Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

यूपी में जंगलराज : भ्रष्ट नौकरशाहों पर ‘सरकारी मेहरबानी’

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के तमाम नौकरशाह भ्रष्टाचार मे लिप्त हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुईं सरकारें इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये उन्हें संरक्षण देती हैं। यह सिलसिला लम्बे समय से चलता आ रहा है और कहीं कोई सुबुगाहट नहीं सुनाई दी। जनता,  नेताओं-नौकरशाहों के गठजोड़ से भले ही .त्रस्त हो,  लेकिन सरकारों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कई दशकों के बाद हाल ही में हाईकोर्ट ने इस गठजोड़ पर सवाल खड़ा करके जनता की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। मामला सीबीआई की कोर्ट में होने के बाद भी भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के प्रति अखिलेश सरकार जिस तरह ‘प्रेम’ का इजहार कर रही थी,  वह हाईकोर्ट को कतई रास नहीं आया। नाराज कोर्ट ने सरकार से ही इस मेहरबानी कारण पूछ लिया।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <!-- black text --> <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-7095147807319647" data-ad-slot="2970045416" data-ad-format="auto"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); </script><p><span style="font-size: 10pt;">अजय कुमार, लखनऊ</span></p> <p>उत्तर प्रदेश के तमाम नौकरशाह भ्रष्टाचार मे लिप्त हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुईं सरकारें इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये उन्हें संरक्षण देती हैं। यह सिलसिला लम्बे समय से चलता आ रहा है और कहीं कोई सुबुगाहट नहीं सुनाई दी। जनता,  नेताओं-नौकरशाहों के गठजोड़ से भले ही .त्रस्त हो,  लेकिन सरकारों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कई दशकों के बाद हाल ही में हाईकोर्ट ने इस गठजोड़ पर सवाल खड़ा करके जनता की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। मामला सीबीआई की कोर्ट में होने के बाद भी भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के प्रति अखिलेश सरकार जिस तरह ‘प्रेम’ का इजहार कर रही थी,  वह हाईकोर्ट को कतई रास नहीं आया। नाराज कोर्ट ने सरकार से ही इस मेहरबानी कारण पूछ लिया।</p>

अजय कुमार, लखनऊ

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तर प्रदेश के तमाम नौकरशाह भ्रष्टाचार मे लिप्त हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुईं सरकारें इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये उन्हें संरक्षण देती हैं। यह सिलसिला लम्बे समय से चलता आ रहा है और कहीं कोई सुबुगाहट नहीं सुनाई दी। जनता,  नेताओं-नौकरशाहों के गठजोड़ से भले ही .त्रस्त हो,  लेकिन सरकारों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कई दशकों के बाद हाल ही में हाईकोर्ट ने इस गठजोड़ पर सवाल खड़ा करके जनता की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। मामला सीबीआई की कोर्ट में होने के बाद भी भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के प्रति अखिलेश सरकार जिस तरह ‘प्रेम’ का इजहार कर रही थी,  वह हाईकोर्ट को कतई रास नहीं आया। नाराज कोर्ट ने सरकार से ही इस मेहरबानी कारण पूछ लिया।

बहरहाल, आईएएस राजीव कुमार के जेल जाने के साथ ही यह भी तय हो गया है कि नोयडा प्लाट आवंटन घोटाले की आंच ठंडी नहीं पड़ने वाली है।  आईएएस नीरा यादव के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव कुमार भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गये हैं।  हाल ही में लंबी जद्दोजहेद के बाद आईएएस राजीव कुमार ने सरेंडर किया था।  सीबीआई कोर्ट ने वर्ष 2012 में राजीव कुमार और नोयडा प्राधिकरण की तत्कालीन चेयरमैन नीरा यादव को तीन वर्षो की सजा सुनाई थी।  सजा के खिलाफ नीरा यादव और राजीव कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से दोनों को कोई राहत नहीं मिली थी। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

आईएएस राजीव कुमार के जेल जाने से नौकरशाहों की लॉबी सहम कई है। गौरतलब हो,  प्रदेश में तमाम आईएएस अधिकारियों के खिलाफ तरह-तरह की जांचे तो चल रही है लैकिन अभी तक किसी का बाल भी बांका नहीं हो पाया है। नेताओं और नोकरशाहों के गठजोड़ के चलते प्रदेश में भ्रष्टाचार हमेशा चरम पर रहा लेकिन  आईएएस राजीव कुमार यूयी काडर के दूसरे ही ऐसे आईएएस अधिकारी थे जिन्हें सरकारी सेवा में रहते हुए जेल जाना पड़ा हैं।  इससे पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला भी जेल जा चुके हैं।  प्रदीप को एनआरएचएम घोटाले के आरोप में सीबीआई जांच के बाद जेल जाना पड़ा था, लेकिन अभी प्रदीप शुक्ला के खिलाफ अपराध साबित नहीं हुआ है। भले ही भ्रष्टाचार के कारण एक-दो नौकरशाह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गये हो, लेकिन इस हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन भ्रष्ट नौकरशाहों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में राज्य की सरकारों की अनदेखी के बाद भी अदालतों ने अहम भूमिका निभाई है।  वर्ना चाहे सपा की सरकार हो या फिर बसपा राज दोनों में ही दागी नौकरशाहों को अच्छी से अच्छी पोस्टिंग देकर नवाजा जाता रहा है।  2012 में सपा सरकार आई तो थी इस दावे के साथ कि पुराने सरकार के घोटालों की जांच करा जिम्मेदारों को जेल भेजेंगे पर हुआ इसके उलट।  जिस अफसर पर जितने दाग लगे अखिलेश सरकार ने उससे उतना ही प्यार  दिखाया। ऐसे अधिकारियों की लम्बी-चौड़ी लिस्ट है जो हटे भी वह कोर्ट की वजह से।  जेल जाने वाले राजीव कुमार सजायाफ्ता होने के बाद भी प्रमुख सचिव नियुक्ति के रूप में प्रदेश भर के अधिकारियों की नियुक्ति और जिम्मेदारी तय करते रहे। 

बताते चलें आईएएस राजीव कुमार को 20 नवंबर 2012 को ही नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई थी।  हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई तक सजा पर रोक लगा रखी थी। इस कारण राजीव कुमार को बेल मिल गई थी, जिसकी मियाद पूरी हो रही थी और कहीं से कोई राहत नहीं मिलने के कारण राजीव को जेल जाना पड़ गया। एक तरफ कोर्ट आईएएस राजीव कुमार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सजा सुना चुका था तो दूसरी तरफ इससे बेपरवाह अखिलेश सरकार  ने भ्रष्टाचार के दोषी होने के बावजूद भी उन्हें दो महीने पहले तक प्रमुख सचिव नियुक्ति जैसे अहम पद पर बनाए रखा। जब सरकार से हाई कोर्ट ने पूछा कि सजायाफ्ता को इतना अहम पद देने की क्या वजह है और नियुक्ति की पॉलिसी मांग ली तब जाकर राजीव कुमार को विभाग से हटाया गया। इसी तरह नोएडा मे गड़बड़ी के आरोपी आईएएस संजीव सरन और राकेश बहादुर नोएडा अथारिटी में जमे रहे थे।  इससे पहले माया सरकार ने उन्हें सस्पेंड किया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह दोनों अधिकारी नोएडा से तब हट सके जब हाई कोर्ट को यह कहना पड़ा कि इन दोनों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तैनाती न दी जाए।  हालांकि सरकार उन्हें अहम पदों से नवाजती रही।  नोयडा अथार्रिटी के भ्रष्ट मुख्य अभियंता यादव सिंह की पैरवी तो अखिलेश सरकार सुप्रीम कोर्ट तक कर चुकी है।  मनरेगा घोटालों में सवालों के घेरे में आए आईएएस पंधारी यादव आवास विभाग में अहम पद पर बने हैं। वहीं जेल से छूटने के बाद एनआरएचम घोटाले के आरोपित प्रदीप शुक्ला को भी प्रमुख सचिव,  लघु उद्यम के पद पर तैनाती दी गई थी।  इस समय वह सामान्य प्रशासन में हैं। इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने भी अपने कार्यकाल में घोटालों का आरोपित होने के बाद भी नीरा यादव को मुख्य सचिव बना दिया था जो अब जेल में हैं। आईएएस नीरा यादव पर बेटियों और खुद के नाम पर गलत तरीके से प्लाट आवंटन करने का आरोप है।  सीबीआई जांच हुई तो 2012 में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई। बाद में वह जमानत पर बाहर आ गईं। कहीं से मोहलत नहीं मिलने पर 15 मार्च 2016 को वह जेल चली गई थीं।

बात अन्य दागी नौकरशाहों की कि जाये तो आईएएस राकेश बहादुर पर भी वर्ष 2006 में किसानों की जमीन औने पौने दामों पर बिल्डरों को देने का आरोप लगा था।  इनके खिलाफ भी जांच एजेंसी ने पड़ताल की थी। राकेश प्रमुख सचिव गृह,  प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री समेत कई प्रभावशाली पोस्ट पर रहे।  अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।  आईएएस असोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। मौजूदा प्रमुख सचिव वन  आईएएस अधिकारी संजीव सरन भी नोएडा तैनाती के दौरान विवादों में रहे।  उन पर 2006 में किसानों की जमीन औने पौने दामों पर बिल्डरों को बेचने के आरोप लगे।  कोर्ट के निर्देश पर नोएडा से हटाया गया था। नोएडा के सीईओ रहे आईएएस मोहिंदर सिंह नोएडा के मायाजाल में फंसे।  उन पर नियम विरुद्ध फॉर्म हाउस आवंटन के आरोप लगे।  फार्म हाउस आवंटन में बिल्डरों व प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाया गया। दागी नौकरशाहों पर सरकारी मेहरबानी से नाराज हाईकोर्ट ने पिछले दिनों सख्त कदम उठाते हुए अखिलेश सरकार से ही पूछ लिया कि वह बतायें कि सजायाफ्ता आईएएस के खिलाफ उन्होंने क्या कार्रवाई की।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement