Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

भाजपा का मुद्दा हिन्दू-मुस्लिम पर आकर क्यों अटक जाता है?

…आखिर कब तक काटोगे नफरत की राजनीति की फसल? उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान चल रहा है। वैसे तो कई संगठन चुनावी समर में हैं पर असली मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा के बीच है। बसपा भापजा पर निशाना साधते हुए कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रही है तो सपा सरकार की उपलब्धियां गिना रही है और कांग्रेस केंद्र सरकार की खामियां गिनाकर अपने को साबित कर रही है। इन सबके बीच भाजपा केंद्र में ढाई साल से ऊपर हो जाने के बावजूद भावनाओं का सहारा लेकर वोटों का ध्रुर्वीकरण करने का खेल खेल रही है।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p><span style="font-size: 18pt;">...आखिर कब तक काटोगे नफरत की राजनीति की फसल? </span>उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान चल रहा है। वैसे तो कई संगठन चुनावी समर में हैं पर असली मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा के बीच है। बसपा भापजा पर निशाना साधते हुए कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रही है तो सपा सरकार की उपलब्धियां गिना रही है और कांग्रेस केंद्र सरकार की खामियां गिनाकर अपने को साबित कर रही है। इन सबके बीच भाजपा केंद्र में ढाई साल से ऊपर हो जाने के बावजूद भावनाओं का सहारा लेकर वोटों का ध्रुर्वीकरण करने का खेल खेल रही है।</p>

…आखिर कब तक काटोगे नफरत की राजनीति की फसल? उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान चल रहा है। वैसे तो कई संगठन चुनावी समर में हैं पर असली मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा के बीच है। बसपा भापजा पर निशाना साधते हुए कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रही है तो सपा सरकार की उपलब्धियां गिना रही है और कांग्रेस केंद्र सरकार की खामियां गिनाकर अपने को साबित कर रही है। इन सबके बीच भाजपा केंद्र में ढाई साल से ऊपर हो जाने के बावजूद भावनाओं का सहारा लेकर वोटों का ध्रुर्वीकरण करने का खेल खेल रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चुनावी शुरुआत में भले ही भाजपा प्रचारकों ने कानून व्यवस्था पर उंगली उठाई हो पर हर चुनाव की तरह ही इन चुनाव में भी उसका एकसूत्रीय एजेंडा हिन्दू वोटों का ध्रुर्वीकरण करना है। जहां भाजपा अध्यक्ष  अमित शाह ने कांग्रेस, सपा व बसपा को ‘कसाब’ की संज्ञा दे दी वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कब्रिस्तान और श्मशान के लिए आवंटित जमीन पर हिन्दू वाटबैंक को रिझाने की कोशिश की वहीं और ईद व दीवाली पर लाइट को लेकर वोटों का ध्रुर्वीकरण करने का प्रयास किया। यहां तक कि अब ट्रेन हादसे को लेकर एक विशेष वर्ग पर हमला बोला।

इसमें दो राय नहीं कि चुनाव के समय वोटों के ध्रुर्वीकरण को लेकर तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं पर क्या हर चुनाव में भाजपा के पास बस भावनात्मक मुद्दे ही हैं। किसी देश का प्रधानमंत्री किसी प्रदेश की सरकार की नीतियों पर उंगली उठाए तो उससे उसका कद गिराता है। यदि किसी प्रदेश में कहीं गलत हो रहा है तो आप तो केंद्र में बैठे हैं। आप सब कुछ कर सकते हैं, तो क्यों नहीं करते। अमित शाह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार में उनकी सरकार बनते ही बूचड़खाने बंद करा दिये जाएंगे। गो हत्या नहीं होगी। प्रधानमंत्री कहते हैं किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरी समझ में तो यह नहीं आता कि जब ये लोग केंद्र में सरकार चला रहे हैं तो केंद्र की उपलब्धि पर वोट क्यों नहीं मांगते? वैसे भी जनता ने मोदी जी को प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बनाया है। जहां तक कर्जा माफ करने की बात है तो आप तो पूरे देश के किसानों का कर्जा माफ कर सकते हैं। गो हत्या की बात है तो देश के आधे प्रदेशों में तो आपकी ही सरकरा चल रही है तो इतने बड़े स्तर पर मांस का निर्यात कैसे हो रहा है। बात गो हत्या की ही क्यों पशु हत्या की क्यों नहीं करते ? भैंसा, भैंस, बकरी, बकरा, सूअर क्या जीव नहीं हैं क्या?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आगरा एक्सप्रेस, लखनऊ मेट्रो, पेंशन आदि उपलब्धियां गिना तो रहे हैं पर भाजपा का मुद्दा तो बस हिन्दू मुस्लिम पर आकर अटक जाता है। बेरोजगारी की बात नहीं करेंगे। भ्रष्टाचार की बात नहीं करेंगे। शिक्षा में सुधार की बात नहीं करेंगे।  किसान आत्महत्या की बात नहीं करेंगे ? महंगाई की बात नहीं करेंगे ? नोटबंदी के चलते हुई परेशानी की बात नहीं करेंगे? भाईचारे की बात नहीं करेंगे। देश व प्रदेश को कैसे विकास के रास्ते पर ले जाएंंगे, यह नहीं बताएंगे। बस समाज में जातिवाद, धर्मवाद, हिन्दू-मुस्लिम, तेरा-मेरा का जहर खोलकर सत्ता हासिल करनी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

देश के बंटवारे के समय गांधी जी ने मुस्लिमों को रोकते हुए यही तो कहा था कि हम देश को विभिन्न संस्कृतियों, विभिन्न जातियों व विभिन्न धर्मों का ऐसा धर्मनिरपेक्ष देश बनाएंगे जो दूसरे देशों के लिए मिसाल होगा तो फिर यह बांटने की नीति क्यों? नफरत की नीति क्यों? हमारे समाज में तो बड़ा छोटों के प्रति त्याग व बलिदान की भावना रखता है। करना आपको हिन्दुओं के लिए भी कुछ नहीं है। बस राजनीतिक रोटियां सेंकनी हैं। यदि करना है तो बताओ विवादित ढांचे के ध्वस्त होने में मरे युवाओं के लिए आपने क्या किया? मुजफ्फरनगर दंगे में मरे लोगों के लिए आपने क्या किया? किसी गरीब हिन्दू की बेटी की शादी में दो रुपए का कन्या भिजवाया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

किसी गरीब हिन्दू बच्चे की पढ़ाई में दो पैसे का  योगदान दिया। किसी गरीब बेसहाय परिवार की मदद की? आप तो भूमि अधिग्रहण कानून लागू कर किसानों की जमीन हड़पना चाहते थे। श्रम कानून में संशोधन कर मजदूर की मजदूरी गिरवी रखना चाहते थे। तो आप कैसे हुए किसान व मजदूर के हितैषी? आपको तो बस समाज को बांटने की राजनीति करनी है। कब तक काटोगे नफरत की राजनीति पर खड़ी की गई इस वोटबैंक की फसल को। इस देश को आपस में मिलकर विकास के रास्ते पर ले जाने की जरूरत है। मिलजुल कर भाईचारा कायम करने की जरूरत है।

लेखक चरण सिंह राजपूत कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं और मीडियाकर्मियों की हक की लड़ाई के लिए सक्रिय रहते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement