पीपल्स फोरम की ओर से आज प्रेस क्लब लखनऊ में “रोडमैप टू बेटर पुलिसिंग इन यूपी” पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. इस सेमिनार में रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अफसरों सहित अन्य क्षेत्रों के लोग भी शामिल हुए. इस सेमिनार तथा ब्रेन स्टोर्मिंग सेशन का उद्देश्य यूपी में बेहतर पुलिसिंग के लिए अल्पावधि तथा दीर्घकालिक उपाय सुझाना था.
सीआरपीएफ के पूर्व डीजी एसवीएम त्रिपाठी ने कहा कि पुलिस में वरिष्ठता क्रम की भावना को कम करने की जरुरत है. जिले के एसपी को काम करने के लिए समय दिया जाए ताकि वे ढंग से अपना काम कर सकें. यूपी के पूर्व डीजीपी एमसी द्विवेदी ने सुझाव दिया कि स्कूल स्तर पर पुलिस को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और पुलिस को बेकार की ड्यूटी से हटाया जाए.
आईजी अमिताभ ठाकुर ने कहा कि पुलिस के अधीनस्थ अधिकारियों की समस्याओं पर विशेष बल दिया जाना चाहिए. पूर्व आईजी राजेश राय ने बेहतर पुलिस के लिए पुलिस भर्ती में बेईमानी खत्म होना अनिवार्य बताया जिसे सभी पुलिस अफसरों का समर्थन मिला. पूर्व डीजी राय उमापत रे ने पीड़ित की समस्याओं की भरपाई के लिए अलग से कानून बनाए जाने की मांग की.
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने पुलिस में आवश्यक संवेदनशीलता लाये जाने पर बल दिया तो उत्कर्ष कुमार सिन्हा ने पुलिस के विवेचना तथा क़ानून व्यवस्था को अलग करने की सलाह दी. पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस से मीडिया के साथ पुलिस के संबंधों में सुधार पर बल दिया. महिला अधिकार कार्यकर्ता मधु गर्ग ने जेंडर संवेदनशीलता बढाए जाने और थानों पर पर्याप्त सहूलियत प्रदान किये जाने पर जोर दिया जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवाशी ने पुलिस एक्ट में बदलाव की जरुरत बतायी.
इसके अलावा पूर्व आईपीएस अफसर बंसी लाल, एन के श्रीवास्तव, अखिलेश्वर राम मिश्र, सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश सक्सेना, अंगद सिंह, देवेन्द्र दीक्षित आदि ने हिस्सा लिया. सेमिनार के सुझाव उत्तर प्रदेश शासन और गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेजे जायेंगे.