Krishna Kant-
लाखों-लाख करोड़ डूब रहे हैं। बिजनेसमैन बैंकों को लूट रहे हैं। मीडिया यह बात आपको नहीं बताएगा, क्योंकि आपके लुट जाने में ही आपकी कोई दिलचस्पी नहीं बची है। आपके लिए फिल्मी जहर लॉन्च किया गया है, जिसे मुफ्त में उपलब्ध कराने की योजना पर काम चल रहा है। आप धार्मिक जहर का आनंद लीजिए, खजाना लूटने वाले बेदर्दी से लूट रहे हैं।
पिछले पांच साल में बैंकों के 6 लाख करोड़ डूब गए। इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 साल में 4946 कंपनियां दिवालिया हुई हैं। इसमें 457 कंपनियों के केस सॉल्व किए गए। इन 457 कंपनियों ने बैंकों से 8 लाख 30 हजार करोड़ कर्ज लिया था। इसमें 6 लाख करोड़ रुपये बैंकों के डूब गए।
हाल ही में एमटेक नाम की एक कंपनी ने सरकारी बैंकों को 25,000 करोड़ का चूना लगाया है। एमटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज ने देश के बैंकों से 25,000 करोड़ का कर्ज लिया और यह कर्ज नहीं लौटाया। उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। एमटेक ऑटो पार्ट बनाने वाली दिल्ली-चंडीगढ़ बेस कंपनी है। यह सब सरकार और वित्तीय एजेंसियों की जानकारी में हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने इसे घोटाला करार दिया है और सरकार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
पिछले महीने एक गुजराती कंपनी का ऐसा ही घोटाला सामने आया था। एबीजी शिपयार्ड नाम की कंपनी ने 27 बैंकों से 23 हजार करोड़ का कर्ज लिया और यह पैसा डूब गया।
आरबीआई ने डर्टी डजन कंपनियों की एक लिस्ट जारी की जिसमें 12 कंपनियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा गया कि इन कंपनियों पर बैंकों के 2.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
जून 2021 की कुछ रिपोर्ट इंटरनेट पर मौजूद हैं जिनमें कहा गया है कि ऐसे बिजनेसमैन और कंपनियों ने मिलकर सरकारी बैंकों को आठ लाख करोड़ का चूना लगाया।
क्रोनोलॉजी ये है कि आप एक कपंनी बनाइए। सरकारी बैंक से कर्ज लीजिए फिर कंपनी को दिवालिया घोषित कर दीजिए और सरकारी खजाने का पैसा आपके बाप का हो गया। सरकार पर्दे के पीछे से आपको कुछ नहीं होने देगी।
यह सब राष्ट्रवादियों की निगहबानी में हो रहा है, इसलिए वे मुंह खोलने से रहे। वे बोलेंगे भी तो नेहरू को जिम्मेदार बता देंगे। विपक्ष की सक्रियता अपर्याप्त साबित हो रही है। जनता को यह पता ही नहीं है कि उसके टैक्स का जो पैसा सरकारी खजानों में जमा है, वह लूटा जा रहा है। आप में से जो जागरूक लोग हैं, वे क्यों चुप हैं? आप क्यों चुप हैं? वह पैसा तो आपका है!
इन घोटालों को लेकर विपक्षी विरोध अपर्याप्त है। कांग्रेस राफेल से लेकर इन घोटालों तक, हर मामले को जिस तरह ट्विटर और प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठा रही है, उससे बेशर्म भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। भाजपा सिर्फ चुनाव हारने से डरती है। जब तक यह मुद्दा सड़क पर नहीं आएगा, जब तक देश का बच्चा बच्चा यह नहीं जानेगा कि कैसे देश के बैंकों को लूटा जा रहा है, तब तक भाजपा पर न कोई असर होगा, न इन घोटालों की जांच होगी, न जनता सरकार से कोई हिसाब मांगेगी।
अपनी क्षमता में हर व्यक्ति को यह बात पहुंचाइए कि 80 प्रतिशत को इस हालत में पहुंचा दिया गया है कि वह सरकारी राशन पर जिंदगी काट रही है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। सरकार महंगाई बढ़ाकर जनता से वसूली कर रही है और वह पैसा कंपनियां लूट रही हैं। यह इसलिए नहीं हो रहा है कि सरकार मजबूर है और वह कुछ नहीं कर पा रही है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि या तो सरकार ऐसा चाहती है या फिर सरकार इसमें शामिल है। यह राजनीति और कॉरपोरेट के घिनौने गठजोड़ का नतीजा है। यह जनता को लूटकर नेताओं और उद्योगपतियों की जेब भरने का कार्यक्रम है।
राष्ट्रवाद के पर्दा डालकर आपको लूटा जा रहा है।
गिरीश मालवीय-
दिवालिया कानून किस तरह से भ्रष्टाचारियों को बचाने का औजार बन गया है एमटेक ऑटो वाले प्रकरण में यह बात स्पष्ट रूप से निकल कर सामने आती है
कल संजय निरुपम ने कहा है कि सरकार को एमटेक ऑटो के दिवालियापन की अर्नस्ट एंड यंग (ईवाई) की ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच का आदेश देना चाहिए, इस रिपोर्ट में सामने आया है कि एमटेक समूह ने अपनी 70 प्रतिशत से अधिक संपत्ति और कोष को 129 फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया ‘
दरअसल एमटेक समूह की कंपनियों ने 25,000 करोड़ रुपये का लोन भारतीय बैंकों से लिया था। बाद में कंपनी को मात्र 1,500 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। जबकि इसके प्रवर्तकों ने 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति को बट्टे खाते में डाल दिया और 12,500 करोड़ रुपये का कोष फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया।’
दो हफ्ते पहले आई मनी कंट्रोल की खबर भी इन आरोपों। की पुष्टि करती है इस खबर में बताया गया है कि ‘कंपनी लोन लेने के बाद पैसे को शेल कंपनियों और ग्रुप के बड़े अधिकारियों की पर्सनल इनटिटीज के लिए इस्तेमाल करती थी। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि ईमेल आईडी, एड्रेसेज, संबंधित कंपनियों की डायरेक्टरशिप और फाइनेशियल स्टेटमेंट से पता चलता है कि एमटेक से कई बाहर की पार्टीज जुड़ी हुई थीं।ऑडिट में बाहरी पार्टीज की भी जांच की गई, जिसमें पाया गया कि लोन की रकम हासिल करने वाली ज्यादातर पार्टीज के पर्चेज और सेल के ट्रांजेक्शन नहीं हैं।
यानि कि गजब की हेराफेरी की गई ……लेकिन कोई कार्यवाही नही हो रही है
संजय निरूपम ने कहा, ‘‘(वित्त मंत्री) निर्मला सीतारमण जी सदा कहती हैं कि कंपनियों ने संप्रग के शासनकाल में लोन लिया था. लेकिन ऋण नहीं चुकाना और धन की धोखाधड़ी मोदी सरकार के तहत हो रही है.”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा कह रहे हैं कि कंपनियों के दिवाला मामलों का हल करने के नाम पर संस्थागत भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जो बिल्कुल स्पष्ट दिख रहा है