अवधेश कुमार-
लगातार समाचार आ रहा है कि राजधानी दिल्ली का प्रदूषण इतना बढ़ गया है की विशेषज्ञ लोगों को अपने घरों में बंद रहने की सलाह दे रहे हैं। अगर यही सच है तो हम क्या माने? क्या दिल्ली में प्रदूषण आपातकाल की स्थिति है?
कल का प्रदूषण माप एक्यूआई में 471 था। प्रदूषण नियंत्रण विभाग का बयान है कि इसमें पराली जलाने जलाए जाने का योगदान 35% था । 65% दूसरे प्रदूषक तत्वों का योगदान है। अकेले 35% पराली का होना सामान्य बात नहीं है। एक समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार पराली जलाने के विरुद्ध आक्रामक होते थे। पंजाब चुनाव को देखते हुए चुप हो गए हैं। क्यों?
दूसरे प्रदूषण के कारणों पर भी बात होनी चाहिए। ध्यान रखिए 50 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच को मध्यम, 201 से 300 के बीच को खराब, 301 से 400 के बीच को बहुत खराब और 401 से 500 के बीच को गंभीर श्रेणी में माना जाता है।
रवीश कुमार-
वायु प्रदूषण की फ़िक्र न करें। चलने दें जैसा चलता है। फ़िक्र करने से आपमें जागरूकता आ सकती है। हर हाल में इसका आना रोकना है। हवा ज़हरीली हो जाए तो हो जाए लेकिन जागरूकता को नहीं आने देना है।
किसी भी हाल में इन मुद्दों को केंद्र में न आने दें। नेता ठीक कर रहे हैं। दो बातें काम की और चार बातें धर्म की कर रहे हैं। ताकि काम की दो बातों को लेकर लोग सवाल न करें और बाक़ी काम का हिसाब न करे। इसलिए आप लोग मन लगाकर प्रयास करें कि राजनीति में धर्म की बात हो ताकि सत्यानाश क़रीब आता जाए। यूपी में चुनाव हो रहे हैं। जी भर के धार्मिक प्रवचन सुनें। नेता तैयार हैं। आप भी तैयार हो जाएँ।