डॉ शारिक अहमद खान-
छात्रों के पटना इलाहाबाद के बवाल से कोई क्रांति नहीं आएगी, नहीं आएगा इंक़लाब। विपक्ष मामला भुनाना चाहेगा लेकिन इस वजह से ऐसा नहीं कि यूपी से भाजपा की सरकार चली जाएगी। यूँ तो चुनाव में अंतिम समय तक हालात बदलते हैं, लेकिन यूपी में फ़िलहाल आज की तारीख़ में जो माहौल है उस हिसाब से भाजपा की सरकार रिपीट हो रही है।
भाजपा विधानसभा चुनाव में फिर सबसे अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है। बस इतनी दुआ की जा सकती है कि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत ना पाए। सपा और कांग्रेस तो चुनाव बाद भाजपा से गठबंधन करेंगे नहीं। हाँ, बसपा या ओवैसी या ओमप्रकाश राजभर के सुभासपा जैसे छोटे दल भाजपा से चुनाव बाद गठबंधन कर सकते हैं।
लंगड़ी सरकार ही लोकतंत्र के हित में सही है, बहुमत से सरकार को घमंड आता है। अपनी पॉकेट वाले ज़िलों में लम-सम पहले की तरह भाजपा के विपक्षी दल सीटें जीतेंगे, लेकिन पूरे यूपी में कमाल नहीं कर पाएंगे। यूपी में बसपा ने सही से गोटी खेल दी है, चरणवार खेल रही है, जीती नहीं तो सपा को भी जीतने नहीं देगी।
बसपा अंदरख़ाने ख़ामोशी से काम करती है, इस बार और भी ख़ामोशी और चौकसी से बसपा काडर काम पर लगा है। ओवैसी तो समझिए सपा के मुस्लिम वोटबैंक का एक हिस्सा गटक ही गए। कांग्रेस में डफ़र भरे पड़े हैं, प्रियंका खुलकर सामने नहीं आयीं, सीएम के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं हुईं, इसलिए यूपी में कांग्रेस मरे समान ही है। सपा-बसपा-ओवैसी सब भाजपा के खिलाफ़ एक भी हो जाएं तो भी हिंदू बहुमत में है और इन सबको एंटी हिंदू माना जाता है, मायवती को दलित बौद्ध, अखिलेश-मुलायम को मुल्ला, ओवैसी तो ख़ैर असली मुल्ला ही हैं।
भाजपा ने जनता में फ़ीड कर दिया है कि वो हिंदुओं की रक्षक है, बाकी दल हिंदू विरोधी हैं, वो जीते तो इस्लामी राज्य आ जाएगा।हिंदुओं पर ख़तरा है, धर्म ख़तरे में है, हिंदुओं को मुसलमानों से ख़तरा है। इस बात को हिंदू मान भी गए हैं। उनके दिमाग़ से भाजपा का फ़ीड किया गया डर अभी डिलीट नहीं हो पाया है, इस वजह से इस बार फिर यूपी में भाजपा जीतेगी, हिंदू हर तरफ़ भाजपा का गुणगान कर रहा है।
भाजपा का विरोध बस अहीर-मियाँ और चंद चढ़ाए गए पंडित मतदाता कर रहे हैं, बाकी जो किसी ग़ैर भाजपाई दल से जुड़े नेता हैं वो कर रहे हैं और उन नेताओं से जिनको फ़ायदा लेना है वो चमचे कर रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुपों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगला जा रहा है, हिंदू को मुसलमान से डराया जा रहा है।
पढ़ा-लिखा हिंदू भी मुसलमान से डर गया है। वो मुसलमान जो अल्पसंख्या में है, उससे हिंदू डर गया है। बीस परसेंट से अस्सी परसेंट वाला डरे तो हँसी ही आती है। भला मुसलमान की क्या बिसात कि वो अस्सी परसेंट को डरा ले जाए, लेकिन हिंदू ख़ुद डर गया। हाँ, मुसलमान कभी हिंदू से नहीं डरा। मुसलमान देश में क़रीब पच्चीस-तीस करोड़ है,उसे नहीं डराया जा सकता, वो नहीं डरेगा, उसकी आबादी डरा ले जाने लायक अब नहीं है। मुसलमान अपने ही देश में अपने ही देशवासियों से भला क्यों डर जाएगा।क़त्तई नहीं डरता है ना डरेगा, फिर पता नहीं कैसे हिंदू डर गया।यही सियासत है कि भाजपा हिंदू को मुसलमान से डरा ले गई और यूपी का चुनाव बीस बनाम अस्सी कर दिया।
SHASHANK RAJ
February 5, 2022 at 6:21 pm
डॉ खान साहब,
नमस्कार। उम्मीद करता हूँ आप खैरियत से होंगे। आपका लेख काफी अच्छा लगा।
आपने महसूस किया होगा कि म्यांमार और न्यूजीलैंड में हमले का विरोध करने वाली कौम, अफगानिस्तान के मामले में बोलने से डर रही है (दो चार लोगों की बात छोड़ दें तो…)। ये ओवैसी के खिलाफ भी बोलने से डरते हैं। जिनकी प्राथमिकता में देश से पहले धर्म है। जनसंख्या नियंत्रण कानून इन्हें धर्म के खिलाफ नजर आता है। हिन्दू रोजा के दौरान इफ्तार पार्टी देते हैं वहीं कई जगहों पर होली और दुर्गा पूजा के दौरान दंगा भड़क जाता है। जबकि ये कौम मात्र 20 प्रतिशत है। ऐसा क्यों है कि इन्हें इतने आराम से गुमराह कर लिया जाता है।
आज हमें फिर से अपने भीतर झांकने की जरूरत है। तभी इस साम्प्रदायिक माहौल को बेहतर बनाया जा सकता है।