्षक है, “पाकिस्तान की घेराबंदी तेज, आयातित सामान पर बढ़ाया 200% प्रतिशत सीमा शुल्क।” अखबार ने गम, गुस्से और नम आंखों से सपूतों को अंतिम विदाई खबर भी छापी है।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]