कन्हैया शुक्ला-
क्रोम डाटा नामक एक कंपनी ने न्यूज चैनलों की टीआरपी जारी करने का जो काम शुरू किया है, उसने बड़ा बखेड़ा पैदा कर दिया है. न्यूज चैनल कई किस्म के आनलाइन अड्डों (जियो, अमेजन आदि सीओटीटी प्लेफार्म्स) पर कितना देखे जाते हैं, इसको लेकर क्रोम डाटा की तरफ से आंकड़े जारी किए जाते हैं. क्रोम डाटा अपने आंकड़े ‘ह्वाट्स हैपेन्ड लास्ट नाइट’ नाम से जारी करता है. इन आंकड़ों में टीवी18 ग्रुप के न्यूज चैनलों को बेहद नीचे दिखाया जाता है.
इसी रेटिंग पर पूरा विवाद हुआ, लीगल नोटिस मिलने के बाद क्रोम डाटा ने आगे से ऐसा न करने का वादा करते हुए इस आंकड़े को वापस लेने की घोषणा की.
टीवी18 ग्रुप ने लीगल नोटिस में कई सवाल उठाए हैं. सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्रोम डाटा बिना रजिस्ट्रेशन बिना अनुमति कैसे टीवी रेटिंग जारी कर रहा है. टीवी रेटिंग जारी करने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय से अनुमति लिए जाने का प्रावधान है. टीवी रेटिंग एजेंसी के रूप में क्रोम डाटा के काम करने को टीवी18 ग्रुप ने फ्राड, अवैध और गैर कानूनी काम बताया है. अपने लंबे चौड़े लीगल नोटिस में टीवी18 ग्रुप ने क्रोम डाटा कंपनी से पांच करोड़ का हर्जाना मांगा है.
सूत्रों का कहना है कि क्रोम डाटा कंपनी में ये लीगल नोटिस पहुंचते ही हड़कंप मच गया. आनन फानन में मीटिंग बुलाई गई. आखिर कर तय हुआ कि माफी मांग ली जाए. बताया जाता है कि क्रोम डाटा के पंकज कृष्णा ने माफीनामे का पत्र टीवी18 ग्रुप को मेल कर दिया है. माफी में कहा है कि जब तक इस मुद्दे पर गर्वनमेंट की गाइडलाइन स्पष्ट नहीं आ जाती तब तक हम आगे से कोई डाटा एनालिसिस नहीं करेंगे और न ही कोई रेटिंग जारी करेंगे… अब तक जो कुछ हुआ उससे टीवी18 ग्रुप को हुई असुविधा के लिए हम माफी मांगते हैं.
ज्ञात हो कि सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से न्यूज चैनलों के किसी किस्म के मीजरमेंट के लिए कंपनी का एमआईबी में रजिस्टर होना जरूरी है लेकिन क्रोम डाटा बिना रजिस्टर हुए ही आंकड़े जारी कर रहा है.
इस प्रकरण के तूल पकड़ने के बाद मीडिया मार्केट में तरह तरह की चर्चाएं हैं. टीवी18 ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना है कि जो चैनल इन दिनों पिछड़े हुए हैं, वे टीआरपी खिसकने के बाद इस किस्म की हरकतें कर रहे हैं, लेकिन ये सब लंबे समय तक चल नहीं पाएगा. जो आथेंटिक डाटा है, उसी पर बाजार को भरोसा होगा.
उधर कुछ अन्य चैनलों के वरिष्ठ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टीआरपी नापने का जो परंपरागत तरीका है, उसमें बहुत सारे खेल हैं. सरकारी दखल से लेकर चैनल स्पांसरशिप का सिस्टम चलता है. इससे आंकड़े ओरीजनल नहीं आते. वे कई किस्म से प्रायोजित होते हैं. बदले हुए दौर के ट्रांसपैरेंट आनलाइन आंकड़ों में खुद की सही स्थिति देख जाने क्यों लोग परेशान हैं.
कुल मिलाकर ये प्रकरण टीवी न्यूज इंडस्ट्री में चर्चा का विषय बना हुआ है. देखें टीवी18 ग्रुप की तरफ से क्रोम डाटा को भेजा गया लीगल नोटिस…
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