चेन्नई पुलिस ने क्राइम से निपटने का एक नायाब नुस्खा ढूंढ़ निकाला है। मीडिया में क्राइम की कवरेज से पुलिस की कलई खुलती है तो पुलिसवालों ने अब क्रिमिनल्स की जगह क्राइम रिपोर्टर्स की ‘रेकी’ करने का फैसला किया है। चेन्नई पुलिस महकमे में एक इंटरनल सर्कुलर जारी हुआ है, जिसमें चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शहर के 26 पत्रकारों और 11 मीडिया संस्थानों को ‘हैंडल’ करने का जिम्मा सौपा गया है। सबकी खबर रखने वाले पत्रकारों की खबर लेने की जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों को सौंपे जाने की इस खबर ने स्थानीय पत्रकार संगठन को नाराज कर दिया है।
चेन्नई प्रेस काउंसिल (सीयूजे) ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को स्थानीय पुलिस कमिश्नर एस जॉर्ज के खिलाफ कार्रवाई के लिए याचिका भेजी है। भले ही पुलिस के इस सर्कुलर पर सवाल उठ रहे हों लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस फैसले का बचाव कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये सिर्फ पुलिस और क्राइम रिपोर्टर्स के बीच सामंजस्य बेहतर करने की कोशिश है।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार तमिलनाडु पुलिस को स्पेशल रिवार्ड राशि के तौर पर मिला पैसा इस काम के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा। अधिकारी ने इस सर्कुलर को पुलिस की नेटवर्किंग और लॉबिंग का हिस्सा बताया। सीयूजे ने अपनी याचिका में पुलिस के इस कदम को पत्रकारों को साम दाम दंड भेद से अपने पक्ष में करने का प्रयास बताया ताकि पुलिस के खिलाफ कोई खबर न छप सके।
प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू को भेजी गई इस याचिका में कहा गया है कि किसी पत्रकार की निगरानी बिना उसकी जानकारी के पुलिस से करवाना पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए गंभीर संकट है। दरअसल, हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा में राज्य में बढ़ते क्राइम रेट पर खूब हंगामा हुआ था, जिसके बाद चेन्नई पुलिस कमिश्नर जॉर्ज ने क्राइम के आंकड़ों पर सफाई देने के लिए एक स्पेशल मीडिया ब्रिफिंग बुलाई थी।
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चेन्नई में पिछले एक साल में 85 मर्डर हो चुके हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बिना अनुमति पत्रकार की निगरानी करना घोर अनैतिकता है। पत्रकारों से बात करने के लिए पुलिस के पास जनसम्पर्क विभाग है।
चेन्नई पुलिस के डिप्टी कमिशनर ने हालांकि इस खबर को निराधार बताया और कहा पत्रकारों से बात करने का कार्य जनसंपर्क अधिकारी का है और वो ही इसे करेंगे। पुलिस कमिशनर का अब तक कोई बयान इस मामले में सामने नहीं आया है।