परसों दिल्ली के एक बड़े होटल में एक बड़ी सियासी पार्टी हुई थी. आयोजनकर्ता थे जाने माने दलाल अमर सिंह. इसमें नेता पत्रकार अफसर सब शामिल हुए. मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव खास मेहमान थे. साथ ही इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा, जी न्यूज वाले सुभाष चंद्रा और सुधीर चौधरी, समाचार प्लस वाले उमेश कुमार भी आए थे. अखिलेश यादव तो इसमें शरीक नहीं थे लेकिन मुख्य सचिव दीपक सिंघल दलबल के साथ कायम थे.
पार्टी का दौर शुरू हुआ और बातचीत का मुद्दा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बन गए. अमर सिंह ने अखिलेश की बुराई के तीर छोड़े तो इसमें सभी शरीक हो गए. सबने अखिलेश यादव की बुराई शुरू कर दी. वहां मौजूद मुख्य सचिव दीपक सिंघल भी कहां चुप रहने वाले थे. वो भी बोल गए कि यूपी में गलत फैसले तो हो ही रहे हैं. पार्टी खत्म हुई. सब अपने अपने घर गए. पार्टी में हुई बातचीत की सूचना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंची. उन्हें बताया गया कि पूरा आयोजन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नीचा दिखाने के लिए किया गया था और इस मोर्चाबाजी में मुख्य सचिव दीपक सिंघल भी शामिल थे. गुस्साए अखिलेश ने तुरंत फैसला लिया. दीपक सिंघल को अपदस्थ कर दिया. फिलहाल वो प्रतीक्षारत कर दिए गए हैं.
तो कह सकते हैं कि अमर सिंह की दावत यूपी ब्यूरोक्रेसी पर भारी पड़ गई है. मुख्य सचिव दीपक सिंघल पद से अचानक हटा दिये गए. राहुल भटनागर नए मुख्य सचिव बनाए गए हैं. प्रमुख सचिव वित्त थे राहुल भटनागर. दीपक सिंघल को शिवपाल यादव और अमर सिंह का काफी करीबी माना जाता है. 11 सितंबर की रात अमर सिंह की ओर से दी गयी दावत में मुलायम और शिवपाल के साथ थे सिंघल. इस आयोजन में सीएम अखिलेश नहीं गए थे. पत्रकारिता के ढेर सारे दलाल भी यहां इकट्ठे थे. इन दलालों को अखिलेश ने घास डालनी बंद कर दी थी. इससे ये भी बुराई में जोर शोर से शिरकत कर रहे थे. अपने इस ताजा फैसले से सीएम अखिलेश यादव ने जता दिया है कि यूपी मे अब यादव परिवार में नहीं मानी जायेगी किसी की भी बात. सिर्फ सीएम ही लेंगे बड़े फ़ैसले. आज मुख्य सचिव दीपक सिंघल का हटाया जाने यही संकेत दे रहा है.
(कार्यभार ग्रहण करते यूपी के नए मुख्य सचिव राहुल भटनागर)
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