शम्भू दयाल बाजपेयी-
राहत देने वाली बात है । संक्रमित युवकों में से अधिकांश घर में रह और उपचार की प्रारंभिक बातों का पालन कर ठीक हो रहे हैं । हमारे अखबार के कई साथी इस बीच पाजिटिव आए। कुछ की पत्नियां । बरेली आफिस में एक – एक कर 10 , मुरादाबाद में 6-7, हल्द्वानी में 8 और लखनऊ आफिस में 9 सहयेगी संक्रमित हुए । ये सभी 6- 7 दिन में ठीक हो गए या हो रहे हैं ।
कुछ तो एक सप्ताह में ही काम पर वापस लौट आए । बहुत चिंतिंत था कि काफी कम स्टाफ हो जाने से अखबार कैसे निकलेगा , लेकिन साथियों के समर्पित संकंल्प से किसी एडिशन का प्रकाशन प्रभावित नहीं हो पाया । निश्चित रूप से साथियों ने अति विषम परिस्थितियों में जो जज्बा दिखाया है वह सराहनीय है । मैँ उनके इस जीवटता -भाव के प्रति ऋणि महसूस करता हूं ।
संक्रमित साथियों में एक – दो को छोड कर सभी संपादकीय विभाग के हैं और 22- 24 साल से लेकर 44 -45 आयु के बीच हैं । प्रसार , विज्ञापन और प्रोडक्शन आदि विभागों के साथी संक्रमण से प्राय: बचे हैं। हल्द्वानी के एक युवा रिपोर्टर वेंटीलेटर पर हैं , उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
संक्रमण के पहले चरण में भी हमारे कई साथी पाजिटिव हुए थे । तब सभी को अस्पताल में भर्ती होना पडा था । यह सुखद है कि अब अधिकांश होम आइसोलेशन में ही रह कर अपेक्षाकृत कम समय में स्वस्थ हो रहे हैं।
ऐसा लगता है कि कोरोना से होने वाली मौत की आ रही भयावह खबरों के पीछे समय से उपचार , बेड , चिकित्सा कर्मियों की बेरुखी , जीवन रक्षक दवाओं औा आक्सीजन -वेंटीलेटर आदि न मिल पाना है। कुछ मामलों में संक्रमण के लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है , तो कुछ संक्रमित लोग अपनी देख-रेख के प्रति लापरवाही करते हैं। संक्रमण बढ जाने पर अस्पताल में समुचित इलाज न मिलने पर ये गंभीर अवस्था में पहुंच जाते हैं।