अमित चतुर्वेदी-
IT अपने देश में सबसे ज़्यादा सैलरी वाला सेक्टर है, यहाँ काम करने वालों की एवेरेज सैलरी बाक़ी तमाम सेक्टर्स से ज़्यादा है। कारण ये है कि आज भी ज़्यादातर बड़ी IT कम्पनियों अधिकांश कमाई डॉलर में होती है।
कोरोनाकाल की शुरुआत से लेकर अब तक सिर्फ़ यही एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी आमदनी घटने की बजाय बढ़ गई है। और यही एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लोग मार्च 2020 से वर्क फ़्रम होम कर रहे हैं, जो आगे भी जारी रहने की सम्भावना है।
ये आगे भी जारी इसीलिए रह सकता है क्यूँकि इससे कम्पनियों को फ़ायदा हो रहा है, क्यूँकि काम तो वो बराबर ले रहे लेकिन मुंबई, बंगलोर, पुणे, हैदराबाद, दिल्ली गुड़गाँव जैसी जगहों जहाँ इन कम्पनियों के offices हैं उनमें से ज़्यादातर छोटी और मझौली कम्पनियों ने किराए पर लिए वो ऑफ़िस ख़ाली कर दिए हैं, और इससे जो किराए की बचत उन्हें हो रही वो बहुत ज़्यादा है। सिर्फ़ किराए की ही नहीं, बल्कि बिजली, इन्फ़्रस्ट्रक्चर, इंटर्नेट और ऑफ़िस स्टाफ़ पर होने वाला खर्च भी पूरा बच रहा है।
ये बचत तो ख़ैर सीधा इन कम्पनियों के मैनेजमेंट की जेब में जा रही है लेकिन इस स्थिति का बड़ा फ़ायदा सरकार उठा सकती है।
चूँकि ये वर्क फ़्रम होम पिछले 9-10 महीनों से चल रहा है इसीलिए ज़्यादातर कर्मचारी जो देश के छोटे और मझौले शहरों और गाँवों से आते हैं वो अपने अपने घरों को लौट गए हैं। अब अगर सरकार इन कम्पनियों में पर्मनेंट वर्क फ़्रम होम कल्चर प्रमोट करे तो देश के छोटे शहरों और गाँवों में बाहर से पैसा पहुँचने लगेगा, सबसे अच्छी चीज़ ये होगी कि ये पैसा विदेशी पैसा होगा और ये पैसे का इन-फ़्लो बिना सरकार की जेब से पैसा खर्च कराए इन छोटे शहरों की तरक़्क़ी का कारण बन सकेगा।