Connect with us

Hi, what are you looking for?

झारखंड

दैनिक भास्कर और प्रभात खबर : कारोबारी अख़बार का आंदोलनकारी बन जाना और खुद को आंदोलनकारी कहने वाले का कारोबारी!

पुष्य मित्र-

दैनिक भास्कर और प्रभात खबर : जिस साल (2010) मैने प्रभात खबर जॉइन किया था, उसी साल रांची से दैनिक भास्कर अखबार की लॉन्चिंग हुई थी। उस वक़्त हरिवंश सर प्रभात खबर अखबार के प्रधान सम्पादक थे। प्रभात खबर तब झारखंड का नम्बर वन अखबार था। जबकि दैनिक भास्कर की छवि एक ऐसे अखबार की थी जो डिजाईन, पॉपुलर कंटेंट, कीमत, बुकिंग और दूसरे पेशेवर तरीकों की वजह से जिस राज्य में अपनी शुरुआत करता नम्बर वन हो जाता। राजस्थान और पंजाब में वह पहले की सफलता के झंडे गाड़ चुका था। पूंजी और दूसरे कई मामलों में वह प्रभात खबर से इक्कीस पड़ता था। हर किसी को लगता था कि वह आते ही झारखण्ड के इस छोटे से अखबार को खा जायेगा। मगर प्रभात खबर की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उसका प्रधान सम्पादक बहुत पेशेवर और काबिल था। वह अकेले भास्कर की सम्पादकीय और प्रबंधन की टीम पर भारी था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उस वक़्त हरिवंश जी चाहते थे कि प्रभात खबर की नम्बर वन पोजीशन बरकरार रहे। तब उन्होने अपनी टीम के कई साथियों से सुझाव मांगे थे। मैं तब महज सीनियर सब एडिटर था। मगर मुझे भी एक पन्ने पर सुझाव लिखकर देने कहा गया था।

मैने लिखा था कि भास्कर एक पेशेवर अखबार है। मगर कंटेंट के मामले में वह प्रभात खबर से काफी पीछे है। हमारी कमजोरी सम्पादन और प्रस्तुति है। हमें भास्कर से प्रस्तुति का वह तरीका सीख लेना चाहिये। बाकी हम जिस तरह लोकल कंटेंट को एग्रेसिव तरीके से पेश करते हैं वैसे करते रहना चाहिये। मेरे सुझाव का क्या हुआ यह पता नहीं। मगर रांची में अपने दमदार कंटेंट की वजह से प्रभात खबर नम्बर वन बना रहा दैनिक भास्कर तीसरे नम्बर पर जाकर ठहर गया। यह भास्कर की पहली हार थी। मगर उस हार ने भास्कर को सिखाया कि उसे कंटेंट पर अधिक काम करना होगा।

उसने रोविन्ग रिपोर्टरों की टीम तैयार की। कंटेंट पर पैसे खर्च करना शुरू किया। हेडिंग के तरीके को बदला। पाठक को सर्वोपरि मानना शुरू किया। इससे पहले भास्कर अच्छे ले आउट और डिजाईन और मसालेदार फूहड़ खबरों का अखबार माना जाता था। मगर धीरे धीरे भास्कर में ले आउट का महत्व कम होने लगा। भास्कर ने अपनी खूबियों को बरकरार रखा और कमियों को सुधार। बेहतर कंटेंट वाले लोग जोड़े।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जबकि प्रभात खबर भले पहले राउंड में भास्कर से जीत गया मगर वह धीरे धीरे भास्कर के सम्मोहन में जकड़ता गया। ले आउट और डिजाईन की नकल करना। मध्यप्रदेश से ऐसे संपादकों को बुलाना, जो भास्कर में काम कर चुके हैं। फीचर पर जोर देना। कंटेंट को इग्नोर करना। मतलब भास्कर जिन कमियों से पीछा छुड़ा रहा था प्रभात खबर उसे अपना रहा था।

कभी प्रभात खबर का टैग लाईन “अखबार नहीं आन्दोलन” हुआ करता था। मगर धीरे धीरे उसकी पोलिसी बदलती गयी। अब वह अलिखित रूप से “अखबार-सरकार के साथ” हो गया है। यह सरल और सहज तरीका है। सरकार के पक्ष में खबरें गढ़िये और विरोधी खबरों को इग्नोर कीजिये। बदले में निर्बाध रूप से सरकारी विज्ञापन हासिल कीजिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बीच हाल हाल तक नो निगेटीव न्यूज़ चलाने वाला दैनिक भास्कर अखबार लगातार उन खबरों को सामने ला रहा है जिसे आज के दौर में हर कारोबारी मीडिया अछूत मानने लगा है। इसलिये दो साल पहले तक उसे फूहड़ अखबार मान कर उसका विरोध करने वाले गम्भीर पाठक भी आज उसकी तारीफ कर रहे हैं।

भास्कर का यह कदम भी उसका प्रोफेसनलिज्म है और प्रभात खबर जो कर रहा है वह उसके प्रबंधन (और सम्पादकीय, अगर यह बचा हो तो) के पिछड़नेपन का प्रतीक है। भास्कर हर तरह से आगे बढ़ रहा है और प्रभात खबर लगातार अपनी चमक खो रहा है। आत्मविश्वास भी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

(वैसे तो ये बातें कई अखबारों के बारे में कही जा सकती है मगर मैने इन दो अखबारों की चर्चा प्रतीक के रूप में की है कि कैसे एक आन्दोलनकारी अखबार कारोबार के ट्रैप में फंस कर अपनी आभा खो बैठता है और एक कारोबारी अखबार वक़्त को काफी पहले समझ कर सीखता है। अपने तरीके बदलता है। आगे बढ़ता है और हर तरह की सफलता हासिल करता है। प्रभात खबर मेरा प्रिय अखबार है। मैने अपनी सबसे लम्बी नौकरी वहीं की है। और बहुत खुश होकर की। खूब सीखा और कई मौके हासिल किये। उस अखबार के बारे में यह लिखना अच्छा नहीं लगता। मगर तटस्थ नजरिये आज यह राय लिखना जरूरी लगा। मुमकिन है मेरी राय गलत हो।)

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement