Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

औकात चवन्नी की लेकिन भौकाल डॉलर का

RAIL FARE

“अच्छे दिनों” की शुरुआत हो चुकी है। रेलभाड़े में 14 और माल-भाड़े में 6.5 फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर मोदी सरकार ने जता दिया है कि….”अच्छे दिनों” के मामले में वो मनमोहन सिंह से भी बीस पड़ेंगे। यानि आने वाले दिनों में महंगाई, मनमोहन राज से भी ज़्यादा होगी। नून-तेल-आटा-प्याज-सब महंगा होगा। पिछले 10 साल से महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी का जीना फिर मुहाल होगा। कमाल की बात देखिये कि महज़ 25-30 दिनों में केजरीवाल से पाई-पाई का हिसाब मांगने वाली और भगोड़ा करार देने वाली जनता और इस जनता को “मोदीमय” बनाने वाला मीडिया चुप है। ऐसी चुप्पी, जो रहस्यमय लगती है। मानो जनता अपने फैसले पर शर्मसार हो और मीडिया अपने ऊपर छिपे तौर पर किये गए एहसान के बोझ तले दबा है। ठीक ऐसे ही जैसे कोई क़र्ज़ लेकर बैंक के एहसान तले दबा रहता है। फ़र्क सिर्फ इतना कि बैंक से लिया गया कर्ज़ वापिस करना पड़ता है, वो भी सूद समेत। मगर मीडिया को जो क़र्ज़ दिया गया उसकी आर्थिक भरपाई नहीं करनी है। ये भरपाई नतमस्तक और ख़ौफ़ के साये में रहकर जय-जयकार करते हुए करना है। कमोबेश पूरे 5 साल तक। मीडिया के भवकाल से, आम-आदमी फिर ठगा गया।

RAIL FARE

RAIL FARE

“अच्छे दिनों” की शुरुआत हो चुकी है। रेलभाड़े में 14 और माल-भाड़े में 6.5 फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर मोदी सरकार ने जता दिया है कि….”अच्छे दिनों” के मामले में वो मनमोहन सिंह से भी बीस पड़ेंगे। यानि आने वाले दिनों में महंगाई, मनमोहन राज से भी ज़्यादा होगी। नून-तेल-आटा-प्याज-सब महंगा होगा। पिछले 10 साल से महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी का जीना फिर मुहाल होगा। कमाल की बात देखिये कि महज़ 25-30 दिनों में केजरीवाल से पाई-पाई का हिसाब मांगने वाली और भगोड़ा करार देने वाली जनता और इस जनता को “मोदीमय” बनाने वाला मीडिया चुप है। ऐसी चुप्पी, जो रहस्यमय लगती है। मानो जनता अपने फैसले पर शर्मसार हो और मीडिया अपने ऊपर छिपे तौर पर किये गए एहसान के बोझ तले दबा है। ठीक ऐसे ही जैसे कोई क़र्ज़ लेकर बैंक के एहसान तले दबा रहता है। फ़र्क सिर्फ इतना कि बैंक से लिया गया कर्ज़ वापिस करना पड़ता है, वो भी सूद समेत। मगर मीडिया को जो क़र्ज़ दिया गया उसकी आर्थिक भरपाई नहीं करनी है। ये भरपाई नतमस्तक और ख़ौफ़ के साये में रहकर जय-जयकार करते हुए करना है। कमोबेश पूरे 5 साल तक। मीडिया के भवकाल से, आम-आदमी फिर ठगा गया।

सबसे बड़े तथाकथित “नायक” भौकाली, मोदी ने भाषण तो गज़ब दिया मगर सत्ता मिलते ही चवन्नी के आदमी से डॉलर का सामान खरीदवाने की कोशिश हो रही है। नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में लगातार महंगाई-भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका। अब जब खुद प्रधानमंत्री बन गए हैं तो आम जनता के चूल्हे पर पानी डाल रहे हैं। अम्बानी-अडानी जैसों से देश के विकास की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन अब आम पब्लिक जान चुकी है कि मोदी की प्राथमिकता में अम्बानी-अडानी जैसे लोग ऊपरी पायदान पर हैं और आम आदमी बाद के। पुरानी कांग्रेस की सरकार जो दलील देती थी, लगभग, उसी बिना पर मोदी सरकार, आम पब्लिक को परेशान करने के मूड में है। वास्ता देश के विकास का। ऐसा विकास जहां आम आदमी, दो की बजाय एक टाइम ही खा सके और अम्बानी-अडानी की रईसी चार-गुनी हो जाए। आम आदमी ऐसा करे तो इसे धोखा कहा जाएगा, केजरीवाल जैसे भी, “धोखेबाज़” करार दिए जा चुके हैं। मगर मीडिया के सरताज़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी भी मीडिया की नज़रों में कांग्रेस से बेहतर हैं। कहते हैं कि पूंजीवाद के इस दौर में पैसा ही माई-बाप है, और माई-बाप मोदी की क्षत्रछाया में मीडिया पलना-बढ़ना जानता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भ्रष्टाचार की बात पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले मोदी का असली चेहरा भी बेनक़ाब हो चला है। यकीन मानिए कि “दामाद जी” की “भ्रष्ट” सीडी और फ़ाइल को छुपा दिया गया है। 2G-3G, कोयला-घोटाला, कॉमन-वेल्थ घोटाला जैसे मामले दबा दिए जायेंगे। कोई बड़ा शख़्स गुनाहगार साबित नहीं होगा और ना जेल जाएगा। मोदी अंधभक्त, अब शर्मसार हैं। “बुरे दिन दिखाने वालों तेरा मुंह काला” के नारे लगाकर “अच्छे दिन” का नारा लगाने वाले मोदी अंधभक्त, अब किसका मुंह काला काला करना चाहेंगें, इस पर खासी-बहस की ज़रुरत है। पर्दा उठने तक,  “चोरी ऊपर से सीना जोरी” से काम चलाने की गुंज़ाइश पैदा की जा रही है। जब नीयत साफ़ ना हो तो, नज़र मिलाने की हिम्मत नहीं होनी चाहिए। मगर मोदी अंधभक्त आँखें तरेर रहे हैं, यूपीए सरकार की तर्ज़ पर।

जब चुनाव हो रहा था तो मोदी अंधभक्तो ने उन्हें शेर बताया, भाग्य-विधाता, भारत नव-निर्माता बताया। शान में वो कसीदे गढ़े गए, मानो महंगाई की मार देने वाला रावण-राज्य ख़त्म और राम-राज्य बस कुछ कदम ही दूर। मोदी समर्थक इस बात का जवाब देने से कतरा रहे हैं कि, गर, महंगाई का ज़ुल्म ढाने वाली यूपीए सरकार रावण राज का प्रतीक थी तो आते ही महंगाई बढ़ा देने वाली मोदी सरकार राम-राज्य की निशानी कैसे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

गरीब के चूल्हे में न आग ना गागर में पानी, मोदी के साथी अम्बानी-अडानी, नयी सरकार की यही निशानी। संभवतः अब इस तरह के नारों की तैयारी के साथ विरोधी दल ख़िलाफ़त पर उत्तर आएं और आम आदमी के काल्पनिक नायक नरेंद्र मोदी, खलनायक बन जाएं।

ख़ैर, दिल्ली की सत्ता को क़रीब से जानने वाले जानते हैं कि गलियारों में दलाल किस्म के काल्पनिक नेता, पसरे हैं। ये नेता ऐसे हैं जिनकी औकात चवन्नी की है और भौकाल डॉलर का मारते हैं। जो सब्ज़बाग बहुत दिखाते हैं मगर बिना पैसा दिए कोई काम नहीं कराते। यानि, ये उसी से सटते हैं और गलबहियां करते हैं जिसकी जेब गर्म हो। भौकाली गुरू बनने से काम नहीं चलता। क्योंकि जब औकात चवन्नी की हो तो भौकाल डॉलर का नहीं मारना चाहिए वरना मनमोहन-सोनिया-राहुल गवाह हैं कि इसका अंजाम क्या होता है। भारत के प्रधान-मंत्री नरेंद्र मोदी जी, आप ने भौकाल तो डॉलर का मार दिया पर अंजाम को चवन्नी तक मत ले जाइए। हालांकि शुरुआत तो आप ने कर दी है। आगे, खुदा ख़ैर करे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

 

नीरज वर्मा…..’लीक से हटकर’ संपर्कः [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement