बुरहानपुर (म.प्र.) : ये हकीकत दो सगे भाइयों रहीम और रज्जाक की है। यहां की सड़कों पर चिलचिलाती धूप में बैलों की जगह दोनो भाई बैलगाड़ी खींचते हैं ताकि वे कमाई कर अपनी बहन के लिए दहेज जुटा सकें. परिवार के मुखिया ने अपनी बेटियों की शादी के लिए बैल बेच दिए और परिवार की रोजी रोटी चलाने के लिए अपने बेटों को बैल बना दिया.
बैलों की जगह खुद बैलगाड़ी खींचने का नजारा देखकर लोगों को बॉलीवुड की अपने जमाने की हिट फिल्म मदर इंडिया की याद दिला देती है. समाजसेवियों के अनुसार यह नजार सरकार और समाज दोनों का सिर शर्म से झुका रहा है. वहीं जिला प्रशासन इसे अमानवीय और दर्दनाक करार देते हुए परिवार को मदद करने की बात कह रहा है.
दरअसल 17 साल का रहीम और 13 साल का रज्जाक दो सगे भाई हैं, जो कि जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर चिंचाला गांव में रहते हैं. अपने परिवार की रोजी रोटी चलाने में अपने पिता की मदद करने के लिए बैल बनकर पेड़ों के पत्ते इकट्ठा करके आठ किलोमीटर तक बैलगाड़ी खींचकर इसे मंडी में बेचने जाते है. दोनों सगे भाई यह काम कोई शौक से नहीं करते हैं.
बच्चों के पिता नसीरलाल का कहना है कि उन्हें सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिला और ना ही किसी ने योजना के बारे में बताया. बच्चों की बैल बनाने की वजह पूछने पर नसीरलाल ने कहा कि गरीबी क्या नहीं कराती है.
Comments on “बहन की शादी में बैल बिक गए, रोजी रोटी के लिए अब दोनो बेटे रहीम-रज्जाक खींच रहे बैलगाड़ी”
Garibi nahi iska gunahgar hamara samaj hai………