Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

बार-बार जोखिम उठाती सरकार ने मुंह की खाई!

फैक्ट चेक यूनिट की जल्दबाजी बहुत कुछ कहती है और रद्द कर दिये जाने से बड़ा नुकसान क्या होगा?

संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों में सरकारी फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना प्रमुखता से है। दिलचस्प यह कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे आज ही रोक दिया। मीडिया मैनेज करने की सरकार की चाहत और उसपर रोक, गैर कानूनी कोशिशों का उदाहरण है। कहने की जरूरत नहीं है कि चुनाव से पहले सीएए लागू करना ऐसी ही कोशिश है। उसे स्टे नहीं किया गया है पर सुनवाई मतदान से पहले है। मैंने कल लिखा था कि सरकार ने जोखिम लिया है। आज के अखबारों से पता चला कि फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना कल जारी हो गई। जो निश्चित रूप से और भी बड़ा जोखिम था। हालांकि इसे रोक दिये जाने का मतलब उन लोगों को नहीं समझ में आयेगा जिन्हें सीएए रोके जाने का असर समझ में आता। शायद सरकार का समर्थन कर रहे मीडिया वालों को मीडिया के मामले में सरकार का रुख समझ में आये। आज ही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की खबर है और आप जानते हैं कि उसमें भी सरकार ने जोखिम लिया है। उसके अपने तर्क हैं जो अलग बात है। मैंने कल लिखा था कि सीएए की खबर को क्यों अखबारों ने लीड बनया होगा। कल फैक्ट चेक यूनिट वाली खबर लीड बनती है कि नहीं वह देखना दिलचस्प होगा। उसपर कल।  

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज फैक्ट चेक यूनिट की जरूरत और उसे खारिज किये जाने का मतलब समझना जरूरी है। इलेक्टोरल बांड जैसी असंवैधानिक करार दी गई व्यवस्था के बारे में देश की मुख्यधारा की मीडिया ने आमतौर पर वो सब नहीं लिखा-बताया था जो जानकारी सार्वजनिक होने के बाद सामने आई। ऐसा नहीं है कि वसूली चल रही थी और प्रभावित लोग उसे चुपचाप झेल रहे होंगे। किसी से कहा-बताया नहीं और गोदी वालों को हवा ही नहीं लगी। चर्चा तो तब भी थी ही। लेकिन मामला लगभग साबित होने के बाद अभी भी केंद्रीय गृहमंत्री कह रहे हैं और राहुल गांधी से पूछ रहे हैं कि उन्हें पैसे क्यों मिले? खबर यह भी है कि आयकर विभाग ने कांग्रेस का खाता फ्रीज कर दिया है क्योंकि उसपर जुर्माना लगा है और पुराने मामले में खाता फ्रीज करने की कार्रवाई चुनाव के समय की गई है। अगर यह वाकई सरकारी बकाया की वसूली के लिए हो तो भी पार्टी का कहना है और सबको समझ में आ रहा है कि उसके पास पैसे नहीं हैं। दूसरी ओर, 10 साल में भाजपा की कमाई खबरों और कलेक्शन से ही नहीं दिल्ली में बनी दो इमारतों से भी दिखती है।

आज इसपर कांग्रेस का बयान और प्रेस कांफ्रेंस है। देखता हूं कल खबर कैसे कितनी छपती है। उसकी भी चर्चा होगी। जहां तक इलेक्टोरल बांड से वसूली की बात है, उसकी गोपनीयता और असंवैधानिक करार दिये जाने तथा संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से परेशानी, बचाव के उपाय और तर्क आदि से सबकुछ लगभग स्पष्ट है। मीडिया इस खुलासे को वैसे नहीं छाप रहा है जैसे आम तौर पर सरकार के खिलाफ बोफर्स सौदे जैसे खुलासे छपते रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार की लचर दलील को प्रचार मिल रहा है। मुद्दे को घुमाने की कोशिश चल रही है। उसपर सवाल नहीं है, कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है। कहने की जरूरत नहीं है कि इलेक्टोरल बांड से संबंधित उपलब्ध जानकारियों से अगर वसूली का मामला लगता है और ऐसा नहीं है तो सरकार को संतोषजनक जवाब देना चाहिये और जवाब स्पष्ट नहीं हो तो इस असंवैधानिक व्यवस्था और वसूली के लिए संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये। चुनाव के कारण अभी नहीं भी हो तो पूरा मामला जनता के समक्ष स्पष्ट होना चाहिये पर वह नहीं हो रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भाजपा के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से 20 मार्च 2024 को एक ट्वीट किया गया था, हम पर एक आरोप लगता है कि हमें बहुत सारा चंदा मिला है, ये मिथ्या है। हमें 6,200 करोड़ रुपये मिला है। जबकि 6,200 करोड़ रुपये से ज्यादा राहुल बाबा के नेतृत्व में चलने वाली इंडी अलायंस को मिला है। जबकि हमारी 303 सीटें हैं, हमारी 17 राज्यों में सरकारें हैं, लेकिन इंडी अलायंस की कितनी सीटें हैं?” मैंने इसे अपनी इस टिप्पणी के साथ रीट्वीट किया है, चंदा नहीं, वसूली बता रहे हैं लोग। कई मामले हैं, एक भी हुआ हो, कुछ लाख हो तो अपराध है। ईडी के छापे के बाद बांड खरीदना और आगे कार्रवाई नहीं होना – क्यूईडी। जवाब क्या है? सरकार आपकी थी, आपको देखना था। पैसा कहीं गया, छापे का क्या हुआ वो बताइये और पैसा भाजपा को नहीं मिला तो भी वसूली हुई।“ यहां मुद्दा वसूली है और उसे चंदा बना दिया जा रहा है जबकि पार्टी को चंदा अलग से भी मिला है। पीएम केयर्स भी बनाया गया था और उसमें भी पैसे आये हैं।

कहने की जरूरत नहीं है कि चंदे (या वसूली का भी) संबंध सांसदों की संख्या से नहीं होना चाहिये। वसूली दो कारणों से अवैध है। पहली तो जबरदस्ती है और दूसरी इस मामले में लग रहा है कि सरकारी देनदारी के साथ कार्रवाई का डर बताकर वसूली की गई है। ऐसा नहीं है कि विपक्ष वसूली करे तो सरकार की वसूली जायज हो जायगी। विपक्ष या कोई भी किसी से वसूली (ठगी, लूट भी) नहीं करे यह सुनिश्चित करना सरकार का काम है। राहुल गांधी सरकार में नहीं हैं अगर उन्होंने वसूली की है तो सरकार क्या कर रही थी? किसे रोकना था? अगर यह तथ्य है कि कांग्रेस को ज्यादा चंदा मिला है, सार्वजनिक है तो यह शिकायत की बात नहीं है। कांग्रेस को चंदा ज्यादा मिलने का कारण वसूली हो नहीं सकती क्योंकि वह सत्ता में नहीं थी उसके पीछे ईडी-सीबीआई लगाई जा सकती है। फिर भी लोग स्वेच्छा से उसे दान दे रहे हैं मतलब लोग उसकी मदद कर रहे हैं। भाजपा से नाराज हैं। मीडिया इसे बता नहीं रहा है और सरकार इसे दूसरा रंग देने की कोशिश कर रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इलेक्टोरल बांड से वसूली का असर सरकारी संग्रह पर पड़ा होगा और सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। अगर यह नुकसान एक पैसे का भी नहीं है तो सरकार बदनाम हुई, सरकारी लोगों से यह काम करवाया गया। किसी भी तरह से यह सामान्य या नजरअंदाज करने लायक बात नहीं है और मीडिया इसकी चर्चा लगभग नहीं कर रहा है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर अगर कुछ है तो उसे नियंत्रित करने वाले फैक्ट चेक यूनिट की घोषणा कितनी जल्दबाजी में और किन परिस्थितियों में हुई देख लीजिये। और इसीलिए इसकी अधिसूचना और रद्द किया जाना दोनों महत्वपूर्ण है। देखना है, कल के अखबार इसे कितना महत्व देते हैं। हालांकि, एफसीयू से संबंधित अध्यादेश जारी करके सरकार ने जोखिम लिया था क्योंकि उसे जरूरत थी। पहले की स्थिति में सरकारें ऐसे जोखिम नहीं लेती थीं क्योंकि मीडिया में इसकी आलोचना होती और न सिर्फ ऐसे अध्यादेश के घोषित उद्देश्य की धज्जियां उड़ाई जातीं बल्कि इसके संभावित उपयोग से भी पन्ने रंग दिये जाते। अब मीडिया ऐसा नहीं करता है इसलिए सरकार जोखिम लेती है और दिलचस्प यह कि उसे आज ही मुंह की खानी पड़ी।

किन्ही कारणों से मैंने आज अपना यह कॉलम सुबह नहीं लिखा पर फैक्ट चेक यूनिट से संबंधित अध्यादेश रद्द होने की खबर के बाद लगा कि मैं अपने पाठकों को बताऊं कि सरकार चुनाव जीतने के उपायों के प्रति कितनी गंभीर है और उसे मुंह की खानी पड़ी। आज के अखबारों की खबरों की बात करूं तो इंडियन एक्सप्रेस की लीड दिलचस्प है। खबर के लिहाज से नहीं, इसलिए कि अकेले इंडियन एक्सप्रेस में है। शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, “स्विस शांति प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री ने पुतिन, जेलेंस्की से बात की”। फ्लैग शीर्षक है, “उम्मीद है कि भारत शांति सम्मेलन में भाग लेगा:यूक्रेन”। इंट्रो है, मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को फिर चुने जाने पर बधाई दी, यूक्रेन के नेता से कहा सहायता आपूर्ति जारी रहेगी। तीन कॉलम में दो लाइन के शीर्षक, फ्लैग शीर्षक और इंट्रो के साथ इस खबर में दोनों विदेशी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी फोटो है। एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड में बताया गया है, फोन कॉल से वार्ता और डिप्लोमैसी से यूक्रेन टकराव को सुलझाने की भारत की एक जैसी स्थिति को रेखांकित करती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भारत के लिए यह खबर चाहे महत्वपूर्ण और जरूरी हो आज मेरे किसी और  अखबार में लीड नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी समर्थक अखबारों में एक, अमर उजाला ने भी इसे लीड नहीं बनाया है भले सात कॉलम में तान दिया है। नवोदय टाइम्स में यह सवा कॉलम में है। तीनों नेताओं की फोटो है पर मोदी की बाकी दोनों नेताओं के मुकाबले करीब तीन गुनी। एक अलग शीर्षक है, दोनों देशों से मोदी को न्योता मिला। फ्लैग शीर्षक, “मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की से की बात” के बाद मुख्य शीर्षक है, युद्ध रोकने को कूटनीतिक कदम उठाने को कहा। द टेलीग्राफ में यह खबर विदेशी खबरों के पन्ने पर है। इसकी सूचना पहले पन्ने पर है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर सिंगल कॉलम में है। नरेन्द्र मोदी की फोटो नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर दो कॉलम में है और सिर्फ मोदी की फोटो है। द हिन्दू में पहले पन्ने पर छोटी सी खबर है और विस्तार अंदर होने की सूचना। अखबारों में मोदी का प्रचार जारी है। हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड भी प्रचार ही है। शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, “सरकार 25 वर्षों का रोडमैप तैयार कर रही है: मोदी”।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement