के. सत्येन्द्र-
गोरखपुर : वफादारी और नमकहलाली की सीख देने वाला एक अनोखा शिक्षक… आज की इस दुनिया मे गारंटी किसी भी चीज की नही है । रिश्ते नातों के मायाजाल तो दिखावा भर है । यही वजह है कि आज किसी के जाने से जिन्दगी नही रूकती । कोई दो दिन रोता है तो कोई चार दिन और एक वक्त ऐसा आता है कि घर मे टंगी आपकी हमारी फ़ोटो भी धूल झाड़ने के इन्तजार में कलर फ्रेम से ब्लैक एंड वाइट फ्रेम में तब्दील हो जाती है ।
हमारे आस पास ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते है । इस दुनिया मे वफादारी और नमकहलाली लगभग नही के बराबर रह गयी है लेकिन हमारे आस पास वफादारी और नमकहलाली का पाठ पढ़ाते कुछ किरदार आज भी मौजूद हैं । इस बात को कहने में मुझे तनिक भी संकोच नही है कि यदि वफादारी और नमकहलाली सीखनी हो तो इस मामले में कुत्तों से बढ़िया शिक्षक कोई हो ही नही सकता । दो वक्त का खाना और थोड़े से प्यार दुलार के बदले वफादारी के लिए जान तक गवां देने वाली स्वामिभक्ति कुत्तों को मिला हुआ परमेश्वरीय उपहार है जो किसी इंसान या इंसानी रिश्ते में शायद ही मिले ।
पत्रकारिता के क्षेत्र में जब नाना पाटेकर जैसे किरदार की जरूरत महसूस होने लगी तब इस किरदार को वास्तविक जीवन मे चरितार्थ करने के लिए मैंने भी कलम और कैमरा उठा लिया । अंजाम यह हुआ कि तमाम दुश्मन और सजिशकार पैदा हो गए और धीरे धीरे इनकी संख्या इतनी बढ़ गयी जितने अपनी खोपड़ी पर बाल है । दिन भर की इस मानसिक थकान और पैदा हुए दुश्मनों की कशमकश में दो डॉबरमैन प्रजाति के पिल्लों ने बड़ा सुकून पहुँचाया । इनके साथ बिताया हुआ 15 मिनट का वक्त सारी थकान और चिंताएं दूर कर देता है ।
बड़े होने पर ये धीरे धीरे अपनी फार्म में आ गए और इनदोनो ने गेट के अंदर घुसे हुए गेहुवन साँप का दो दो बार शिकार कर डाला और खुद रात भर मरणासन्न पड़े रहे । बड़ी मुश्किल से इनकी जान बची । अब दुश्मन तो छोड़िए पड़ोसी भी घर के आस पास फटकने से घबराते है और गेट से पांच मीटर की दूरी बनाकर जाते हैं । जब घर मे कोई न हो तो भी ये दोनों सिक्योरिटी पर बगैर किसी आलस के मुस्तैद रहते हैं ।
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