‘मैं डेढ़ साल में पहली बार मुस्कराई हूं..’ बिलकिस बानो ने अपनी वकील शोभा ग्रोवर के हवाले से कहा.. तो परिसर में मौजूद सभी लोगों के बीच कुछ देर के लिए खामोशी छा गई.
सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद बिलकिस बानो की आंखों से आंसू छलके पड़े. भावुकता के बीच उन्होंने कहा, ‘ये खुशी के आंसू हैं.’ इस बीच उन चार किरदारों को जानना बेहद जरूरी है जिन्होंने बिलकिस को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई..
एडवोकेट वृंदा ग्रोवर
वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्होंने वृंदा के लिए न सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़ी बल्कि न्याय दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. कल 8 जनवरी 2024 फैसला आने के बाद उन्होंने भी आदेश का स्वागत किया. ह्यूमन राइट से जुड़े आंदोलनों में सक्रिय रहने वाली वृंदा ग्रोवर सांप्रदायिक और टारगेट हिंसा जैसे मामलों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की पक्षधर हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली
बिलकिस बानो का गैंगरेप होने के दो दिन बाद गुजरात के एक राहत शिविर में उनसे मिलने वाली सुभाषिनी कोर्ट में उनकी याचिका दाखिल करने वाले लोगों में शामिल रहीं हैं. वे कहती हैं कि, ‘जब उन्हें गुजरात सरकार के दोषियों की रिहाई के फैसले को जाना तो मुझे लगा ये न्याय की समाप्ति जैसा है. मेरे लिए ये बिजली के शॉक जैसा था. लेकिन हमने याचिका दाखिल की और कपिल सिब्बल, अपर्णा भट्ट व अन्य फेमस वकीलों ने इस मामले में हमारी हेल्प की.’
पत्रकार रेवती लाल
बिलकिस मामले में पत्रकार रेवती लाल तीसरी याचिकाकर्ता बनी थीं. रेवती कहती हैं, ‘जब याचिका तैयार हुई.. दो याचिकाकर्ता तैयार हो गये. एक तीसरे की जरूरत थी तब उनसे सम्पर्क किया गया. वे तुरंत इसके लिए तैयार हो गईं. वे बताती हैं कि बिलकिस बानो के गैंगरेप के बाद जब वे उनसे मिलीं तो याचिकाकर्ता बनने के लिए बिना किसी इफ-बट के उन्होंने हामी भर दी.’
प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा
यूपी की राजधानी लखनऊ विश्वविद्यालय में पिछले 40 वर्षों से अध्यापन कार्य से जुड़ीं 80 वर्षीय प्रोफेसर रूपरेखा बताती हैं कि, ‘गुजरात सरकार के फैसले से मानवाधिकार कार्यकर्ता काफी अधिक आहत थे. वर्मा कहती हैं, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करने की योजना बन रही थी. मुझसे सम्पर्क किया गया तो मैं तैयार हो गई.’ सांझी दुनिया नामक संगठन चलाने वाली रूपरेखा कहती हैं वे गुजरात सरकार के फैसले से हर्ट थी.
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