रवीश कुमार-
मिज़ोरम और असम के मुख्यमंत्री झगड़ने लगे ट्वीटर पर, अमित शाह को हाज़िर-नाज़िर जान कर
मिज़ोरम और असम की सीमा पर आज पूरे दिन तनाव रहा बल्कि यह तनाव कई दिनों से बना हुआ है। दोनों तरफ के लोग आमने-सामने हो गए। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि मिज़ोरम की तरफ से चली गोली में असम के छह पुलिस जवान मारे गए हैं।
आज दोपहर 1 बज कर 50 मिनट पर मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह को टैग करते हुए ट्वीट किया कि अमित शाह जी कुछ कीजिए। हिंसा को रोकिए। मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने हिंसा का वीडियो ट्वीट किया था। इसके कुछ देर बाद असम के मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा शर्मा भी अपना वीडियो ट्वीट किया कि कि माननीय मुख्यमंत्री जी मिज़ोरम के पुलीस अधीक्षक हम लोगों से कह रहे हैं कि जब तक आप पीछे नहीं हटेंगे तब तक उनके नागरिक न तो सुनेंगे न हिंसा रोकेंगे। ऐसे हालात में हम सरकार कैसे चला सकते हैं। जवाब में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने भी हिमंता बिस्वा शर्मा को टैग किया और लिखा कि अमित शाह जी के साथ हुई सौहार्दपूर्ण बैठक के बाद भी ये हैरानी की बात है कि असम पुलिस की दो टुकड़ियों और नागरिकों ने मिज़ोरम की सीमा के भीतर घुस कर वहाँ के निवासियों पर लाठीचार्ज किया और आँसू गैस के गोले छोड़े गए।
इस तरह से पूर्वोत्तर के दो राज्यों के मुख्यमंत्री ट्वीटर पर सार्वजनिक रुप से झगड़ते रहे और ज़मीन पर दोनों तरफ के लोग आमने-सामने बने रहे। अपना-अपना वीडियो जारी कर दावा करते रहे कि दूसरी तरफ से हिंसा हो रही है। मिज़ोरम और असम की सीमा पर तनाव कई दिनों से बना हुआ था। दो दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर का दौरा किया था। शिलांग में आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों से बात की थी। अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर में आंदोलन, आतंकवाद और हथियार का दौर ख़त्म हो गया है। इस बयान के दो दिन बाद मिज़ोरम और असम के मुख्यमंत्री पहले झगड़ते हैं और फिर सुलह का दावा करते हैं। मिज़ोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट की सरकार है जिसमें बीजेपी सहयोगी है। असम में बीजेपी की सरकार है।
राजनीति में ट्वीटर का इस्तमाल ट्रोल पैदा करने के लिए हुआ। राजनीतिक समर्थन की कीमत लोगों को ट्रोल बनाकर वसूली गई। इस प्रक्रिया में राजनेता भी ट्रोल बन गए हैं। एक दूसरे को ट्रोल कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा तो तबके स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जवाब दिया और अनाप-शनाप कहा। जबकि एक पूर्व प्रधानमंत्री के पत्र का जवाब प्रधानमंत्री की तरफ से ही दिया जाना चाहिए था।
हिन्दी प्रदेश के चैनलों में पूर्वोत्तर को लेकर वैसे ही खामोशी रहती है। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच सार्वजनिक कहासुनी उनके लिए ख़बर नहीं है। ख़बर करेंगे तो फिर उस सवाल से टकराना होगा कि गृह मंत्री अमित शाह का दौरा नाकाम रहा और मज़बूत नेतृत्व वाले प्रधानमंत्री मोदी के रहते ये सब हो रहा है।
विजय शंकर सिंह-
असम मिजोरम सीमा विवाद… असम-मिजोरम बॉर्डर पर हिंसा में असम पुलिस के 6 पुलिसकर्मियों की मौत हो गयीं है। कछार के एसपी निम्बालकर वैभब चंद्रकांत समेत कम से कम 50 कर्मी असम-मिजोरम बॉर्डर पर हुयी हिंसा में घायल हुए हैं। इस झड़प के साथ फायरिंग भी हुई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि बार्डर पार से उपद्रवियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जब दोनों पक्षों के नागरिक अधिकारी मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे थे।अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, “मैं तुरंत यह नहीं कह सकता कि कितने लोग घायल हुए हैं, लेकिन मेरा अनुमान कम से कम 50 कर्मियों का है। गोलीबारी में हमारे एसपी भी घायल हो गए और एक गोली उनके पैर में लगी।” आईपीएस अधिकारी से पीटीआई ने बात की, जब वह एक जंगल के अंदर छिपे हुए थे।
असम-मिजोरम बॉर्डर पर हुए तनाव पर बोलते हुए मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने बताया कि “असम पुलिस के आईजी के नेतृत्व में हथियारों से लैस लगभग 200 असम पुलिस जवान आज वैरेंगटे ऑटो-रिक्शा स्टैंड पर आए। उन्होंने वहां तैनात सीआरपीएफ जवानों की ड्यूटी पोस्ट को जबरन पार किया और मिजोरम पुलिस की ड्यूटी पोस्ट को नुकसान पहुंचाया। असम पुलिस ने निहत्थे नागरिकों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई नागरिक घायल हुए।”
मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने कहा कि “मिजोरम पुलिस पर आंसू गैस के गोले दागे गए और उसके बाद असम की ओर से गोलीबारी की गई। इसके बावजूद कि एसपी, कोलासिब जिला सीआरपीएफ ड्यूटी कैंप के अंदर असम पुलिस के साथ बातचीत कर रहे थे, मिजोरम पुलिस ने असम पुलिस पर वापस फायरिंग करके जवाब दिया।”
असम / मिजोरम के बीच युद्ध जैसी मुठभेड़ चल रही है। विभाजनकारी मानसिकता, केवल धर्म के ही आधार पर बंट कर संतुष्ट नहीं होती है, वह दावानल की तरह जाति, क्षेत्र, भाषा आदि सबको लपेट लेती है। पहली बार दो राज्यो के सीमाविवाद में पुलिस, CRPF, नागरिक सब एक दूसरे से खिलाफ हथियारबंद खड़े हैं।