अमर उजाला हिमाचल के स्टेट ब्यूरो का कार्यभार देख रहे राजेश मंढोत्रा को हटाकर चंडीगढ़ से सुरेंद्र धीमान को स्टेट ब्यूरो के पद पर भेजे जाने की सूचना है। पूर्व संपादक गिरीश गुरुरानी के समय पदोन्नत किए गए राजेश मंढोत्रा को करीब पांच साल बाद इस पद से डिमोट करके जिला ब्यूरो प्रमुख के पद पर धर्मशाला ज्वाइन करने के आदेश जारी किए गए हैं। चीफ सब से प्रमोशन किए जाने के बजाए जिला ब्यूरो में भेजे जाने पर राजेश मंढोत्रा आहत बताए जा रहे हैं। चर्चा है कि उन्हें अंदरूनी राजनीति का शिकार बनाया गया है। शिमला डेस्क से धर्मशाला ब्यूरो में दिसंबर माह में डेपुटेशन पर भेजे गए सुनील चड्ढा के साथ भी अन्याय किया गया है। अपनी पारिवारिक दिक्कत के चलते गुहार लगाने पर उन्हें घर के नजदीक धर्मशाला भेजा गया था, मगर उनकी डेपुटेशन जारी रखी गई।
करीब सात माह तक दौड़ाने के बाद उन्हें दोबारा शिमला बुलाकर उनके साथ भी अन्याय किया गया है। चर्चा है कि एक्जीक्युटिव एडिटर उदय कुमार ने सोची समझी चाल के तहत उन लोगों को निशाना बनाया है, जो पूर्व ग्रुप एडिटर रहे शशि शेखर के समय पदोन्नत हुए थे। करीब सात माह पहले चीफ सब के पद पर कार्यरत देवेंद्र गुलेरिया को भी इसी साजिश का शिकार बनाते हुए चंडीगढ़ ट्रांसफर किया गया था। बाद में उन्हें अमर उजाला छोड़कर हमीरपुर से प्रकाशित दैनिक डीएनएस में जाना पड़ा था। हालांकि यह सब समय के लंबे अंतराल के बीच हो रहा है, जिससे कि अमर उजाला प्रबंधन को शक न हो। एक-एक करके पुराने दुश्मन ठिकाने लगाए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि उदय कुमार अपने चेलों को उनकी मर्जी पर ही कहीं ट्रांसफर करते हैं। शिमला व चंडीगढ़ में भी ऐसा हुआ है। जो उनकी गुडबुक में नहीं होते उन्हें बंधुआ मजबूरों जैसे निपटा जाता है। पदोन्नति के मामले में भी ऐसा ही खेल चल रहा है। कई तो सात से आठ सालों से पदोन्नति की राह ताक रही हैं और अपनों को इन सालों में दो से तीन पदोन्नतियां दी गई हैं। उधर, सुरेंद्र धीमान शिमला ज्वाइन कर चुके हैं, मगर राजेश मंढोत्रा ने अभी धर्मशाला ज्वाइन नहीं किया है। जिस तरह अपने खून-पसीने से अमर उजाला को हिमाचल में नंबर एक बनाने वाले साथियों को ठिकाने लगाया जा रहा है, उससे आने वाले दिनों में अखबार की हालत पतली होने के संकेत मिल रहे हैं।
ज्ञात रहे कि जब भी अमर उजाला के नार्थ एडिशन में कोई स्थानीय संपादक पावरफुल होने की हिम्मत करता है, तो उदय कुमार जी का सिंहासन डोल जाता है। इसके चलते कुछ समय से उनके अंतर्गत आने वाले स्थानीय संपादकों की भी उठापटक जारी है। हिमाचल में गिरीश गुरुरानी मजबूत हुए तो उन पर दबाव बना और वह सुरक्षित ठिकाना देख निकल लिए। इसके बाद राजेंद्र सिंह को भेजा गया, मगर वह भी एक साल नहीं टिक पाए। यही हाल तीसरे स्थानीय संपादक मृत्युंजय कुमार का हुआ। उन्हें भी एक साल बाद बदल दिया गया। इस तरह अमर उजाला को चमचों व चापलुसों की अखबार बनाने का काम चल रहा है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “सुरेंद्र धीमान अमर उजाला हिमाचल के नए स्टेट ब्यूरो, राजेश मंढोत्रा डिमोट कर धर्मशाला भेजे गए”
अमर उजाला तो चम्मचों, नालायकों और चूतियों का अड्डा बन गया है. हमने कभी किसी की चापलूसी नहीं की, इसलिए हमें सजा देकर चंडीगढ़ भेज दिया था। मेरी जगह शिमला में दो चम्मचे बिठाये थे, मुझे शिमला से डेस्क के लोग बताते थे कि जो काम मैं अकेले देखता था वो दोनों नहीं संभाल पाते थे. पर मुखबरी से ही काम चल जाये तो काम क्यों करना।
-डीएस गुलेरिया
Yeh Bilkul achaa hua
yahi sab to udai ji ne noida ऑफिस में करवा रखा है.