मध्य प्रदेश के हिन्दी अखबारों पर बाजार इस कदर हावी है कि लगता है उन्होंने मर्यादा, शुचिता, नैतिकता और गरिमा को करीब-करीब तिलांजलि ही दे दी है। नईदुनिया और पत्रिका में पहले पेज पर सबसे ऊपर छपे विज्ञापन पर नजर दौड़ाने पर आप मेरे विचारों से सहमत हो जाएंगे। सुखद आश्चर्य कि इस विज्ञापन के दैनिक भास्कर म दर्शन नहीं हुए.. नईदुनिया जब शबाब पर था और पूरे अविभाजित मध्यप्रदेश में उसकी तूती बोलती थी तब उसमें पहले पेज पर क्वार्टर पेज (आधे पेज के आधे से भी कम) विज्ञापन ही छापने का नियम था.. फिर जैसे-जैसे अखबार पतन की तरफ अग्रसर हुआ उसमे पहले पेज पर गले-गले तक विज्ञापन छपने लगे.. कई अश्लील विज्ञापन भी लगने लगे…
हालात इस कदर बिगड़े कि अभय छजलानी को अखबार ही बेचना पड़ गया.. इसे खरीदने वाले कानपुर के जागरण ग्रुप का यूपी मे डंका बजता है पर विज्ञापन के आगे सब नतमस्तक हैं.. राजस्थान पत्रिका ने जब मध्यप्रदेश में कदम रखा तब सब तरफ आक्रामक तेवरों वाले बोर्ड लटका कर पाठकों को खूब सब्जबाग दिखाए गए थे, पर जल्दी ही यह भी मुख्यधारा में शामिल हो गया.
अब तो आलम यह है कि सूबे के बड़े अखबारों मे पहला पूरा पेज विज्ञापनों से पटा रहता है.. अपने पाठकों को भरमाने के लिए इन अखबारों ने अपने नाम का मत्था कई पेजों पर छापना शुरू कर दिया है.. जापानी तेल और जापानी कैप्सूल जैसे गुमराह करने वाले विज्ञापन धड़ल्ले से छापे जा रहे हैं, कोई देखने सुनने वाला नहीं है… कुछ तो ऐसे विज्ञापन छाप दिए जाते हैं कि उन्हें परिवार के साथ देखना संभव नहीं है.
भोपाल से श्रीप्रकाश दीक्षित का विश्लेषण.