समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए भाजपा पर निशाना साधा है. विधान परिषद सत्र में दी गई सूचना के सापेक्ष विधान परिषद के नेता सदन एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गये उत्तर के आधार पर सिन्हा ने कहा कि, पत्रकारों की सुरक्षा भाजपा की प्राथमिकता में ही नही है.
उनके द्वारा उप्र विधान परिषद प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम-115 के अन्तर्गत दी गयी सूचना में पत्रकारों की सुरक्षा एवं उन्हें बीस लाख तक का कैशलेस ईलाज, नए पत्रकारों को रू 10,000 एवं 20 वर्ष तक कार्य कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों को रू 25,000 प्रति माह गुजारा भत्ता, उन्हें अन्य योजनाओं से लाभान्वित करना एवं आवास विकास व विकास प्राधिकरण के माध्यम से नो प्राफिट-नो लॉस के आधार पर भवन/प्लाट उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया था, जिसके उत्तर में उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी के पत्रांक- अ0रा0संख्या0-140/19-1-2024, सूचना अनुभाग – 1, लखनऊ, दिनांक- 08 मार्च, 2024 में बताया गया है कि सूचना विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों के परिजनों को कैशलेस ईलाज के तहत आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान (आयुष्मान कार्ड) हेतु रूपया 05 लाख की योजना संचालित है। जहां तक नये पत्रकारों को रू० 10,000/- एवं 20 वर्ष तक कार्य कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों को रू 25,000 प्रति माह गुजारा भत्ता दिये जाने का प्रश्न है, के संबंध में अभी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नही है.
इसी प्रकार अन्य योजना से लाभान्वित करने से संबंधित एवं आवास विकास व विकास प्राधिकरण के माध्यम से नो प्रॉफिट-नो लॉस के आधार पर भवन /प्लॉट उपलब्ध कराये जाने जैसी कोई योजना प्रक्रियाधीन नहीं है। इसके साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा हेतु गृह विभाग द्वारा प्रदेश के जनपदों में पत्रकारों से संबंधित किसी भी सूचना पर तत्काल अपेक्षित विधिसम्मत कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है. समस्त जनपदों में मीडिया/सोशल मीडिया सेल का गठन भी किया गया है। पत्रकारों की समस्याओं की निराकरण हेतु पुलिस मुख्यालय स्तर से भी समय-समय पर समुचित दिशा-निर्देश निर्गत किये जाते है.
जिस पर सिन्हा जी ने कहा कि भाजपा सरकार में उप्र अपराध प्रदेश बनता जा रहा है। कुछ दिन पहले ही एक शिक्षक स्व धर्मेन्द्र कुमार की पुलिस की गोली से मृत्यु हो गई है. आज यहाँ रक्षक ही भक्षक की भूमिका में हैं. किसान, नौजवान, गरीब, मज़दूर, शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, प्रेरक, वित्तविहीन शिक्षक, अधिवक्ता, पत्रकार एवं हर वर्ग भाजपा से प्रताड़ित हैं और उन्हें न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
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