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सुख-दुख

पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी की किताब ‘पृथ्वी गंधमयी तुम’ से चीन के बारे में कुछ बातें…

डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी-

पत्रकार चीन यात्रा पर! अनुराग चतुर्वेदी की ‘पृथ्वी गंधमयी तुम’ से चीन के बारे में कुछ बातें :

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-चीन में अब राजनीति और साम्यवाद की बहस नहीं। असली मुद्दा है आर्थिक उदारवाद और संपन्न बनने का सपना।

-चीन के अखबारों में सरकारी सूचना केंद्र की विज्ञप्ति और आर्थिक उदारवाद की खबरें ही छपती हैं।

  • चीन में विदेशी पत्रकारों के लिए हर सप्ताह आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है, जहां अंग्रेजी अनुवाद की व्यवस्था भी होती है।

-चीन में विदेशी पत्रकारों को रहने के लिए एक नियत स्थान दिया जाता है। राजनय और उनके परिवारों के पास पत्रकारों को मकान दिए जाते हैं। पत्रकार चाहे जहां-वहां नहीं जा सकते। विदेशी पत्रकारों को सरकारी मान्यता पत्रक मिलने के बाद ही कहीं घूमने की आजादी है।

-चीन में सुबह 7.45 बजे वैज्ञानिक और मजदूर काम करने के स्थानों पर पहुंच जाते हैं। 11:30 बजे लंच होता है और 4:30 बजे छुट्टी। वेतन कम है पर सरकारी सुविधाएं ज्यादा। सरकारी दफ्तरों में काम करने वालों के बजाय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारियों को चार-पांच गुना ज्यादा तनख्वाह मिलती है।

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-ध्येनआनमन चौक पर अभी भी माओ त्से तुंग की प्रतिमा लगी हुई है और लाल झंडा फहराया जाता है। माओ का स्मारक अभी भी है और उसे देखने के लिए कतारें लगती है।

-पुरानी इमारतें तोड़ी जा रही हैं, उनकी जगह बड़े-बड़े व्यावसायिक परिसर बनाए जा रहे हैं।

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-चीन की सबसे पुरानी किताबों की दुकान पर बैठकर आप 2-3 घंटे बगैर किसी कठिनाई के कोई भी पुस्तक पढ़ सकते हैं। जब आप पुस्तक के बारे में कुछ जानते नहीं है तो उसकी खरीद कैसे करेंगे? इसलिए वहां पुस्तक पढ़ने की छूट है।

-चीन में घर में कुत्ता पालने की फीस देनी पड़ती है और यह फीस करीब ₹10,000 के बराबर है। वहां न तो कोई मेनका गांधी है और ना कुत्तों का रक्षक।

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-चीन में घाटे में चलने वाली फैक्ट्रियां बंद कर दी जाती हैं। जो लोग बेरोजगार होते हैं उन्हें पहले 3 महीने के लिए 200 युवान दिए जाते हैं और बाद के तीन महीनों के लिए डेढ़ सौ युवान। उसके बाद सरकारी मदद बंद। चीन में एक नहीं, बल्कि कई मनमोहन सिंह बैठे हैं। चीन के अधिकारी अगले दो-तीन वर्षों की नहीं सोचते। सीधे 20-25 वर्ष आगे की सोचते हैं।

-चीन के सिर्फ सहजन बंदरगाह से कितना सामान निर्यात होता है, उतना पूरे भारतवर्ष के सभी बंदरगाहों और हवाई अड्डों से निर्यात नहीं होता। यानी एक तरफ चीन के एक बंदरगाह का निर्यात है दूसरी तरफ पूरे भारत का निर्यात। अमेरिका भारत से 100 वर्ष आगे हैं तो चीन भारत से 50 वर्ष आगे निकल चुका है।

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-चीन का सहजन थीम पार्क 500,000 वर्ग मीटर में फैला है। यह 8 हिस्सों में है। यहां पहला है – दुनिया चौराहा। यहां 108 मीटर ऊंचा एफिल टावर है और पास ही नियाग्रा प्रपात का डुप्लीकेट भी बना हुआ है। इस पार्क में 10,000 लोग एक साथ घूम सकते हैं। यहां सांची का स्तूप और अशोक के स्तंभ भी हैं हू-ब-हू नकल !

-चीन के हवाई अड्डों पर सुरक्षा का आतंक नहीं के बराबर है। प्रमुख व्यावसायिक शहर के कई इलाके सपनों और रोशनीयों के मैनहट्टन हैं।भारतीयों के लिए अभी भी शाकाहारी भोजन एक समस्या है। कई शहर अमेरिका के शहरों की तुलना में ज्यादा आधुनिक और उन्नत हैं!

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(अध्याय 7 और 8 का अंश)

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