अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
अमेज़न चला रही अंबानी पर ‘सिस्टम‘ की तलवार, सरकार बेबस !! कोई भी व्यक्ति किसी और की बड़ी से बड़ी चीज को अगर खुद तबाह नहीं कर सकता तो एक छोटे से कागज और भारत के लचर सिस्टम का सहारा लेकर उसे तबाह होने पर मजबूर तो कर ही सकता है। बिल्कुल उसी तरह, जिस तरह इन दिनों अमेरिकी कम्पनी अमेजन ने भारत में न सिर्फ कभी रिटेल किंग कहे जाने वाले किशोर बियानी और उनके फ्यूचर ग्रुप को तबाही की कगार पर पहुंचा दिया है …..बल्कि देश के सबसे बड़े उद्योगपति यानी मुकेश अंबानी और उनके रिलायंस समूह को भारत में रिटेल का नया किंग बनने से तकरीबन रोक ही दिया है। अमेज़न की इस कारस्तानी से रिलायंस को भी हजारों करोड़ का नुकसान होने के पूरे आसार हैं।
अमेज़न ने बरसों पहले फ्यूचर ग्रुप की एक कम्पनी में लगभग दो हजार करोड़ का निवेश किया था और उसी निवेश के दौरान हुए एक एग्रीमेंट के कागज पर लिखी गईं चंद पंक्तियां लेकर वह बियानी अंबानी को वह लगभग एक साल से कोर्ट, सेबी, NCLT आदि के चक्कर लगवा रही है।
हालांकि कानूनी रूप से हर एग्रीमेंट की एक भी पंक्ति न माने जाने का आधार लेकर बड़े से बड़े सौदे या व्यापार को किसी भी देश में ठप कराया जा सकता है लेकिन यहां अपने देश में अमेज़न इस सौदे को ठप कराने से ज्यादा रुचि भारतीय सिस्टम के लूपहोल तलाश कर इसे देर करवाने में ले रही है। दो हजार करोड़ के निवेश के बदले कोई कानून अमेज़न को भारत की 30 हजार करोड़ की कम्पनी का मालिक तो नहीं बना सकता… ज्यादा से ज्यादा यही होगा कि अमेज़न को उसके निवेश की रकम ब्याज समेत वापस करने का निर्देश अंबानी और बियानी को दे दिया जाएगा।
जबकि इस दो हजार करोड़ में अमेज़न की दिलचस्पी नहीं है। उसे पता है कि भारतीय सिस्टम की खामियों को ढूंढ़कर अपनी तिकड़म से पहले ही एक साल तक इस डील को लटकाए रखने के बाद यदि वह इसी तरह सिस्टम की लेट लतीफी का फायदा उठाकर कानूनी लुकाछिपी खेलती रही तो बहुत जल्द न तो बियानी किसी लायक रह जाएंगे और न ही अंबानी का भारत में अमेज़न को पछाड़ कर रिटेल किंग बनने का सपना पूरा हो पाएगा।
इस ख़तरनाक खेल में दुनिया के सबसे अमीर आदमी जेफ बेज़ोस की कंपनी अमेज़न का तो महज दो हजार करोड़ का ही नुकसान हो रहा है लेकिन बियानी और तीस हजार करोड़ का उनका फ्यूचर ग्रुप व उससे जुड़े लाखों कर्मचारी, निवेशक आदि तो पूरी तरह से बर्बाद ही हो रहे हैं। साथ ही देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी भी अमेज़न के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि बियानी ने रिलायंस के साथ अपनी डील करने से पहले अमेज़न से भी बातचीत की थी लेकिन तब उसने रिलायंस की तरह बढ़िया डील ऑफर नहीं की। फिर वह चुपचाप रिलायंस से फ्यूचर ग्रुप की डील होने की कागजी प्रकिया और विधिवत ऐलान का इंतजार करने लगी। जैसे ही अंबानी के बेटी ईशा अंबानी ने इस डील का ऐलान किया , अमेज़न ने भारतीय सिस्टम के हर दरवाजे पर बियानी और अंबानी को नाक रगड़वाने के लिए मजबूर करने की एक के बाद एक नई चाल चलनी शुरू कर दी।
जाहिर है, अमेज़न का मकसद अपने दो हजार करोड़ के निवेश को बचाना नहीं बल्कि बियानी को निशाना बनाकर अंबानी को रिटेल में चारों खाने चित करना है। इसी वजह से वह बियानी और अंबानी से किसी समझौते की बजाय भारतीय सिस्टम के हर दरवाजे पर उन्हें आने के लिए मजबूर कर रही है।
हालांकि अंबानी का देश की मौजूदा सरकार से बढ़िया नाता होने के चलते किसी सरकारी महकमे से इस डील की मंजूरी को लेकर अभी तक कोई रुकावट सामने नहीं आई है लेकिन मोदी सरकार भी संविधान से चलने वाले इस सिस्टम के सामने लाचार है। सरकार सिस्टम से बाहर जाकर अपनी मर्जी से कोई फैसला ले नहीं सकती… लिहाजा सारी सरकारी मंजूरियां मिलने के बाद भी फ्यूचर- रिलायंस की डील लटकी हुई है…
सरकार और उसके सभी महकमे लाचार होकर देख रहे हैं और तारीख पे तारीख वाले भारत में अमेज़न एक कागज लेकर सरकार के सबसे चहेते उद्योगपति में से एक को सिस्टम में फंसाकर बड़े आराम से तबाह करने में लगी हुई है…
जीत की ओर अमेजॉन
अमेजॉन के साथ बरसों पहले किये गए अग्रीमेंट की एक शर्त को न मानने का दोषी मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी से पूछा है कि क्यों न उन्हें गिरफ्तार करके उन पर मुकदमा चलाया जाए। साथ ही, रिलायन्स के साथ हुई फ्यूचर ग्रुप की 28 हजार करोड़ की डील पर तत्काल रोक लगाते हुए फिलहाल इस डील पर दोनों कंपनियों को आगे न बढ़ने का निर्देश भी कोर्ट ने दे दिया है।
इसके अलावा, बियानी समेत सभी डायरेक्टर्स की निजी संपत्ति को कुर्क करने के आदेश के साथ बियानी और उनकी कंपनी के सभी डायरेक्टर्स को कोर्ट ने 28 अप्रैल को हाजिर होने का भी आदेश दिया है। यही नहीं, कोर्ट ने बियानी से तत्काल 20 लाख रुपये भी दंड स्वरूप जमा करने के लिए कहा है।
कुल मिलाकर यह कि रिलायन्स और अमेजन की लड़ाई में जीत अमेजन को मिलती दिखाई दे रही है और भारत के रिटेल किंग बनने का मुकेश अम्बानी का सपना भी ध्वस्त होता नजर आ रहा है। यदि कोर्ट ने डील को पूरी तरह से रद्द कर दिया तो फ्यूचर ग्रुप का दिवालिया होना और उसके निवेशकों, कर्जदारों का हजारों करोड़ डूबना तो तय है ही, बिग बाजार व फ्यूचर ग्रुप की अन्य कंपनियों में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों का भी सड़क पर आना तय हो जाएगा।
अब देखना यह है कि रिलायंस के मालिक मुकेश अम्बानी और फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी हाई कोर्ट के इस फैसले के जवाब में कोई कानूनी पैंतरा अपनाते हैं या नहीं। यदि उन्हें इसके जवाब में कहीं से कोई कानूनी राहत नहीं मिल पाई तो अमेजन से कोर्ट के बाहर समझौता करने या डील को रद्द करने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा। हालांकि अमेजन कोर्ट से बाहर किसी समझौते की इच्छुक दिख नहीं रही और उसका एकमात्र मकसद इस डील को रद्द करवा कर भारत के रिटेल उद्योग में उसकी बादशाहत को चुनौती देने में जुटी रिलायंस को धराशाई करने का है। यदि कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में डील को रद्द कर दिया तो अमेजन को अपने इस मंसूबे में कामयाब होने से फिर कोई नहीं रोक पायेगा।