
IND vs AUS फाइनल मुकाबले से पहले दैनिक जागरण के लखनऊ संस्करण के खेल पेज में छपा शीर्षक ‘आज होगा धर्मयुद्ध‘ जमकर वायरल हो रहा है. लोग जागरण से सवाल कर रहे हैं कि बताइये कौन सा धर्म जीता? वहीं कई लोग धर्मयुद्ध को महाभारत से जोड़कर जागरण को सीख लेने की सलाह दे रहे हैं. पढ़िये कुछ प्रतिक्रियाएं…
उर्मिलेश- यह कहां से पत्रकारिता है? हिंदी मीडिया का बडा हिस्सा खेल हो या राजनीति, आर्थिकी हो या वैज्ञानिक अनुसंधान, हर क्षेत्र में ऐसा ही कचरा फैला रहा है! चित्र में हिंदी के ज्यादा बिकने वाले अखबार के 19 नवम्बर, 2023 का मुख्य खेल-पेज है.
प्रकाश के रे- हिंदी मीडिया को अपने संस्कार और ज्ञान की समीक्षा करनी चाहिए. किसी भी तीन पत्ती और गिल्ली-डंडे के खेल को धर्मयुद्ध बताने से पहले महाभारत के अंत में बर्बरीक और कृष्ण का संवाद देखना चाहिए. धर्म को घटिया चुटकुला बनाना इस युग को महँगा पड़ा है और अभी तो यह शुरुआत है. विडंबना है कि हर जगह मूर्ख नेतृत्व में हैं.
संतोष यादव, पीएचडी नाम के यूजर ने जागरण की कटिंग शेयर कर लिखा है कि, ‘खेल को खेल की तरह ही देखना चाहिये पर गोदी मीडिया की बात ही क्या करना। दैनिक जागरण को अब ये भी बताना चाहिये कि इस धर्मयुद्ध में कौन सा धर्म जीता?’
One comment on “दैनिक जागरण को अब ये भी बताना चाहिये कि इस ‘धर्मयुद्ध’ में कौन सा धर्म जीता?”
एक साहब सूचना आयुक्त बनने के लिए पैरवी में जुटे हैं। एक बड़े राजनेता के सिफारिशी लेटर पर दो माह से ए00लोकेशन भेज चुके हैं। जबकि उनका रिटायर होने में समय है।
ये क्या पद की ताकत का दुरुपयोग नहीं है, ये कथित बुद्धिजीवी खुद को सिद्धांतवादी बताते हैं, एक अदने से लड़के ने जब इनकी ऐसी तैसी की वैसी ऐसी की प्रमोशन में अपने गुर्गों को राबड़ी बांटने को लेकर तो बिदक कर उसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
उसके निजी जीवन को बदनाम घोषित कर रहे हैं, बताते हैं कि वो माफिया का चेला है। अच्छा जो गर्म गोश्त की रिश्वत लेकर प्रमोशन करे वो क्या होगा फिर।
कुल मिलाकर ऐसे कलंकित व्यक्ति को सूचना आयुक्त बनना यूपी सरकार के लिए फजीहत का ही विषय बनेगा। है यूनिट में तो इसने अपने चेलों को आगे बढ़ाया, विरोध करने वालों को ठिकाने लगा दिया।
अब चचा उतरेंगे कुर्सी से तो स्वागत करेंगे यही खार खाए लोग। सुनने में आ रहा है कि किसी ने इनके खिलाफ मारपीट का परिवाद भी दाखिल किया है।
देखते जाइए, ये मार भी खायेंगे अब।