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उत्तर प्रदेश

कालेज में कविता अभियान : चुप रहो मत, कुछ तो बोलो

: बुविवि के पत्रकारिता संस्थान में लक्ष्मी नारायण का एकल काव्य पाठ : झांसी। सदियों तक मौन रहकर, ढेरों अन्याय सहकर, लाश बने जीते रहे हो, जहर ही पीते रहे हो, कहां तक दबते रहोगे, और कितना अब सहोगे, दासता के बंध खोलो, चुप रहो मत, कुछ तो बोलो- ये पंक्तियां आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार और पत्रकारिता संस्थान के सभागार में आयोेजित कालेज में कविता कार्यक्रम में ईटीवी के पत्रकार एवं युवा कवि लक्ष्मी नारायण शर्मा ने सुनाई । उनका एकल कविता पाठ आज यहां रखा गया था।

<p>: <strong>बुविवि के पत्रकारिता संस्थान में लक्ष्मी नारायण का एकल काव्य पाठ</strong> : झांसी। सदियों तक मौन रहकर, ढेरों अन्याय सहकर, लाश बने जीते रहे हो, जहर ही पीते रहे हो, कहां तक दबते रहोगे, और कितना अब सहोगे, दासता के बंध खोलो, चुप रहो मत, कुछ तो बोलो- ये पंक्तियां आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार और पत्रकारिता संस्थान के सभागार में आयोेजित कालेज में कविता कार्यक्रम में ईटीवी के पत्रकार एवं युवा कवि लक्ष्मी नारायण शर्मा ने सुनाई । उनका एकल कविता पाठ आज यहां रखा गया था।</p>

: बुविवि के पत्रकारिता संस्थान में लक्ष्मी नारायण का एकल काव्य पाठ : झांसी। सदियों तक मौन रहकर, ढेरों अन्याय सहकर, लाश बने जीते रहे हो, जहर ही पीते रहे हो, कहां तक दबते रहोगे, और कितना अब सहोगे, दासता के बंध खोलो, चुप रहो मत, कुछ तो बोलो- ये पंक्तियां आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार और पत्रकारिता संस्थान के सभागार में आयोेजित कालेज में कविता कार्यक्रम में ईटीवी के पत्रकार एवं युवा कवि लक्ष्मी नारायण शर्मा ने सुनाई । उनका एकल कविता पाठ आज यहां रखा गया था।

वरिष्ठ आलोचक श्याम सुन्दर सेठ के मुख्य आतिथ्य तथा जनसंचार और पत्रकारिता संस्थान के अध्यक्ष डा. सीपी पैन्यूली की अध्यक्षता में आयोजित एकल पाठ में लक्ष्मी नारायण ने अपनी डेढ़ दर्जन छंदबद्ध तथा छंदमुक्त रचनाएं प्रस्तुत कीं। उनकी कविताएं- लोकतंत्र अब बन गया, देखो बड़ा मजाक, तंत्र बना फौलादी, जिसमें जनता छाने खाक और उठाकर बंदूक चला दूं गोली जरूरी तो नहीं, आसमान से गिरने वाले ओले सिर्फ फसल बर्बाद नहीं करते, सपने भी तोड़ देते हैं जो पल रहे होते हैं किसान के मन में, लुटी पिटी जनता का देखो, हाल हुआ बेहाल, नहीं मयस्सर रोटी चावल, दूर हो गई दाल, आदि को सभागार में उपस्थित पत्रकारिता और ललित कला संस्थान के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने तन्मयता एवं रूचिपूर्वक सुना और सराहा। अतिथि कवि लक्ष्मी नारायण शर्मा ने गांव, व्यवस्था और राजनीति के बदलते परिवेश पर तीखे सवाल भी उठाए। उनके एकल काव्यपाठ के बाद डा. श्वेता पाण्डेय, पत्रकारिता संस्थान के उमेश शुक्ल, अरूणिता श्रीवास्तव, शिवमोहन यादव, प्रदीप कुमार गौतम, शिखा द्विवेदी, राहुल कुमार, देवेंद्र कुमार आदि ने भी काव्यपाठ किया।

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मुुख्य अतिथि श्याम सुन्दर सेठ ने कविताओं पर टिप्पणी करते हुए कविता में स्तर और आंतरिक लय बरकरार रखने की अनिवार्यता पर जोर दिया। कवि लक्ष्मी नारायण ने इस अनुभव को सुखद एवं प्रेरक करार दिया। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष डा. पैन्यूली ने लक्ष्मी नारायण शर्मा और उमेश शुक्ल ने मुख्य अतिथि सेठ को स्मृति चिहन भेंटकर सम्मानित किया। अंत में कविता अभियान के संयोजक प्रेम कुमार गौतम ने आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में आईटीएचएम के प्रा. देवेश निगम, पत्रकारिता संस्थान के सतीश साहनी, कौशल त्रिपाठी, राघवेंद्र दीक्षित, अभिषेक कुमार, ललित कला विभाग के विशाल यादव, दिलीप कुमार, बृजेश कुमार, डा. सुनीता, डा. अजय कुमार गुप्ता, अनूप कुमार पाण्डेय समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। 

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