रंगनाथ सिंह-
फहमीदा रियाज और अनामिका दो ऐसी लेखक हैं जिनके बोलने का अंदाज मैं कभी नहीं भूल पाता। दोनों एक लय में बोलती हैं। सवाल चाहे जैसा हो, सिद्ध गायक की तरह वो अपनी लय साधकर ही जवाब अदायगी करती हैं। इनके लिए ही शायद अहमद फराज ने लिखा होगा-
सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं।
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं।

अनामिका जी की कविता से मेरा ज्यादा परिचय नहीं है। उन्हें जितना पढ़ा है गद्य में पढ़ा है। इसलिए टाल रहा था। लेकिन रह-रह कर अनामिका जी की आवाज याद आती रही।
साहित्य अकादमी भारत का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है। हिंदी कविता में पहली बार किसी महिला को यह सम्मान मिला है। उसपर अनामिका जैसी सुहासनी सुमधुर भाषिणी विदुषी लेखक को मिला है। इसलिए बधाई न देना कुफ्र होगा।
उनसे कुल जमा दो-तीन बार बेहद संक्षिप्त बात हुई है।
कई बार मन में सवाल कुदबुदाता है कि जब ये खूब बात करती होंगी तब भी क्या यही लय बरकरार रख पाती होंगी! हार्दिक बधाई मैडम!