संदीप कुमार-
जीवन क्या है? अच्छी बुरी खबरों का समुच्चय ही तो है। एक साथ एक ही समय में अच्छी-बुरी खबरों और घटनाओं का सिलसिला चल रहा होता है।
कल सुबह प्रिय कवि-कथाकार उदय प्रकाश के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें फोन किया तो उन्होंने अत्यंत दुखद खबर सुनाई। वह यह कि कॉमरेड अतुल कुमार अंजान कैंसर की असाध्य बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्होंने संकेतों में यह भी कहा कि संभवत: उनके पास बहुत अधिक समय शेष नहीं।
कॉमरेड अंजान से भोपाल में मुलाकातें हैं। हम सभी उनकी संघर्ष की राजनीति से परिचित हैं और उससे प्रेरणा लेते रहे हैं। वह छात्र राजनीति से निकले विरल नेताओं में से हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हर बार की तरह इस बार भी वह विपरीत परिस्थितियों से विजयी होकर निकलेंगे।
शाम होते-होते खबर मिली कि उदय जी की सुप्रसिद्ध कहानी तिरिछ पर फिल्मकार संजीव झा द्वारा फीचर फिल्म का निर्माण किया जा रहा है जिसकी शूटिंग संभवत: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में होने वाली है। उदय प्रकाश हिंदी में जादुई यथार्थवाद को प्रस्तुत करने वाले अग्रणी कहानीकारों में शामिल हैं।
उनकी कहानियों का जादुई यथार्थ वास्तविक यथार्थ से भी अधिक तीखे तिरिछ कहानी के कई पहलू हैं लेकिन उसका केंद्रीय भाव है शहरी जीवन को लेकर एक ग्रामीण मनुष्य के मन में आतंक और इंसान की संवेदनहीनता।
कहानी का सहृदय संकोची पिता शहर से घबराता है, उसे पता है कि शहर का मिजाज उसके मन से मेल नहीं खाता। परंतु जब उसे शहर जाना ही पड़ता है तो उसके सारे भय सच्चे साबित होते हैं। शहर और शहरी जीवन की संवेदनहीनता और अमानवीयता का स्याह पहलू पाठकों के सामने खुलता है। तिरिछ कहानी में शीर्षक जिस जीव से लिया गया है वह एक रूपक की तरह आता है और कहानी के केंद्रीय भाव का प्रतिनिधित्व करता है।
तिरिछ एक बेमिसाल कहानी है और हम फिल्मकार से उम्मीद करते हैं कि उनकी फिल्म इस कहानी के साथ पूरा न्याय करेगी।