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अमेरिकी बाज़ार में भयानक गिरावट, क्रेडिट सुईस की लंका लग गई

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यशवंत सिंह-

मेरी जानकारी में अमेरिकी बाज़ार में इतनी बड़ी गिरावट हाल फ़िलहाल पहली बार आज हुई है… कारण क्या है?

Shashi Singh- कारण है कि आज अमेरिका में वह डूबे हैं जो पिछले महीने भारत में अडानी और अडानी के कारण LIC और SBI के डूबने की भविष्यवाणी कर रहे थे। ख़ैर, समंदर जैसे बाज़ार में ऐसे छोटे-मोटे भँवर उठते रहते हैं।

Ankit Mathur- Some great global power imbalance is seemingly unfolding sir. Looks like the world will be on its own, unless the Mighty Modi magic takes place. And India turns up as a savior for global economy, defying all odds.

Neelesh Singh- पिछले साल भी गिरा था। मई जून में। कल इनफ्लेशन डाटा बढ़िया था तो बढ़ा, आज नीचे। अमरीका से ज्यादा यूरोप का हाल खस्ता है।

Vikas tiwari- Aisa nhi hai dow 1000 tk gira tha covid ki first wave me sir.

Yashwant Singh- हाँ। उसके बाद ये अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है

Vikash mc Makkar- तीसरा बैंक भी डूबने की कगार पर है बाइडेन बिना कुछ कहे प्रेस कॉन्फ्रेंस से निकल जाते हैं। सेंटिमेंट खराब हो रहे हैं और क्या… Google पर Credit Suisse टाइप कीजिये। उस पर मैंने तकरीबन 3-4 महीने पहले एक पोस्ट लिखी थी।

Dhirendra Singh- बैंक ढह रहे हैं, ऐसा लगा रहा कि महाशक्ति के अंदर का खोखलापन बाहर नजर आने लगेगा जल्दी ही…

Mannu kumar mani- बैंको का डूबना। Credit Suisse का मामला नया नया है…

Anil kumar kashyap- Ab bhi upar hi hai ye apni aukaat se…Haalat US ke bata rahe hain ki aur neeche aayega..bank doob rahe hain, naukriyaan hain nahi,Jo hain wo nikaale Jaa rahe hain, kuch drone bhi Russian Jet se takra Gaya, matlab Bhasad machi hai toh girna hi hai bas Saale utha utha ke girayengey


नितिन त्रिपाठी-

अमेरिका में दो बैंक बंद हुवे. सोमवार को ज़बरदस्त उठा पटक रही अमेरिकन शेयर बाज़ार में. अंततः उनका शेयर बाज़ार Dow 0.28% कम पर बंद हुआ और NASDAQ 0.45% बढ़त पर बंद हुआ.

वहीं इस कल्पना मात्र से कि अमेरिका में मंदी आ जायेगी, भारत में सेंसेक्स और निफ़्टी दोनों में तहलका मच गया. 1% से ज्यादा की गिरावट दोनों में आई.

आधुनिक युग में विशेष कर अमेरिका से अधिसंख्य देशों के हित/ अनहित जुड़े हैं. बहुत आसान है अमेरिकन इन्वेंटेड मोबाइल फ़ोन द्वारा अमेरिकन इन्वेंटेड इंटरनेट में जाकर अमेरिकन गूगल से सर्च कर अमेरिकन फ़ेस बुक पर मजाक उड़ाना कि मज़ा आ गया अमेरिका डूब रहा है. हक़ीक़त में उनके डूबने का उनसे ज्यादा इंपैक्ट इधर पड़ेगा. उन्होंने आलरेडी आने वाले पचीस साल की टेक्नोलॉजी खोज रखी है. हम डेवलपिंग इकॉनोमी हैं. लगभग हर नई चीज के लिए उन पर निर्भर रहने वाले. हमारे तो स्टार्टप भी टेक्नोलॉजी से लेकर फंडिंग तक के लिये उन्हीं पर आश्रित रहते हैं.

भारत को पचास स्ट्रॉंग ईयर ऑफ़ ग्रोथ चाहिये शांति पूर्वक. तब जाकर भारत इस लेवल पर आएगा कि वाक़ई विश्व गुरु कहला सके. अभी तो इण्डियन स्टोरी की बिगिनिंग भी नहीं हुई है और हम में ढेर सारे लोग अनजाने में अपनी ही बर्बादी का जश्न मनाते हैं.


अभी रविवार को एक अमेरिकन बैंक के डूबने की संभावना नज़र आ रही थी. मैं उनके ट्विटर अकाउंट पर गया. काफ़ी सारे लोगों ने लिख रखा था हमारे बुरे वक्त तुम काम आये.. हमने पहला घर तुम्हारी वजह से ख़रीदा.. पत्नी को इंगेजमेंट रिंग तुमसे उधार लेकर ख़रीदी थी. बारह साल का साथ है इस बैंक का मधुर यादें हैं, इस वक्त में नहीं छोड़ेंगे. इस टाइप के काफ़ी मेसेज थे.

निःसंदेह खाता धारकों को पता है उनके पैसे नही डूबेंगे. पर उन्होंने अच्छी बातें कह दीं, धन्यवाद बोला बुरे समय – आई am स्योर यह सब पढ़ बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों का हौसला बढ़ गया हो, कहीं न कहीं मन में आया होगा कि दम लगा देंगे.

2009 में न्यू ईयर वाले दिन ख़ाली बैठा था, एयरटेल के सीईओ, मैनेजर इस टाइप के पाँच छः लोगों को ईमेल लिख दी धन्यवाद की. कि आपकी ही वजह से हम भारत में बैठ अमेरिका का बिज़नस कर रहे हैं. आपने कितनी ज़िंदगियों में परिवर्तन लाया है महीने की दो हज़ार कॉस्ट पर आप स्वयं नहीं जानते. हैप्पी न्यू ईयर. आप समझिए साल भर तक जब तक वह मैनेजर लखनऊ का हेड रहा मेरी कस्टमर सपोर्ट काल बिलकुल टॉप प्रायोरिटी में हैंडल होती थी.

अच्छे शब्द बोलना, हौसला बढ़ाने वाले शब्द बोलना, धन्य वाद बोलना – सब फ्री है. लेकिन इनका आउटपुट अनमोल होता है.

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